गीता प्रेस के 100 वर्ष पूरे होने पर भव्य कार्यक्रम का आयोजन, पीएम मोदी रहे मुख्य अतिथि

 गीता प्रेस के 100 वर्ष पूरे होने पर भव्य कार्यक्रम का आयोजन, पीएम मोदी रहे मुख्य अतिथि

गीता प्रेस के 100 वर्ष के इतिहास में ये पहली बार है, जब किसी प्रधानमंत्री ने गीता प्रेस के समारोह में हिस्सा लिया हो। गोरखपुर में गीता प्रेस शताब्दी समारोह का आयोजन किया गया। इस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ मौजूद रहे। गीता प्रेस के 100 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में पीएम मोदी का मंत्र उच्चारण के साथ स्वागत किया गया। बता दें नरेंद्र मोदी गीता प्रेस जाने वाले देश के पहले प्रधानमंत्री है। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि सब कुछ वासुदेव है ,सब कुछ वासुदेव में ही है। आज ये ख़ुशी की बात है कि गीता प्रेस के 100 साल पूरे हो चुके है और यह अभी तक अपनी छवि बनाये हुए है। गीता प्रेस को गाँधी शाँति पुरूस्कार भी दिया जा चुका है।

पीएम मोदी ने कहा कि गीता प्रेस अलग-अलग भाषाओं में हर एक जगह पहुंच चुकी है। गीता प्रेस एक संस्था नहीं है, एक जीवंत आस्था है। संतो के आशीर्वाद से ऐसे सुखद अवसरों के मौके मिलते है। साथ ही पीएम मोदी ने यह भी कहा कि ‘जहाँ गीता है, वहीँ साक्षात कृष्णा भी है। आज तक की सबसे कम मूल्य वाली किताबें भी गीता प्रेस द्वारा छापी जाती है। उन्होंने कहा हमने अपनी धरोहरों को वो स्थान दिया है जो उन्हें देना चाहिए था। गीता प्रेस संतो की कार्यस्थलीय रही है। और 14 भाषाओं में गीता प्रेस की किताबें प्रकाशित हुई है।

वहीं समारोह में सीएम योगी ने कहा कि मैं गीता प्रेस शताब्दी समारोह में आए पीएम मोदी और यहाँ उपस्थित सभी जनों का आभार व्यक्त करता हूँ। यह गीता प्रेस एक छोटे से कमरे से शुरू हुई थी। और आज गीता प्रेस अलग-अलग भाषाओं में हर एक जगह पहुंच चुकी है। उन्होंने कहा गीता प्रेस की कमाई 100 करोड़ के ऊपर है और ये हम सभी के लिए काफी गर्व की बात है। उन्होंने कहा 1923 में गीता प्रेस की स्थापना हुई थी। पहली बार गीता प्रेस से हिन्दू धर्म के पवित्र किताब रामचरित मानस छापी गई थी। हिन्दू धार्मिक किताबों का सबसे बड़ा प्रकाशन है। उन्होंने कहा गीता प्रेस, हिंदू धर्म ग्रंथों को छापने वाला दुनिया का सबसे बड़ा पब्लिशिंग हाउस है। यह अब तक करीब 93 करोड़ धार्मिक किताबें छाप चुका है। उसमें 16.21 करोड़ किताबें भागवत गीता की हैं। 11.73 करोड़ तुलसी दास की रामचरित मानस। 2.58 करोड़ पुराण और उपनिषद हैं।

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