• December 27, 2025

ब्रज की देहरी हाथरस को लांघकर कौन पहुंचेगा दिल्ली

 ब्रज की देहरी हाथरस को लांघकर कौन पहुंचेगा दिल्ली

हाथरस को ब्रज की देहरी कहा जाता है। हाथरस का इतिहास महाभारत और हिन्दू धर्मकथाओं से जुड़ा हुआ है। हाथरस को हींग नगरी के साथ-साथ रंग नगरी भी कहा जाता है। काका हाथरसी के नाम से पहचाने जाने वाले हाथरस संसदीय सीट गत साढ़े तीन दशक से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का दबदबा रहा है। इस चुनाव में उसकी नजर जीत की हैट्रिक पर लगी है। हाथरस सीट अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व सीट है। यहां तीसरे चरण में 7 मई को वोटिंग होगी।

हाथरस लोकसभा सीट का इतिहास

ब्रज क्षेत्र की इस चर्चित संसदीय सीट पर 1962 में पहली बार आम चुनाव हुए जिसमें कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी। उसके बाद 1967, 1971 में भी यहां कांग्रेस जीती। इस सीट पर 1991 से 2004 तक भाजपा का ही कब्ज़ा रहा। 1996 से लेकर 2004 तक भाजपा के किशन लाल दिलेर यहां से सांसद रहे। उनके निधन के बाद 2009 में यह सीट भाजपा-रालोद गठबंधन के चलते राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के खाते में चली गई थी। जिस पर रालोद प्रत्याशी सारिका बघेल ने जीत दर्ज कराई थी। 2014 में भाजपा के राजेश कुमार दिवाकर ने यहां से जीत हासिल की। 2019 में लगातार दूसरी बार भाजपा यहां से जीती। इस सीट पर 15 बार हुए चुनाव में अब तक सात बार भाजपा, 4 बार कांग्रेस, दो बार जनता पार्टी, 1-1 बार जनता दल और रालोद जीत दर्ज करा चुके हैं। कांग्रेस यहां से आखिरी बार 40 साल पहले चुनाव में जीती थी। समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का अभी तक यहां खाता ही नहीं खुला है।

2019 आम चुनाव के नतीजे

2019 के आम चुनाव में भाजपा प्रत्याशी राजवीर सिंह दिलेर ने यहां जीत दर्ज की। राजवीर सिंह को 684,299 (59.43 फीसदी) वोट मिले। सपा-बसपा-रालोद गठबंधन के प्रत्याशी रामजी लाल सुमन को 424,091 (36.83 फीसदी) वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे। भाजपा ने यह चुनाव 260,208 मतों के अंतर से जीता था। 2014 के आम चुनाव में भाजपा प्रत्याशी राजेश कुमार दिवाकर ने कुल 544,277 (51.87 फीसदी) वोट हासिल कर जीत दर्ज की थी। बसपा प्रत्याशी मनोज कुमार सोनी 217,891 (20.77 फीसदी) वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे। इस चुनाव में जीत का अंतर 3 लाख से ज्यादा वोटों का रहा।

किस पार्टी ने किसको बनाया उम्मीदवार

भाजपा ने मौजूदा सांसद राजवीर दिलेर का टिकट काटकर अलीगढ़ की खैर विधानसभा से भाजपा विधायक और राजस्व मंत्री अनूप बाल्मीकि पर विश्वास जताया है। सपा और कांग्रेस के गठबंधन ने हाथरस लोकसभा पर जसवीर वाल्मीकि को प्रत्याशी बनाया है। इंडी गठबंधन में ये सीट सपा के खाते में है। बसपा ने हेमबाबू धनगर पर दांव लगाया है।

हाथरस सीट का जातीय समीकरण

हाथरस लोकसभा उत्तर प्रदेश की सीट नंबर-16 है। लोकसभा चुनाव 2024 में हाथरस सीट के 19,30,297 वोटर हैं। जिनमें पुरुष वोट 1034392, महिला 895855 और बाकी थर्ड जेंडर के वोटर हैं। इस सीट पर ब्राह्मण वोटर 305410, ठाकुर 243810, जाट 197218, जाटव 173280, मुस्लिम 167819, बघेल 116380, यादव 79164, कोरी 59792, बाल्मीकि 70984, खटीक 20320 और शेष में अन्य जातियां व बिरादरी शामिल हैं।

विधानसभा सीटों का हाल

हाथरस लोकसभा उप्र की सीट नंबर-16 है। हाथरस लोकसभा सीट में कुल पांच विधानसभा सीटें आती हैं। ये सीटें छर्रा, इगलास, हाथरस, सादाबाद और सिकंदराराऊ है। छर्रा और इगलास सीटें अलीगढ़ जिले में आती हैं। सादाबाद में बसपा और बाकी अन्य सीटों पर भाजपा का कब्जा है।

दलों की जीत का गणित और चुनौतियां

हाथरस मुस्लिम-जाट वोटरों के प्रभाव वाली सीट है। यही कारण रहा कि भाजपा-रालोद को यहां लगातार जीत मिलती रही। भाजपा-रालोद का गठबंधन होने के चलते रालोद का वोटर सीधे भाजपा को ट्रांसफर होगा, जिससे भाजपा की राह यहां आसान दिखाई देती है। बीते कई चुनावों में बसपा को यहां पर लगातार लाखों वोट मिले हैं, इसलिए बसपा को इस सीट पर कमतर नहीं आंका जा सकता है। सपा प्रत्याशी को लेकर पार्टी के अंदर नाराजगी का माहौल है। वहीं सपा का यहां कभी खाता नहीं खुला और कांग्रेस 40 साल पहले यहां से अंतिम बार जीती थी। इंडिया गठबंधन पीडीए के सहारे है।

हाथरस के पत्रकार पवन पंडित के कहते हैं, हाथरस भाजपा का गढ़ है। यहां इस बार भी मुकाबला एकतरफा है। भाजपा-रालोद प्रत्याशी विपक्ष पर भारी दिखाई दे रहा है।

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