• December 25, 2025

लाल आतंक को बड़ा झटका: मलकानगिरी में 22 खूंखार नक्सलियों का आत्मसमर्पण, करोड़ों का था इनाम

मलकानगिरी/रायपुर: भारत सरकार के नक्सल मुक्त अभियान को एक और बड़ी सफलता मिली है। ओडिशा के मलकानगिरी जिले में नक्सलियों के एक बड़े जत्थे ने हिंसा का रास्ता छोड़कर मुख्यधारा में लौटने का फैसला किया है। छत्तीसगढ़ की सीमा से सटे इलाकों में सक्रिय 22 कैडर नक्सलियों ने ओडिशा पुलिस और सुरक्षा बलों के वरिष्ठ अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। यह आत्मसमर्पण इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि सरेंडर करने वाले इन नक्सलियों पर कुल मिलाकर 1 करोड़ 84 लाख 25 हजार रुपए का भारी-भरकम इनाम घोषित था। ये सभी नक्सली बस्तर संभाग और छत्तीसगढ़-ओडिशा सीमावर्ती क्षेत्रों में कई बड़ी हिंसक वारदातों, सुरक्षा बलों पर हमलों और आगजनी की घटनाओं में शामिल रहे हैं।

अत्याधुनिक हथियारों के साथ डाला हथियार

नक्सलवाद के खिलाफ चल रही इस जंग में यह आत्मसमर्पण सुरक्षा बलों की रणनीतिक जीत माना जा रहा है। सरेंडर करने वाले नक्सली केवल खाली हाथ नहीं आए, बल्कि वे अपने साथ अत्याधुनिक हथियारों का जखीरा भी लेकर पहुंचे थे। पुलिस के मुताबिक, नक्सलियों ने एके-47 (AK-47), इंसास (INSAS) राइफल समेत कुल नौ घातक हथियार सुरक्षा बलों को सौंपे हैं। इन हथियारों का इस्तेमाल वे पिछले कई वर्षों से सुरक्षा बलों के खिलाफ और निर्दोष ग्रामीणों में दहशत फैलाने के लिए कर रहे थे। इतनी बड़ी संख्या में कैडरों का हथियारों के साथ बाहर आना इस बात का संकेत है कि नक्सली संगठन अब आंतरिक रूप से कमजोर हो रहे हैं और उनके निचले कैडर का नेतृत्व पर से विश्वास उठ रहा है।

बस्तर संभाग में कई जघन्य अपराधों के थे आरोपी

आत्मसमर्पण करने वाले ये 22 नक्सली मुख्य रूप से छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में सक्रिय थे। पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, इन पर हत्या, लूट, अपहरण और सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने जैसे कई गंभीर धाराओं के तहत मामले दर्ज थे। बस्तर के घने जंगलों का फायदा उठाकर ये नक्सली कई बार पुलिस और अर्धसैनिक बलों की टुकड़ियों पर घात लगाकर हमला कर चुके थे। ओडिशा और छत्तीसगढ़ पुलिस की संयुक्त रणनीति और जंगलों में बढ़ते दबाव के कारण इन नक्सलियों के पास अब रसद और छिपने के ठिकानों की कमी हो गई थी। इनके सरेंडर करने से बस्तर और मलकानगिरी के सीमावर्ती गांवों में शांति बहाली की उम्मीदें और मजबूत हुई हैं।

गृहमंत्री विजय शर्मा की अपील का दिख रहा असर

छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री और गृहमंत्री विजय शर्मा लगातार नक्सलियों से मुख्यधारा में शामिल होने की अपील कर रहे हैं। उन्होंने बार-बार स्पष्ट किया है कि सरकार उन नक्सलियों का स्वागत करने के लिए तैयार है जो हिंसा छोड़कर शांति का रास्ता चुनना चाहते हैं। गृहमंत्री ने नक्सलियों को चेतावनी भी दी है कि यदि वे सरेंडर नहीं करते हैं, तो पुलिस और सुरक्षा बल उन्हें मुंहतोड़ जवाब देने से पीछे नहीं हटेंगे। छत्तीसगढ़ सरकार की पुनर्वास नीति के तहत सरेंडर करने वाले नक्सलियों को आर्थिक सहायता, रोजगार के अवसर और सुरक्षा प्रदान की जाती है। मलकानगिरी में हुआ यह सामूहिक आत्मसमर्पण सरकार की इसी उदार पुनर्वास नीति और सुरक्षा बलों के बढ़ते दबाव का मिश्रित परिणाम माना जा रहा है।

मार्च 2026 तक नक्सल मुक्त भारत का संकल्प

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने देश के सामने एक बड़ा लक्ष्य रखा है। उन्होंने संकल्प लिया है कि मार्च 2026 से पहले छत्तीसगढ़ समेत पूरे भारत को नक्सलवाद की समस्या से पूरी तरह मुक्त कर दिया जाएगा। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर काम कर रही हैं। एक तरफ जहां जंगलों में नक्सलियों का लगातार एनकाउंटर किया जा रहा है और उनके गढ़ों को ध्वस्त किया जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ संचार और सड़क नेटवर्क का विस्तार कर विकास को अंदरूनी इलाकों तक पहुंचाया जा रहा है। गृह मंत्रालय की इस ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति के कारण नक्सलियों का सूचना तंत्र कमजोर हुआ है और उनके शीर्ष नेताओं पर दबाव बढ़ गया है।

बदलती रणनीति और नक्सलियों का मोहभंग

मलकानगिरी में हुए इस सरेंडर के पीछे एक बड़ा कारण सुरक्षा बलों की बदलती रणनीति भी है। अब सुरक्षा बल केवल रक्षात्मक मुद्रा में नहीं रहते, बल्कि नक्सलियों के कोर इलाकों में जाकर ऑपरेशन चला रहे हैं। इसके साथ ही, स्थानीय ग्रामीणों का सहयोग अब पुलिस को पहले से अधिक मिल रहा है। सड़क निर्माण और बिजली पहुंचने से नक्सलियों का वह तर्क अब बेअसर हो रहा है जिसमें वे विकास के नाम पर ग्रामीणों को गुमराह करते थे। सरेंडर करने वाले नक्सलियों ने भी पूछताछ में स्वीकार किया है कि संगठन की खोखली विचारधारा और शीर्ष नेताओं के भेदभावपूर्ण व्यवहार से वे तंग आ चुके थे और अपने परिवार के साथ एक सामान्य जीवन जीना चाहते थे।

पुनर्वास और भविष्य की चुनौतियां

अब इन 22 नक्सलियों को सरकारी नियमों के तहत पुनर्वास प्रक्रिया से गुजारा जाएगा। उन्हें समाज की मुख्यधारा में शामिल करने के लिए विभिन्न कौशल विकास कार्यक्रमों से जोड़ा जाएगा ताकि वे सम्मानजनक आजीविका कमा सकें। हालांकि, सुरक्षा बलों के लिए चुनौती अभी खत्म नहीं हुई है। मलकानगिरी और बस्तर के कुछ इलाकों में अभी भी कुछ सक्रिय हार्डकोर नक्सली मौजूद हैं। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि वे इस सफलता से उत्साहित हैं लेकिन सतर्कता में कोई कमी नहीं बरती जाएगी। आने वाले समय में सीमावर्ती क्षेत्रों में गश्त और तेज की जाएगी ताकि बचे हुए नक्सलियों को भी या तो मुख्यधारा में लाया जा सके या उनका खात्मा किया जा सके।

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