Indian Air Force Day: भविष्य में कितनी ताकतवर हो सकती है भारतीय वायुसेना? क्या है नया डोम सिस्टम, जानें डिटेल्स
नई दिल्ली, 7 अक्टूबर 2025: आज भारतीय वायुसेना के गठन दिवस पर नजरें भविष्य की ओर हैं। 1932 में स्थापित यह ताकत मई 2025 के ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान को करारा जवाब देकर साबित कर चुकी है कि तकनीक और समन्वय से युद्ध का चेहरा बदल सकता है। लेकिन आने वाले दशकों में वायुसेना का स्वरूप कैसा होगा? 2047 तक 60 स्क्वाड्रन का लक्ष्य, स्वदेशी विमानों का दमदार बेड़ा और एयर डिफेंस में नया ‘डोम’ सिस्टम कैसे भारत को अजेय बनाएगा? पुराने मिग विमानों की विदाई से चुनौतियां हैं, लेकिन तेजस, अमका जैसे प्रोजेक्ट उम्मीद जगाते हैं। ड्रोन, एआई और मिसाइल शील्ड की भूमिका क्या होगी? यह सब जानने के लिए पढ़ें आगे की पूरी कहानी।
ऑपरेशन सिंदूर: वायुसेना की ताकत का नया सबूत
मई 2025 में ऑपरेशन सिंदूर ने दुनिया को दिखा दिया कि भारतीय वायुसेना अब पारंपरिक सीमाओं से परे सोचती है। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के जवाब में 7 मई को भारत ने पाकिस्तान के बालाकोट जैसे इलाकों में मिसाइल और एयर स्ट्राइक्स किए। थल और वायुसेना की संयुक्त कार्रवाई ने जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के नौ ठिकानों को ध्वस्त कर दिया। पाकिस्तानी ड्रोन और मिसाइलों को हवा में ही मार गिराने से दुश्मन की कमर टूट गई। एयर डिफेंस सिस्टम ने नागरिक और सैन्य ठिकानों को सुरक्षित रखा, जबकि एस-400 ने 300 किमी दूर से पाकिस्तानी लड़ाकू विमान गिराए। यह ऑपरेशन थिएटर कमांड की ताकत का प्रतीक था, जहां एआई ने कमांड एंड कंट्रोल को तेज किया। ड्रोन की सटीक मार से साबित हुआ कि भविष्य का युद्ध तकनीक पर टिका है। वायुसेना ने न सिर्फ रक्षा की, बल्कि आक्रामक क्षमता से पाकिस्तान को युद्धविराम के लिए मजबूर कर दिया। यह सफलता आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम है, जहां स्वदेशी सिस्टम दुश्मन के होश उड़ा देते हैं।
2047 तक का सफर: स्वदेशी बेड़े से दोगुनी ताकत
भारतीय वायुसेना का 2047 का सपना भारत की आजादी के शताब्दी वर्ष में 60 स्क्वाड्रन का बेड़ा है, जो वर्तमान 31 से दोगुना होगा। फिलहाल 42 की स्वीकृत संख्या भी पूरी नहीं, क्योंकि मिग-21 जैसे पुराने विमान रिटायर हो रहे हैं। लेकिन तेजस एमके-1ए (83 ऑर्डर), एमके-2 (200+ यूनिट्स) और एमआरएफए जैसे प्रोजेक्ट से 500-600 नए लड़ाकू जेट जुड़ेंगे। सुखोई-30 एमकेआई (260+) का अपग्रेड, राफेल (36) और जगुआर का मिश्रण वर्तमान ताकत है। पांचवीं पीढ़ी का स्टेल्थ विमान अमका (एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट) 2028 से शामिल होगा, जो एआई से लैस होकर हाइपरसोनिक स्पीड देगा। परिवहन में सी-295 और हेलीकॉप्टरों की रेंज बढ़ेगी। यह सब घरेलू उत्पादन पर टिका है—एचएएल की नासिक लाइन से तेजस का उत्पादन दोगुना होगा। चीन की 1900+ फाइटरों के मुकाबले भारत का यह बेड़ा दो-मोर्चा युद्ध में वायु प्रभुत्व सुनिश्चित करेगा। आत्मनिर्भर भारत की यह रणनीति न सिर्फ संख्या, बल्कि क्वालिटी में क्रांति लाएगी, जहां ड्रोन स्वार्म और स्पेस इंटीग्रेशन से वायुसेना एयरोस्पेस फोर्स बनेगी।
नया डोम सिस्टम: मिशन सुदर्शन चक्र से अजेय एयर शील्ड‘
डोम सिस्टम’ यानी मिशन सुदर्शन चक्र—भारत का देसी आयरन डोम, जो 2035 तक पूरा होगा। स्वतंत्रता दिवस 2025 पर पीएम मोदी ने घोषणा की कि यह बहुस्तरीय शील्ड रॉकेट, ड्रोन, मिसाइल और हाइपरसोनिक खतरों को हवा में नष्ट करेगा, साथ ही काउंटर स्ट्राइक देगा। आकाशतीर (अका’शीतिर) इसका आधार है—2024 में इंडक्टेड यह वाहन-आधारित सिस्टम रडार, सेंसर और कम्युनिकेशन को एकीकृत कर रीयल-टाइम अलर्ट देता है। ऑपरेशन सिंदूर में आकाशतीर ने पाक ड्रोन हमलों को विफल किया, फ्रेंडली फायर रोका। अब मिशन में प्रोजेक्ट कुशा (350 किमी रेंज), एस-400 (400 किमी), आकाश (30 किमी), बराक-8 (70 किमी) और आईएडीडब्ल्यूएस (क्यूआरएसएएम, वीएसएचओआरएडीएस, डायरेक्टेड एनर्जी वेपन) जुड़ेंगे। एआई से कंट्रोल्ड, यह आर्मी, नेवी, एयरफोर्स को जोड़ेगा। 2030-35 के दो चरणों में 10 साल में विस्तार होगा, जहां स्पेस ट्रैकिंग और साइबर प्रोटेक्शन शामिल। रक्षा कवच से सैनिक सुरक्षित, यह सिस्टम दुश्मन को कई गुना जवाब देगा। भारत अब आयरन डोम से आगे, पूरी तरह स्वदेशी शील्ड से अजेय बनेगा।