अपने ही परिवार के पांच लोगों की हत्या की, हाई कोर्ट ने फांसी की सजा पर निर्णय रखा सुरक्षित
नैनीताल, 05 जुलाई । अपने ही परिवार के पांच सदस्यों की निर्मम हत्या के दोषी हरमीत की फांसी की सजा पर शुक्रवार को हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। मामले को सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने निर्णय को सुरक्षित रख लिया है। हरमीत को जिला एवं सत्र न्यायाधीश (पंचम) आशुतोष मिश्रा ने पांच अक्टूबर 2021 को फांसी की सजा के साथ एक लाख रुपये का अर्थदंड लगाया था। जिला एवं सत्र न्यायाधीश पंचम ने फांसी की सजा की पुष्टि करने के लिए हाई कोर्ट में रिफरेंस भेजा था।
मामले के अनुसार 23 अक्टूबर 2014 को हरमीत ने पिता जय सिंह, सौतेली मां कुलवंत कौर, गर्भवती बहन हरजीत कौर, तीन साल की भांजी सहित बहन के कोख में पल रहे बच्चे की भी निर्मम तरीके से चाकुओं से गोदकर हत्या कर दी थी। हरमीत ने पांच लोगों की हत्या करने में चाकू से 85 बार वार किया, जिसकी पुष्टि मेडिकल रिपोर्ट से हुई। पुलिस ने जांच में पाया कि हरमीत के पिता की दो शादियां की थीं। उसको शक था कि उसके पिता सारी संपत्ति को उसकी सौतेली बहन के नाम पर न कर दे। उसकी सौतेली बहन एक सप्ताह पहले अपनी डिलीवरी के लिए आई हुई थी। उसकी शादी की सालगिरह 25 अक्टूबर को थी जिसकी वजह से वह अपने बच्चे की डिलीवरी 25 अक्टूबर को ही कराना चाहती थी। अगर वह डिलीवरी एक दिन पहले करा लेती तो शायद बच्चे व मां की जान बच सकती थी। इसका फायदा उठाते हुए दीपावली की रात को घर पर पांच लोगों की निर्मम हत्या कर दी। इस केस का मुख्य गवाह पांच वर्षीय कमलजीत बच गया था। हत्यारे ने घटना को चोरी का अंजाम देने के लिए अपने हाथ भी काट लिया था। हरमीत ने 24 अक्टूबर 2014 को देहरादून के आदर्श नगर में इस घटना को अंजाम दिया था, जिसके बाद पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया था।




