• December 26, 2025

जनसुराज की पहली उम्मीदवार सूची: कर्पुरी ठाकुर की पोती से भोजपुरी स्टार तक, बिहार की सियासत में नया दांव

पटना, 9 अक्टूबर 2025: बिहार की राजनीति में 2025 विधानसभा चुनावों से पहले हलचल तेज हो गई है। प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी ने गुरुवार को उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की, जिसमें 51 नाम शामिल हैं। इनमें कर्पुरी ठाकुर की पोती जैगृति ठाकुर और पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह की बेटी लता सिंह जैसे बड़े चेहरे हैं, जो पार्टी को नई ऊंचाई दे सकते हैं। एक भोजपुरी गायक से लेकर गणितज्ञ और पूर्व आईपीएस तक—यह लिस्ट विविधता की मिसाल है। लेकिन क्या यह सूची जनसुराज को तीसरा विकल्प बना पाएगी, या एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच सेंधमारी करेगी? प्रशांत किशोर का नाम गायब है, लेकिन उनका रघोपुर से कैंपेन शुरू होने वाला ऐलान सस्पेंस बढ़ा रहा। आइए, इसकी परतें खोलें, जहां जातिगत समीकरण और नए चेहरे सियासत को नया रंग दे रहे।

सूची के प्रमुख चेहरे: कर्पुरी ठाकुर की विरासत से RCP सिंह की नई पीढ़ी तक

जनसुराज की इस पहली लिस्ट ने बिहार के 26 जिलों से उम्मीदवार चुने, जो पार्टी की व्यापक पहुंच दिखा रही। सबसे चर्चित नाम पूर्व मुख्यमंत्री कर्पुरी ठाकुर की पोती जैगृति ठाकुर का है, जिन्हें समस्तीपुर के मोरवा विधानसभा सीट से टिकट मिला। तीन महीने पहले पार्टी में शामिल हुईं जैगृति ने कहा था, “दादा के नाम पर सिर्फ राजनीति होती है, मैं उनके सपनों को साकार करूंगी।” यह चयन अति पिछड़े वर्ग के वोट बैंक को मजबूत करने का संकेत है। दूसरा बड़ा नाम आरसीपी सिंह की बेटी लता सिंह का, जिन्हें नालंदा जिले के अस्थावां से मैदान में उतारा गया। RCP सिंह के पूर्व जदयू अध्यक्ष रहने से यह फैसला पार्टी को केंद्रीय स्तर पर मजबूती देगा। इसके अलावा, कुम्हरार से गणितज्ञ प्रोफेसर केसी सिन्हा को टिकट मिला, जो शिक्षा और विकास के मुद्दों पर फोकस करेंगे। समस्तीपुर, नालंदा जैसे जिलों में ये चेहरे स्थानीय मुद्दों को हवा देंगे। कुल मिलाकर, ये नाम जनसुराज को पारंपरिक दलों से अलग दिखाने की कोशिश हैं, जहां विरासत और नई ऊर्जा का मेल है।

विविध उम्मीदवार: भोजपुरी गायक से किन्नर प्रतिनिधि तक, जनसुराज का नया फॉर्मूला

सूची में विविधता ही जनसुराज की ताकत नजर आ रही। भोजपुरी एक्टर और गायक रितेश रंजन पांडे को रोहतास जिले के करगहर से टिकट दिया गया, जो युवाओं और ग्रामीण इलाकों में पॉपुलर हैं। उनकी लोकप्रियता से पार्टी को सांस्कृतिक अपील मिलेगी। दरभंगा से पूर्व आईपीएस आर के मिश्रा और मांझी से वाई वी गिरी जैसे अनुभवी चेहरे सुरक्षा और विकास के एजेंडे को मजबूत करेंगे। खास बात—गोपालगंज के भोरे से थर्ड जेंडर कम्युनिटी से प्रीति किन्नर को टिकट, जो सामाजिक समावेश का संदेश दे रही। जनसुराज के राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “हम जाति-धर्म से ऊपर उठकर उम्मीदवार चुने।” लिस्ट में 51 में से कई महिलाएं और युवा हैं, जो प्रशांत किशोर की ‘जनता की आवाज’ वाली थीम को साकार कर रहे। पटना के शेखपुरा हाउस में ऐलान के दौरान कुछ उम्मीदवारों ने टिकट न मिलने पर हंगामा भी किया, जो पार्टी की आंतरिक चुनौतियां दिखा रहा। कुल मिलाकर, यह फॉर्मूला बिहार की सियासत को नया मोड़ दे सकता है, जहां भोजपुरी स्टार से लेकर किन्नर तक सबकी भागीदारी है।

अति पिछड़ों को प्राथमिकता: जातिगत संतुलन और पार्टी की रणनीति

जनसुराज ने सूची में सामाजिक न्याय को प्राथमिकता दी। 51 उम्मीदवारों में 17 अति पिछड़े वर्ग (EBC) से हैं, जो बिहार के 36% वोट बैंक को टारगेट कर रही। 11 पिछड़े वर्ग, 8-9 अल्पसंख्यक, और बाकी सामान्य वर्ग से। आरक्षित 7 सीटों पर फोकस के साथ कुल 28 पिछड़े-अति पिछड़े उम्मीदवार हैं, जो कर्पुरी ठाकुर के ‘सामाजिक न्याय’ एजेंडे को दोहरा रही। उदय सिंह ने कहा, “हम NDA और महागठबंधन के बीच तीसरा विकल्प हैं, जो वास्तविक बदलाव लाएंगे।” प्रशांत किशोर 11 अक्टूबर को रघोपुर (तेजस्वी यादव का गढ़) से कैंपेन शुरू करेंगे, लेकिन उनकी सीट का ऐलान बाकी है। पार्टी ने क्राउडफंडिंग ऐप लॉन्च किया, जिससे ‘जनता का पार्टी’ इमेज मजबूत हो। लेकिन चुनौती—2020 में जनसुराज का वोट शेयर कम था, अब 243 सीटों पर अकेले लड़ना जोखिम भरा। विश्लेषक कहते हैं, EBC फोकस से RJD-JD(U) के वोट कट सकते हैं। कुल मिलाकर, यह रणनीति बिहार को जाति-मुक्त राजनीति की ओर ले जाने का दावा कर रही, लेकिन 2025 की असली परीक्षा वोटरों के फैसले में होगी।
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