हिजाब विवाद पर केरल शिक्षा मंत्री का बयान: “मामला खत्म, अब नया कुछ नहीं”
तिरुवनंतपुरम, 19 अक्टूबर 2025: केरल में हिजाब विवाद ने हाल ही में सुर्खियां बटोरीं, लेकिन अब राज्य के शिक्षा मंत्री वी. शिवनकुट्टी ने इस मुद्दे को पूरी तरह खत्म घोषित कर दिया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस मामले में अब कोई नई बात जोड़ने की जरूरत नहीं है। कोच्चि के एक स्कूल में मुस्लिम छात्रा को हिजाब के कारण कक्षा में प्रवेश से रोके जाने के बाद यह विवाद शुरू हुआ था। शिक्षा मंत्री ने इसे संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन बताया था, लेकिन अब उनका कहना है कि मामला सुलझ चुका है। इस विवाद ने स्कूल की यूनिफॉर्म नीति और धार्मिक अधिकारों के बीच टकराव को फिर से उजागर किया। आखिर इस मामले की जड़ क्या थी, और इसे कैसे सुलझाया गया? यह समझने के लिए आइए, इस मुद्दे को तीन हिस्सों में देखते हैं।
हिजाब विवाद की शुरुआत: स्कूल का फैसला
कोच्चि के पल्लुरुथी इलाके में स्थित सेंट रीटा पब्लिक स्कूल, जो एक लैटिन कैथोलिक चर्च द्वारा संचालित सीबीएसई स्कूल है, में यह विवाद शुरू हुआ। कक्षा 8 की एक मुस्लिम छात्रा ने जून 2025 से स्कूल की यूनिफॉर्म का पालन किया, लेकिन 7 अक्टूबर को हिजाब पहनकर स्कूल पहुंची। स्कूल प्रबंधन ने इसे यूनिफॉर्म नीति का उल्लंघन मानते हुए छात्रा को कक्षा में प्रवेश से रोक दिया। स्कूल ने 2018 के केरल हाईकोर्ट के फैसले का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि व्यक्तिगत धार्मिक अधिकार संस्थागत अनुशासन से ऊपर नहीं हो सकते। इस घटना ने स्थानीय स्तर पर बहस छेड़ दी, क्योंकि छात्रा के परिवार और कुछ संगठनों ने इसे धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन बताया। मामला जल्द ही शिक्षा विभाग तक पहुंचा, जिसने इस पर त्वरित कार्रवाई की मांग की।
शिक्षा मंत्री की प्रतिक्रिया: संवैधानिक अधिकारों पर जोर
शिक्षा मंत्री वी. शिवनकुट्टी ने इस मामले में सख्त रुख अपनाया। उन्होंने स्कूल के फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि कोई भी संस्थान छात्रों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं कर सकता। उन्होंने इस घटना को सांप्रदायिक ताकतों की साजिश करार दिया और छात्रा के शिक्षा के अधिकार की रक्षा पर जोर दिया। मंत्री ने स्कूल प्रबंधन को तुरंत इस मामले को सुलझाने का निर्देश दिया। उनके बयान ने विवाद को और तूल दे दिया, क्योंकि कुछ लोग स्कूल की नीतियों का समर्थन कर रहे थे, जबकि अन्य इसे धार्मिक भेदभाव मान रहे थे। शिवनकुट्टी ने स्पष्ट किया कि शिक्षा विभाग हर छात्र के अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है, और इस मामले को जल्द सुलझाने की बात कही। उनकी यह टिप्पणी विवाद को शांत करने में अहम साबित हुई।
मामला सुलझा, अब क्या?
शिक्षा मंत्री के हस्तक्षेप के बाद यह मामला 19 अक्टूबर 2025 की सुबह तक सुलझ गया। शिवनकुट्टी ने कहा, “मामला खत्म हो चुका है, और अब इसमें कुछ नया जोड़ने की जरूरत नहीं।” उन्होंने आगे कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया, ताकि विवाद को और हवा न मिले। हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि मामला कैसे सुलझा, लेकिन सूत्रों के अनुसार, स्कूल और छात्रा के परिवार के बीच समझौता हुआ। इस घटना ने स्कूलों में यूनिफॉर्म नीतियों और धार्मिक स्वतंत्रता के बीच संतुलन पर सवाल उठाए। भविष्य में ऐसे मामलों से निपटने के लिए स्पष्ट दिशानिर्देशों की जरूरत पर भी जोर दिया जा रहा है। शिक्षा मंत्री ने इस बीच अन्य शैक्षणिक गतिविधियों, जैसे मुख्यमंत्री ट्रॉफी और समावेशी खेलों पर ध्यान केंद्रित करने की बात कही, ताकि सकारात्मक माहौल बनाया जा सके।
