• October 26, 2025

राष्ट्रीय रक्षा अधिग्रहण: 79,000 करोड़ के मंजूर प्रस्तावों से सेनाओं की ताकत में क्रांतिकारी वृद्धि

भारतीय सेनाओं के आधुनिकीकरण की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए रक्षा मंत्रालय ने एक झटके में 79,000 करोड़ रुपये की रक्षा खरीद को हरी झंडी दे दी है। यह फैसला न केवल थलसेना, नौसेना और वायुसेना की लड़ाकू क्षमता को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा, बल्कि निगरानी और लॉजिस्टिक सपोर्ट में भी क्रांतिकारी बदलाव लाएगा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अगुवाई में हुई बैठक ने ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के सपनों को साकार करने की दिशा में मजबूत इच्छाशक्ति दिखाई है। लेकिन इन प्रस्तावों से कौन-कौन से उन्नत हथियार और उपकरण हासिल होंगे? कैसे बदलेगी देश की रक्षा रणनीति? यह खबर हर भारतीय को गर्व से भर देगी। आइए, जानते हैं पूरी खबर क्या है।

रक्षा अधिग्रहण परिषद की बैठक और प्रस्तावों का स्वीकृति

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में नई दिल्ली के साउथ ब्लॉक में आयोजित रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) की बैठक में भारतीय थलसेना, नौसेना और वायुसेना के लिए कुल 79,000 करोड़ रुपये के महत्वपूर्ण प्रस्तावों को मंजूरी प्रदान की गई। रिपोर्ट्स के मुताबिक, सभी प्रस्तावों को ‘आवश्यकता की स्वीकृति’ (AoN) दे दी गई है, जो तीनों सेनाओं की लड़ाकू क्षमता, निगरानी व्यवस्था और लॉजिस्टिक सपोर्ट में जबरदस्त वृद्धि सुनिश्चित करेगी। यह निर्णय राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने के साथ-साथ स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा देने पर केंद्रित है। बैठक में चर्चा के दौरान यह स्पष्ट किया गया कि ये खरीदें ‘मेक इन इंडिया’ पहल के अनुरूप होंगी, जिससे निजी क्षेत्र की भागीदारी भी बढ़ेगी। कुल मिलाकर, यह कदम सेनाओं को आधुनिक चुनौतियों का सामना करने में सक्षम बनाएगा।

थलसेना के लिए नई ताकतवर खरीदें

थलसेना की क्षमताओं को मजबूत करने के लिए DAC ने तीन प्रमुख उपकरणों की खरीद को हरी झंडी दी है। पहला है नाग मिसाइल सिस्टम (ट्रैक्ड) Mk-II (NAMIS), जो ट्रैक वाली मिसाइल प्रणाली है। यह दुश्मन के टैंकों, बंकरों और मैदानी किलेबंदी को आसानी से नष्ट करने में सक्षम होगी, जिससे सीमा पर रक्षा मजबूत होगी। दूसरा, ग्राउंड बेस्ड मोबाइल इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस सिस्टम (GBMES), जो दुश्मन के इलेक्ट्रॉनिक संकेतों और एमिटर्स पर 24×7 खुफिया निगरानी रखेगा। तीसरा, हाई मोबिलिटी व्हीकल (HMV) विद मटेरियल हैंडलिंग क्रेन, जो कठिन भौगोलिक क्षेत्रों में सामान ढुलाई और हैंडलिंग की क्षमता को बढ़ाएंगे। ये उपकरण थलसेना को अधिक गतिशील और प्रभावी बनाएंगे, खासकर पहाड़ी और दुर्गम इलाकों में।
भारतीय नौसेना की ताकत बढ़ाने के लिए DAC ने पांच महत्वपूर्ण प्रस्तावों को स्वीकृत किया है। सबसे प्रमुख है लैंडिंग प्लेटफॉर्म डॉक (LPD), जो थलसेना और वायुसेना के साथ संयुक्त उभयचर अभियानों को संचालित करने में सक्षम होगा। यह जहाज शांति स्थापना, मानवीय सहायता और आपदा राहत कार्यों में भी उपयोगी साबित होगा। इसके अलावा, 30mm नेवल सरफेस गन (NSG) नौसेना और तटरक्षक बल की कम तीव्रता वाली समुद्री कार्रवाइयों तथा समुद्री डाकू-विरोधी अभियानों में सहायक होगी। एडवांस्ड लाइट वेट टॉरपीडो (ALWT), जो DRDO की NSTL द्वारा विकसित स्वदेशी टॉरपीडो है, परंपरागत, परमाणु और मिनी-पनडुब्बियों को निशाना बनाने में कारगर होगा। इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल इंफ्रा-रेड सर्च एंड ट्रैक सिस्टम (EOIRST) दुश्मन लक्ष्यों की दूर से पहचान और ट्रैकिंग सुनिश्चित करेगा।

आत्मनिर्भर भारत को मिलेगा मजबूत आधार

79,000 करोड़ रुपये की इस रक्षा खरीद से न केवल सेनाओं को आधुनिक हथियार और उपकरण मिलेंगे, बल्कि ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के विजन को भी ठोस आधार मिलेगा। स्मार्ट एम्यूनिशन (76mm सुपर रैपिड गन माउंट के लिए) निशानेबाजी की सटीकता और प्रभावशीलता में वृद्धि करेगा। ये सभी प्रस्ताव स्वदेशी स्रोतों से खरीदे जाएंगे, जिससे रक्षा उद्योग में रोजगार सृजन और तकनीकी आत्मनिर्भरता बढ़ेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे भारत की रक्षा क्षमता क्षेत्रीय खतरों का मुकाबला करने में सक्षम हो जाएगी। कुल मिलाकर, यह निर्णय राष्ट्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए आर्थिक विकास को भी गति देगा, और भविष्य की चुनौतियों के लिए सेनाओं को तैयार करेगा।
Digiqole Ad

Rama Niwash Pandey

https://ataltv.com/

Related Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *