• December 28, 2024

जानकी मैया को ब्याहकर लौटे भगवान जगन्नाथ

 जानकी मैया को ब्याहकर लौटे भगवान जगन्नाथ

अलवर , 20 जुलाई । भगवान जगन्नाथ शनिवार अलसुबह जानकी मैया से विवाह के बाद सुभाष चौक मंदिर लौटे। शुक्रवार की शाम रूपबास से रथ में सवार होकर भगवान जगन्नाथ और जानकी मैया मंदिर रवाना हुए थे। इस दौरान रास्ते में पढ़ने वाले करीब 50 मंदिरों में पूजा अर्चना की गई। करीब 6 किलोमीटर के इस सफर में 12 घंटे से अधिक का समय लग गया। रथ यात्रा में सवार मनमोहक छवि को देखने के लिए शहरवासी ने अपने पलक पांवड़े बिछाए। एक झलक पाने के लिए श्रद्धालु आतुर रहे। हाथ जोड़कर प्रणाम कर श्रद्धालुओं ने मन्नते मांगी। रूपबास से लेकर सुभाष चौक मंदिर तक रोड के दोनों ओर श्रद्धालुओं का सैलाब रथ देखने के लिए उमडा हुआ था। इस दौरान रास्ते में श्रद्धालुओं के लिए विभिन्न प्रकार की प्याऊ, भंडारे आदि सामाजिक संस्थाओं के लोगों द्वारा लगाए गए। वहीं बच्चों के खिलौनों की दुकानें, झूले आदि इन्हीं मार्गों पर लगाए गए थे।

अलवर शहर में यह मेला बड़े पैमाने

पर भरता है। भगवान जगन्नाथ सुभाष चौक मंदिर से पहले रुपबास मंदिर पहुंचते हैं। इसके बाद वहां जानकी और जगन्नाथ की वरमाला के बाद सभी हिन्दू संस्कार के साथ शादी होती है। जिसके हजारों श्रद्धालु साक्षी बनते हैं। प्रतिमाओं की वरमाला कराई जाती हैं। विवाह के बाद भगवान जानकी मैया को लेकर अपने साथ लौटते हैं। उन्हें देखने के लिए श्रद्धा का जनसैलाब हर साल उमड़ता हैं।

270 साल पुराना हैं मंदिर

जिला मुख्यालय पर पुराने कटले में ही स्थित हैं भगवान जगन्नाथ का अनुमानत: 270 वर्ष पुराना मन्दिर। यहीं वह स्थान हैं जहां प्रतिवर्ष आषाढ शुक्ला नवमी से त्रयोदशी तक रथयात्रा महोत्सव का आयोजन होता है। भगवान जगन्नाथ की यह रथ यात्रा उडीसा के जगन्नाथपुरी की भांति उनकी बारात का स्वरुप होता है।

Digiqole Ad

Related Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *