• November 14, 2025

Mokama’s Unbreakable Fortress: जेल के तलवारधारी अनंत सिंह फिर चमके, RJD की उम्मीदें धूल चाट गईं!

पटना (Patna) के मोकामा (Mokama) विधानसभा क्षेत्र से बिहार चुनाव 2025 की सबसे सनसनीखेज खबर आ रही है। दुलारचंद यादव हत्याकांड के आरोप में जेल में बंद जनता दल यूनाइटेड (JD(U)) के दिग्गज अनंत सिंह (Anant Singh) ने फिर से इतिहास रच दिया। उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल (RJD) की वीणा देवी (Veena Devi) को 28,206 वोटों के भारी अंतर से हरा दिया। अनंत सिंह को कुल 91,416 वोट मिले, जबकि वीणा देवी 63,210 पर सिमट गईं। क्या है इस ‘बाहुबली’ नेता की अपार लोकप्रियता का राज? जेल की सलाखों के बावजूद कैसे बनी उनकी लहर? तो चलिए जानते हैं पूरा मामला क्या है, विस्तार से…

मोकामा सीट की पृष्ठभूमि: बाहुबलियों का गढ़ और अनंत का किला

मोकामा (Mokama) विधानसभा क्षेत्र पटना जिले (Patna District) का एक ऐसा किला है, जहां बाहुबल और जातिगत समीकरण राजनीति को निर्देशित करते हैं। भूमिहार समुदाय के करीब 85,000 वोटरों वाला यह इलाका उत्तर और दक्षिण बिहार का सेतु है। यहां अनुसूचित जाति (SC) पसवान (10,000), यादव (45,000), कुर्मी (55,000) और राजपूत (15,000) भी प्रभावशाली हैं। अनंत सिंह (Anant Singh), जिन्हें ‘छोटे सरकार’ कहा जाता है, 2005 से इसी सीट पर चार बार विधायक रहे। 2015 में निर्दलीय जीत, 2020 में आरजेडी (RJD) टिकट पर जेल से ही सफलता, लेकिन 2022 में हथियार कांड में दोषी ठहरने पर सदस्यता गई। उनकी पत्नी नीलम देवी (Neelam Devi) ने उपचुनाव जीता। 2025 में जेडीयू (JD(U)) में वापसी कर अनंत ने फिर दांव चला। 6 नवंबर को पहले चरण में 64.77 प्रतिशत मतदान हुआ। वीणा देवी, सूरजभान सिंह (Surajbhan Singh) की पत्नी, ने पुरानी दुश्मनी को ताजा किया। जन सुराज पार्टी (JSP) के प्रियदर्शी पीयूष (Priyadarshi Piyush) ने तीसरा मोर्चा खोला। यह सीट एनडीए (NDA) की रणनीति का केंद्र बनी।

मुख्य घटनाक्रम: जेल से लीड, 20 राउंड्स में 28,000 का अंतर

मतगणना के पहले राउंड से ही अनंत सिंह (Anant Singh) ने बढ़त ले ली। शुरुआती रुझानों में वे 2,716 वोटों से आगे थे। दूसरे राउंड में अंतर 8,057 हो गया। छठे राउंड तक 22,345 वोटों की लीड। 18वें राउंड में अनंत को 68,132 वोट, वीणा देवी (Veena Devi) को 48,845। 20वें राउंड के बाद 23,000+ का फासला। कुल 25 राउंड्स की गिनती में अनंत ने कभी पीछे नहीं देखा। अंत में 91,416 वोट हासिल कर 28,206 वोटों से जीत दर्ज की। वीणा 63,210 पर रहीं। जन सुराज के प्रियदर्शी पीयूष को 19,365 वोट मिले, जो तीसरे नंबर पर रहे। आम आदमी पार्टी (AAP) के राजेश कुमार रत्नाकर (Rajesh Kumar Ratnakar) को महज 1,847। 10 उम्मीदवारों में निर्दलीय विकाश कुमार (Vikash Kumar) और अनिल कुमार (Anil Kumar) भी मैदान में थे। जेल में रहते हुए अनंत के समर्थकों ने पटना (Patna) में मिठाई और भोज की तैयारी की। यह जीत एनडीए (NDA) की 200+ सीटों वाली लहर का हिस्सा बनी।

प्रतिक्रियाएं और बयान: समर्थकों का जश्न, विपक्ष का झटका

जीत की खबर फैलते ही अनंत सिंह (Anant Singh) के पटना स्थित आवास पर ’56 भोग’ का भोज सज गया। समर्थकों ने पोस्टर लगाए, “जेल का फाटक टूटेगा, हमारा शेर छूटेगा।” जेडीयू (JD(U)) नेता नीरज कुमार (Neeraj Kumar) ने कहा, “अनंत की लोकप्रियता बिहार की मिट्टी से जुड़ी है, यह एनडीए (NDA) की जीत है।” मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने ट्वीट कर बधाई दी, “मोकामा की जनता ने सुशासन चुना।” आरजेडी (RJD) की ओर से तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने हार मानी, लेकिन कहा, “अपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों पर सवाल उठेंगे।” वीणा देवी के पति सूरजभान सिंह (Surajbhan Singh) ने चुप्पी साधी, जबकि उनके समर्थक उदास। जन सुराज के प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने इसे “लोकतंत्र की विडंबना” बताया। मीडिया में बहस छिड़ी कि जेल में बंद उम्मीदवार कैसे जीत जाते हैं। एनडीए कार्यालयों में उत्साह, आरजेडी मुख्यालय में सन्नाटा। विशेषज्ञों ने अनंत की जातिगत पकड़ को ‘अटूट’ कहा।
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Rama Niwash Pandey

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