जैसलमेर बस हादसा: एक दर्दनाक त्रासदी ने छीनी 20 जिंदगिया
जैसलमेर, 14 अक्टूबर 2025: राजस्थान के जैसलमेर में एक निजी बस में लगी भीषण आग ने पूरे देश को झकझोर दिया है। इस भयावह हादसे ने कई परिवारों की खुशियां छीन लीं, जिसके बाद राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने गहरा दुख व्यक्त किया है। सरकार ने मृतकों के परिजनों और घायलों के लिए मुआवजे की घोषणा की है, साथ ही राहत कार्यों को तेजी से शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं। इस त्रासदी ने सुरक्षा मानकों पर सवाल उठाए हैं। आखिर कैसे हुआ ये हादसा, और इसके पीछे की वजह क्या थी? क्या प्रशासन की त्वरित कार्रवाई से कुछ जिंदगियां बचाई जा सकती थीं? इस घटना ने स्थानीय समुदाय को गहरे सदमे में डाल दिया है। आइए, इस दुखद घटना के विभिन्न पहलुओं को समझते हैं।
हादसे का भयावह मंजर
जैसलमेर के बाहरी इलाके में मंगलवार दोपहर एक निजी बस में अचानक आग लग गई। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, बस में सवार यात्री उस समय सामान्य यात्रा कर रहे थे, जब अचानक धुआं उठने लगा। देखते ही देखते आग ने पूरी बस को अपनी चपेट में ले लिया। आग इतनी तेज थी कि यात्रियों को बाहर निकलने का मौका तक नहीं मिला। स्थानीय पुलिस के अनुसार, बस में तकरीबन 30 यात्री सवार थे, जिनमें से 20 की जलकर मौत हो गई। बचाव दल तुरंत मौके पर पहुंचा, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी। प्रारंभिक जांच में बस की तकनीकी खराबी को आग का कारण माना जा रहा है, हालांकि अभी जांच जारी है। स्थानीय लोगों ने भी बचाव में मदद की, लेकिन आग की तीव्रता ने सभी प्रयासों को नाकाम कर दिया। इस घटना ने न केवल जैसलमेर, बल्कि पूरे देश को शोक में डुबो दिया।
नेताओं की संवेदना और मुआवजा
हादसे की खबर फैलते ही राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इसे अत्यंत पीड़ादायक बताया। उन्होंने मृतकों के परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त की और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी गहरा दुख जताया और पीएम राष्ट्रीय राहत कोष से मृतकों के परिजनों को 2 लाख रुपये और घायलों को 50,000 रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की। पीएम ने कहा कि उनकी सरकार प्रभावित परिवारों के साथ है। मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने भी इस त्रासदी को हृदयविदारक बताया और घटनास्थल का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने अधिकारियों को घायलों के इलाज और प्रभावितों को हरसंभव सहायता प्रदान करने के निर्देश दिए। इन संवेदनाओं और मुआवजे की घोषणा ने पीड़ितों के परिवारों को कुछ राहत देने की कोशिश की है।
सवालों के घेरे में सुरक्षा मानक
इस हादसे ने बसों में सुरक्षा मानकों पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। आखिर कैसे एक चलती बस में इतनी भयावह आग लग गई? क्या बस का रखरखाव ठीक था? क्या चालक और परिचालक ने समय रहते उचित कदम उठाए? प्रारंभिक जांच में तकनीकी खराबी की बात सामने आई है, लेकिन स्थानीय लोग और यात्री परिजन प्रशासन की लापरवाही पर भी सवाल उठा रहे हैं। कई लोगों का कहना है कि अगर समय पर अग्निशमन सेवाएं उपलब्ध होतीं, तो शायद कुछ जिंदगियां बचाई जा सकती थीं। इस घटना ने सड़क परिवहन और यात्री सुरक्षा को लेकर नीतियों की समीक्षा की जरूरत को उजागर किया है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी त्रासदियों को रोकने के लिए सख्त नियम और नियमित जांच जरूरी है। जैसलमेर का यह हादसा अब केवल एक खबर नहीं, बल्कि एक सबक है जो भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने की मांग करता है।
