• October 21, 2025

अवैध मदरसा प्रकरण : एनसीपीसीआर सख्‍त, मप्र सरकार से कहा – बाल अधिकार क़ानूनों पर एसडीएम को प्रशिक्षण दिया जाए

 अवैध मदरसा प्रकरण : एनसीपीसीआर सख्‍त, मप्र सरकार से कहा – बाल अधिकार क़ानूनों पर एसडीएम को प्रशिक्षण दिया जाए

भोपाल, 6 अगस्त । मध्य प्रदेश के रतलाम में पिछले सप्‍ताह पकड़े गए बालिकाओं के अवैध मदरसा मामले में जिला प्रशासन की उदासीनता एवं त्‍वरित कार्रवाई न करते हुए उसे हलके में लेने को राष्‍ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने गंभीरता से लिया है और अपनी नाराजगी तल्‍ख शब्‍दों में व्‍यक्‍त की है।

दरअसल, मध्‍य प्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एससीपीसीआर) के अचानक से किए गए निरीक्षण के दौरान इस मदरसा में अनेक खामियां पाई गईं थीं, जिसमें अहम यह भी है कि शासन के सामने छह माह पूर्व ही इस मदरसा की कमियां सामने आई थीं। इस साल के फरवरी माह में शासन की ही बनाई गई एक जांच समिति ने रतलाम में चल रहे इस मदरसा को लेकर दी गई अपनी रिपोर्ट में साफ कहा था कि ‘‘मदरसा में 150 बालिकाएं हैं जिन्हें सामान्य शिक्षा नहीं मिल पा रही है। मदरसे में कोई रिकार्ड या दस्तावेज उपलब्ध नहीं था।, उक्त मदरसा के निरीक्षण के दौरान समिति द्वारा यह पाया गया कि एजुकेशन सोसायटी का पंजीयन वर्ष 2012 के बाद से आज दिनांक तक नहीं है। मदरसा में कुल 230 बालिकाएं हैं जो कक्षा 01 से 08 तक की शिक्षा ले रही हैं। मदरसा में बालिकाओं को मैदान में खेल गतिविधियों जैसे संसाधन उपलब्ध नहीं हैं।’’

इसके साथ ही इस रिपोर्ट में कहा गया था कि ‘‘अन्य संसाधन जिससे पढ़ाई के साथ-साथ बालिकाओं को खेल का ज्ञान भी प्राप्त हो सकें। मदरसा किशोर न्याय अधिनियम के तहत आवश्‍यक नियमों को पूरा नहीं करता है। बालिकाओं को पढ़ाने वाली कोई महिला शिक्षका एवं केअर टेकर भी यहां नहीं है। उक्त मदरसा में रतलाम के साथ-साथ अन्य क्षेत्र-गांव की भी बालिकाएं हैं, जैसे राजस्थान, झाबुआ, मंदसौर, उज्जैन आदि। बाहर से आनेवाली बालिकाओं के दस्तावेज उपलब्ध नहीं हैं। संस्था में कार्यरत कर्मचारियों का कोई दस्तावेज अथवा पुलिस वेरिफिकेशन उपलब्ध नहीं करवायें गये। यह मदरसा बिना किसी मान्यता के निजी तौर पर संचालित किया जा रहा है. जो समाज एवं देशहित में नहीं है। अतः उक्त मदरसे को तत्काल बंद कर देना चाहिए।’’

इसके बाद भी यह और इसके अलावा अन्‍य चार मदरसे ‘दारूल उलूम अरबिया शैरानीया, कृषि मंडी के आगे रतलाम’, ‘दारूल उलूम गुल्शने – ए – फातिमा’, ‘गोसे आरूल गरीब नवाज मदरसा बिरीयाखेडी, रतलाम’, ‘दारूल उलूम एहले सुन्नत रसाएमुस्तफा और मदरसा, शैरानीपुरा कब्रिस्तान के सामने’, जिन्‍हें बंद करने की सिफारिश इस जांच समिति ने की थी, अब भी यहां धड़ल्‍ले से संचालित हो रहे हैं, उस पर जो बाल आयोग की जांच के बाद जिला प्रशासन का पक्ष मीडिया में आया है, उसे देखकर एनसीपीसीआर सख्‍त है।

