पाक-सऊदी रक्षा समझौते पर भारत सतर्क: ‘हम पहले से जानते थे, करीब से निगरानी रखेंगे’
नई दिल्ली, 18 सितंबर 2025: सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच हाल ही में हुए रक्षा समझौते ने क्षेत्रीय सुरक्षा को लेकर नई बहस छेड़ दी है। दोनों देशों ने ‘रणनीतिक पारस्परिक रक्षा समझौता’ पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसमें कहा गया है कि एक पर हमला दूसरे पर हमला माना जाएगा। भारत ने इस समझौते पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि वह पहले से इसकी जानकारी रखता था और इसके प्रभावों का गहन अध्ययन करेगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायस्वाल ने कहा, “हमें इसकी खबर थी… हम करीब से नजर रखेंगे।” यह बयान क्षेत्र में बढ़ते तनाव के बीच आया है, जहां भारत-पाकिस्तान के बीच पहले ही तनावपूर्ण संबंध हैं।इस समझौते की घोषणा 17 सितंबर को रियाद में हुई। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ सऊदी अरब के दौरे पर थे, जहां उन्होंने सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से मुलाकात की। दोनों नेताओं ने समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसमें सैन्य सहयोग को मजबूत करने और किसी भी बाहरी आक्रमण के खिलाफ संयुक्त कार्रवाई का वादा किया गया। पाकिस्तानी सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर भी इस समारोह में मौजूद थे। सऊदी मीडिया के अनुसार, यह समझौता दोनों देशों के दशकों पुराने संबंधों को औपचारिक रूप देता है।
पाकिस्तान ने 1967 से अब तक 8,200 से अधिक सऊदी सैनिकों को प्रशिक्षण दिया है, और दोनों देश नियमित संयुक्त सैन्य अभ्यास करते रहे हैं।समझौते के तहत, सऊदी अरब को पाकिस्तान की परमाणु क्षमता का अप्रत्यक्ष लाभ मिल सकता है, क्योंकि पाकिस्तान एक परमाणु हथियार संपन्न देश है। सऊदी अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि यह समझौता किसी विशिष्ट घटना या देश के खिलाफ नहीं है, बल्कि दोनों देशों के बीच लंबे समय से चली आ रही सहयोग को मजबूत करने का कदम है। एक वरिष्ठ सऊदी अधिकारी ने कहा, “यह व्यापक रक्षात्मक समझौता है, जो सभी सैन्य साधनों को शामिल करता है।” उन्होंने भारत के साथ संबंधों पर भी जोर दिया और कहा, “भारत के साथ हमारे संबंध पहले से कहीं अधिक मजबूत हैं। हम इस संबंध को और मजबूत करेंगे और क्षेत्रीय शांति में योगदान देंगे।”भारत की प्रतिक्रिया तुरंत आई। विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को एक बयान जारी कर कहा कि भारत इस समझौते के बारे में पहले से अवगत था। प्रवक्ता रणधीर जायस्वाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “हमने सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच रणनीतिक पारस्परिक रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर की खबरें देखी हैं। हम इसके प्रभावों का अध्ययन करेंगे, खासकर हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा, क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता के संदर्भ में।
” विशेषज्ञों का मानना है कि भारत का यह बयान सतर्कता का संकेत है। भारत को चिंता है कि यह समझौता पाकिस्तान को सऊदी अरब के समर्थन से और मजबूत बना सकता है, जो दक्षिण एशिया में संतुलन बिगाड़ सकता है।इस समझौते का पृष्ठभूमि में मई 2025 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए संक्षिप्त सैन्य संघर्ष को भी जोड़ा जा रहा है। उस संघर्ष को सऊदी अरब की मध्यस्थता से रोका गया था। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने जून में सऊदी क्राउन प्रिंस को धन्यवाद दिया था। अब यह नया समझौता उस मध्यस्थता को और गहरा बना सकता है। सऊदी अरब अमेरिका की सुरक्षा गारंटी पर सवाल उठाने के बीच ऐसे कदम उठा रहा है। खाड़ी देश अब क्षेत्रीय खतरों से निपटने के लिए पाकिस्तान जैसे सहयोगियों पर भरोसा कर रहे हैं।पाकिस्तान के लिए यह समझौता आर्थिक और सैन्य दोनों रूप से फायदेमंद है। सऊदी अरब लंबे समय से पाकिस्तान को तेल आपूर्ति और वित्तीय सहायता देता रहा है। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था संकट में है, और सऊदी निवेश से उसे राहत मिल सकती है। प्रधानमंत्री शरीफ ने कहा, “यह समझौता दोनों देशों की सुरक्षा और क्षेत्रीय शांति के लिए प्रतिबद्धता को दर्शाता है।” पाकिस्तानी विदेश कार्यालय ने इसे ‘भाईचारे का प्रतीक’ बताया। सऊदी एयर फोर्स ने शरीफ के विमान को एस्कॉर्ट किया, जो संबंधों की गहराई दिखाता है।भारतीय विशेषज्ञों का कहना है कि यह समझौता क्षेत्रीय गतिशीलता बदल सकता है। रक्षा विश्लेषक प्रवीण दहिया ने कहा, “पाकिस्तान को सऊदी समर्थन मिलने से भारत को अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करना पड़ेगा। लेकिन भारत के सऊदी के साथ आर्थिक संबंध मजबूत हैं, जो 100 अरब डॉलर से अधिक के व्यापार पर आधारित हैं।” सऊदी ने भारत को आश्वस्त किया है कि यह समझौता उसके साथ संबंधों को प्रभावित नहीं करेगा। दोनों देशों के बीच ऊर्जा, निवेश और रक्षा सहयोग बढ़ रहा है।क्षेत्रीय विशेषज्ञों के अनुसार, यह समझौता मध्य पूर्व और दक्षिण एशिया के बीच एक पुल का काम कर सकता है।
लेकिन भारत को पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम पर चिंता है। अंतरराष्ट्रीय मीडिया में रिपोर्ट्स हैं कि सऊदी अरब लंबे समय से पाकिस्तान से परमाणु तकनीक की मदद चाहता रहा है। हालांकि, सऊदी अधिकारी ने इसे खारिज किया है। रॉयटर्स ने रिपोर्ट किया कि यह समझौता अमेरिका की नीतियों से अलगाव का संकेत है, क्योंकि सऊदी अब स्वतंत्र सुरक्षा नीति अपनाना चाहता है।भारत सरकार ने कहा है कि वह सभी पहलुओं की निगरानी रखेगी। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने संसदीय समिति को बताया कि भारत क्षेत्रीय स्थिरता के लिए प्रतिबद्ध है। विशेषज्ञ सलाह दे रहे हैं कि भारत को अपने QUAD और अन्य साझेदारों के साथ सहयोग बढ़ाना चाहिए।यह समझौता वैश्विक स्तर पर भी चर्चा का विषय बना हुआ है। अमेरिका और यूरोपीय देश इसे नजरअंदाज नहीं कर सकते। संयुक्त राष्ट्र में भी इसकी चर्चा हो सकती है। कुल मिलाकर, यह घटना दक्षिण एशिया में शक्ति संतुलन को प्रभावित करेगी। भारत की सतर्क प्रतिक्रिया से साफ है कि वह किसी भी बदलाव को हल्के में नहीं लेगा।
