11सूत्री मांगों को लेकर जोशीमठ आपदा प्रभावितों ने दिया धरना

चमोली जिले के जोशीमठ भूधंसाव प्रभावितों ने अपनी 11सूत्री मांगों पर सरकार की ओर से कोई ठोस कार्रवाई न होने पर सोमवार को तहसील परिसर में धरना दिया और एक ज्ञापन उप जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को भेजा।
जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक अतुल सती और प्रवक्ता कमल रतूड़ी ने कहा कि संघर्ष समिति की ओर से जोशीमठ बचाने को लेकर ठोस कार्रवाई किये जाने को लेकर तीन माह तक लगातार आंदोलन किया गया।
इसके बाद आठ अप्रैल को मुख्यमंत्री से देहरादून में 11सूत्री मांग पर वार्ता हुई, जिस पर सीएम ने सहमति जताते हुए शीघ्र ही समाधान की का आश्वासन दिया, लेकिन चार माह गुजर जाने के बाद भी अभी तक उनकी मांग पर कोई ठोस कार्रवाई अमल में नहीं लायी गई है। इससे लोगों में खासा रोष व्याप्त है। आपदा प्रभावित स्वयं को ठगा सा महसूस कर रहे है। उन्होंने सरकार से अविलंब उनकी मांगों पर गौर करते हुए समाधान की मांग की है।
धरना देने वालों में अतुल सती, कमल रतूड़ी, प्रेमा देवी, पूनम देवी, जानकी देवी, पार्वती देवी, प्रेमा लाल, विमला देवी, बद्री लाल आदि शामिल थे।
जोशीमठ के प्रभावितों की मांग-
संपूर्ण जोशीमठ को आपदा प्रभावित घोषित करते हुए प्रभावित वर्गों को हुए नुकसान की भरपाई की जाय। जिसमें दूध व्यवसाईयों, दैनिक मजदूरों, पर्यटन पर निर्भर लोगों, व्यवसाइयों एवं कृषकों को हुए नुकसान की भरपाई की जाए।
जोशीमठ की आपदा के संदर्भ में देश की शीर्ष आठ संस्थाओं ने सर्वेक्षण अध्ययन किया गया है। उनके अध्ययन की रिपोर्ट को शीघ्र सार्वजनिक किया जाना चाहिए, जिससे लोगों में व्याप्त तमाम आशंकाओं का समाधान हो सके।
जोशीमठ में बहुत सी बेनामी भूमि पर लोग काबिज हैं, जिससे इस आपदा काल में लोगों के सामने भूमिहीन होने का संकट खड़ा हो गया है। अतः स्थानीय स्तर पर भू बन्दोबती कर लोगों के खातों में भूमि दर्ज की जाए।
स्थानीय निवासियों की सेना को गयी भूमि का भुगतान करवाया जाये, जिससे इस आपदा काल में लोगों को आर्थिक सहायता हो सके।
सरकार की ओर से घोषित मुआवजा नीति में होम स्टे को व्यावसायिक श्रेणी से हटाया जाये।
बेघर हुए प्रभावितों की स्थाई विस्थापन पुनर्वास की व्यवस्था न होने तक वैकल्पिक व्यव्स्था कम से कम साल भर तक की जाए।
तपोवन विष्णुगाढ़ जल विद्युत परियोजना की निर्मात्री एंटीपीसी कंपनी कम्पनी के साथ हुए 2010 के समझौते को लागू किया जाय।
तपोवन विष्णुगाड़ परियोजना एवं हेलंग मारवाड़ी बाइपास पर स्थाई रोक लगे।
जोशीमठ के स्थाईकरण एवम नव निर्माण के कार्यों की मॉनिटरिंग के लिये कमेटी बने, जोशीमठ बचाओ संघर्ष समीति इस कमेटी में शामिल की जाए।
जोशीमठ आपदा प्रभावितों की भूमि का मूल्य शीघ्र निर्धारित किया जाए।
चार माह पूर्व सरकार की ओर से किए गए शासनादेश के अनुपालन के क्रम में जोशीमठ में विस्थापन एवम पुनर्वास के लिए एक स्थाई कार्यालय शीघ्र प्रारंभ किया जाए।