इस संबंध में मंगलवार को राष्‍ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के अध्‍यक्ष प्रियंक कानूनगो ने अपनी तल्‍ख टिप्‍पणी की है। उन्‍होंने कहा, ”मध्यप्रदेश बाल आयोग की सदस्य ने निरीक्षण के दौरान रतलाम में एक अवैध मदरसे में लड़कियों के कमरों में कैमरे लगे पाये हैं । दूसरे शहरों/राज्यों से ला कर लड़कियों को वहाँ रख कर उनको स्कूल नहीं भेजा जा रहा है यह संविधान का उल्लंघन है।’’

उन्‍होने कहा है कि ‘‘इस मामले में बाल आयोग सदस्य ने कैमरे की रिकॉर्डिंग की डीवीआर ज़ब्त करने के मौखिक निर्देश तत्काल दे दिये थे, डीवीआर ज़ब्त की जानकारी प्रशासन से आना बाक़ी है जिसकी प्रत्याशा में आयोग द्वारा नोटिस जारी किया जाना बाक़ी है। इसके पूर्व ही ये मैडम जो कि वहाँ की एसडीएम बतायी जा रही हैं ने मदरसे पहुँच कर मदरसे की प्रवक्ता की तरह बयान दे कर मदरसे को क्लीनचिट दे दी है। इस मामले में प्रशासन को नोटिस जारी कर रहे हैं साथ ही बाल अधिकार क़ानूनों पर इन एसडीएम को प्रशिक्षण दिये के लिए भी सरकार को अनुशंसा कर रहे हैं।’’

उल्‍लेखनीय है कि 31 जुलाई को ‘दारुल उलूम आयशा सिद्धीका लिलबिनात’ बच्‍च‍ियों के मदरसा में राज्‍य बाल संरक्षण आयोग की सदस्‍य डॉ. निवेदिता शर्मा ने छापा मारा था। उन्‍हें यहां पर अनेक खामियां मिली थीं, जिसके आधार पर उन्‍होंने स्‍थानीय प्रशासन से यही सवाल किया था कि इतनी कम‍ियां होने के बाद वर्षों से यह मदरसा यहां चल कैसे रहा है? उन्‍होंने अपने साथ मौजूद अधिकारियों से ऐसे सभी संस्‍थानों को बंद करने एवं कड़ी कार्रवाई करने के लिए कहा था जोकि कानून के नियमों को न मानते हुए अवैध तरीके से संचालित किए जा रहे हैं ।

इसके बाद जिला कलेक्‍टर के निर्देश पर एडीएम डॉ. शालिनी श्रीवास्तव व अन्‍य अधिकारियों ने मदरसा की यथा स्‍थिति देखने के लिए तीन दिन बाद यहां निरीक्षण किया था। तब तक मदरसा संचालकों ने बालिकाओं के कमरों में लगे सीसीटीवी कमरे हटाने के साथ मदारसा की व्‍यवस्‍थाएं दुरुस्‍त करने का काम किया, लेकिन मान्‍यता न ये किशोर बाल (बालको की देखरेख और संरक्षण) अिधिनयम, 2015 (जेजेबी) की दिखा पाए और ना ही मदारसा बोर्ड की या अन्‍य होस्‍टल संचालन की । देखा जाए तो कोई भी मदरसा संचालकों के पास शासन की मान्‍यता नहीं मिली। इसके बाद भी जिस तरह का मीडिया में अपर कलेक्‍टर के बयान का विडियो वायरल है, उसे देखकर एनसीपीसीआर अध्‍यक्ष प्र‍ियंक कानूनगो खासे नाराज हैं। उनका एडीएम डॉ. शालिनी श्रीवास्तव के बहाने आज मध्‍य प्रदेश की डॉ. मोहन सरकार से कहना यही है कि वे अपने अधिकारियों को बाल अधिकारों के बारे में प्रशिक्षण दिलवाएं, ताकि उन्‍हें इस बारे में पूरी तरह से स्‍थ‍ितियां स्‍पष्‍ट रहें।

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Rama Niwash Pandey

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