‘…और कितने लोग मरेंगे’: मैनपुरी के परिवार में 17 साल में 10 आत्महत्याएं, गांव में दहशत
मैनपुरी, 7 जुलाई 2025: उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले के सकत बेवर गांव में एक परिवार की दुखद कहानी ने सबको झकझोर दिया है। पिछले 17 साल में इस परिवार के 10 लोगों ने आत्महत्या कर अपनी जिंदगी खत्म कर ली। ताजा मामला 18 साल के जितेंद्र का है, जिसने शुक्रवार को पेड़ पर फंदा लगाकर जान दे दी। इससे 21 दिन पहले उसके चाचा बलवंत और 4 महीने पहले उसकी बहन सौम्या ने भी फांसी लगाई थी। परिवार की मां का करुण क्रंदन, “और कितने लोग मरेंगे,” गांव में गूंज रहा है। यह परिवार पिछले 5 साल में 8 मौतों का गवाह बन चुका है। गांव में इसे बुरी आत्माओं का साया मानने की बात हो रही है, जबकि पुलिस आत्महत्याओं के कारणों की जांच में जुटी है।
जितेंद्र की आत्महत्या और परिवार का दर्द
मैनपुरी के बेवर थाना क्षेत्र के सकत गांव में जितेंद्र (18) ने शुक्रवार सुबह बहन का दुपट्टा लेकर जामुन खाने की बात कहकर घर छोड़ा। शाम तक न लौटने पर पिता रामबरन ने उसकी तलाश शुरू की। गांव के पास एक पेड़ पर जितेंद्र का शव दुपट्टे से लटका मिला। मां का रो-रोकर बुरा हाल हो गया। उसने कहा, “थोड़े दिन पहले बिटिया गई, देवर गया, और कितने लोग मरेंगे?” यह परिवार पिछले 5 महीनों में 4 आत्महत्याएं देख चुका है। जितेंद्र के चाचा बलवंत ने 21 दिन पहले और बहन सौम्या ने 4 महीने पहले फांसी लगाई थी। परिवार के दादा हीरालाल ने बताया कि जितेंद्र सामान्य व्यवहार वाला था, लेकिन उसकी मानसिक स्थिति का कोई ठोस कारण सामने नहीं आया। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा है।
17 साल में 10 आत्महत्याओं का सिलसिला
हीरालाल के परिवार में 17 साल में 10 आत्महत्याओं ने गांव में दहशत फैला दी है। 2008 में पिंटू (20) ने फांसी लगाई, फिर 2012 में संजू (18) ने जहर खाया और मनीष (22) ने आग लगाकर जान दी। 2015 में संजू ने जहर खाकर आत्महत्या की। 2020 में मनीष ने फांसी लगाई। पिछले 5 सालों में सूरजपाल, महिपाल, शेर सिंह, सौम्या, और बलवंत ने भी आत्महत्या की। अब जितेंद्र की मौत ने परिवार को पूरी तरह तोड़ दिया। गांववाले इसे “बुरी आत्मा का साया” मान रहे हैं, लेकिन विशेषज्ञ इसे क्लस्टर सुसाइड का मामला बता रहे हैं। परिवार में अब हीरालाल, उनकी पत्नी विद्या देवी, रामबरन, उनकी पत्नी, और दो बच्चे बचे हैं। पुलिस ने कोई सुसाइड नोट न मिलने की बात कही, लेकिन जांच जारी है।
सामाजिक और मानसिक कारणों पर सवाल
मैनपुरी के इस परिवार की आत्महत्याओं ने मानसिक स्वास्थ्य और सामाजिक दबावों पर सवाल खड़े किए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह क्लस्टर सुसाइड का मामला हो सकता है, जहां एक आत्महत्या दूसरों को प्रभावित करती है। परिवार के सदस्यों की अलग-अलग वजहें रही होंगी, जैसे आर्थिक तंगी, पारिवारिक कलह, या मानसिक तनाव। गांव में इसे अंधविश्वास से जोड़ा जा रहा है, लेकिन मनोवैज्ञानिक इसे सामाजिक और आर्थिक दबावों का परिणाम मानते हैं। पुलिस ने अभी तक कोई ठोस कारण नहीं बताया, लेकिन स्थानीय प्रशासन को मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता पर ध्यान देना होगा। परिवार के बचे सदस्यों को काउंसलिंग की जरूरत है। यह घटना समाज से यह सवाल पूछती है कि आखिर ऐसी त्रासदियों को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जाएं? सामुदायिक समर्थन और हेल्पलाइन की भूमिका अब अहम हो गई है।
