• October 13, 2025

महागठबंधन में तकरार: मुकेश सहनी का ‘अस्वस्थ’ तंज, दिल्ली में सुलझेगी सीटों की बाजीगरी

पटना, 13 अक्टूबर 2025: बिहार चुनाव की रणभेरी बजते ही महागठबंधन में सीट शेयरिंग का पेंचकस कसना मुश्किल होता जा रहा है। एनडीए ने तो बाजी मार ली, लेकिन विपक्षी खेमे में खींचतान चरम पर। विकासशील इंसान पार्टी के प्रमुख मुकेश सहनी ने पटना से दिल्ली रवाना होते हुए तंज कसा—’महागठबंधन थोड़ा अस्वस्थ है’। लालू परिवार और कांग्रेस नेताओं के बीच चल रही चर्चाओं के बीच आज ऐलान की उम्मीद। क्या छोटे दलों की मांगें तोड़ देंगी गठबंधन की कमर? राहुल-तेजस्वी की मुलाकात से क्या निकलेगा हल? सियासत की इस गलियारों में घूमती हलचल की पूरी पड़ताल आगे…

मुकेश सहनी का तीखा तंज: ‘अस्वस्थ’ महागठबंधन को दिल्ली का ‘इलाज’

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की दहलीज पर खड़े महागठबंधन में सीट शेयरिंग को लेकर तनाव हावी है। एनडीए ने 243 सीटों का बंटवारा कर लिया, लेकिन विपक्षी खेमे में देरी ने सवाल खड़े कर दिए। रविवार को पटना एयरपोर्ट से दिल्ली रवाना होते वक्त विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) प्रमुख मुकेश सहनी ने कटाक्ष किया, ‘महागठबंधन थोड़ा अस्वस्थ हुआ है। सब डॉक्टर दिल्ली में हैं, वहीं इलाज होगा।’ सहनी की नाराजगी उनकी 30 सीटों और डिप्टी सीएम पद की मांग से जुड़ी है। 2020 में वीआईपी को 11 सीटें मिली थीं, लेकिन इस बार वे 30 से कम पर राजी नहीं। एक्स पर वायरल वीडियो में सहनी ने कहा कि गठबंधन मजबूत है, लेकिन छोटे दलों को इग्नोर न किया जाए। बिहार PCC चीफ ने डैमेज कंट्रोल में एनडीए की ‘सेहत’ पर सवाल उठाए। सहनी का यह बयान महागठबंधन की आंतरिक कलह को उजागर करता है, जहां आरजेडी, कांग्रेस, लेफ्ट, वीआईपी, जेएमएम और आरएलजेएसपी के बीच हिस्सेदारी पर रस्साकशी चल रही। सूत्र बताते हैं कि सहनी की मांग ने पेंच फंसाया है, जो गठबंधन की एकजुटता पर सवालिया निशान लगा रही। 

दिल्ली की गलियों में सुलझेगी सीटों की गुत्थी

महागठबंधन के सहयोगी दलों के नेता दिल्ली पहुंच चुके हैं, जहां सीट बंटवारे पर अंतिम मुहर लगने की उम्मीद। लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव और मुकेश सहनी के अलावा कांग्रेस के राहुल गांधी व मल्लिकार्जुन खरगे के साथ बैठकें तय हैं। रविवार को तेजस्वी-राहुल की मुलाकात न होने से अटकलें तेज हुईं, लेकिन सोमवार को यह हो सकती है। लालू परिवार लैंड फॉर जॉब मामले की सुनवाई के बहाने सीट शेयरिंग पर फोकस कर रहा। आरजेडी 150 से ज्यादा सीटें चाहती है, कांग्रेस 70-76 पर अड़ी, जबकि जेएमएम ने अल्टीमेटम दिया—झारखंड में दिए सम्मान का बिहार में हिसाब। पशुपति पारस की आरएलजेएसपी भी दावेदारी ठोक रही। सहनी ने एक्स पर पोस्ट कर कहा कि गठबंधन का मालिक कोई एक नहीं, सभी का हक बराबर। सूत्रों के मुताबिक, आज प्रेस कॉन्फ्रेंस में ऐलान संभव, जिसमें आरजेडी को 140-150, कांग्रेस को 50-60, वीआईपी को 20-30 और बाकी छोटे दलों को बांटा जा सकता। यह देरी महागठबंधन की कमजोरी दिखा रही, जबकि एनडीए ने सहमति से बंटवारा किया। दिल्ली की ये बैठकें चुनावी समर की दिशा तय करेंगी।

एनडीए की बाजी, महागठबंधन की चुनौतियां

एनडीए ने सीट शेयरिंग में बाजी मार ली, जहां भाजपा-जेडीयू को 101-101, चिराग पासवान को 29 और छोटे सहयोगियों को 6-6 मिलीं। इससे विपक्षी खेमे पर दबाव बढ़ा। महागठबंधन में देरी पटना से दिल्ली तक की एक्सरसाइज बयां कर रही—छोटे दलों की महत्वाकांक्षा ने बड़ा पेच फंसाया। सहनी ने कहा, ‘एनडीए से पहले हम ऐलान करेंगे’, लेकिन देरी ने उनकी ही नाराजगी को हवा दी। 2020 में महागठबंधन को 110 सीटें मिली थीं, लेकिन इस बार जातिगत समीकरणों के साथ सीटें ‘जीतने लायक’ होनी चाहिएं। कांग्रेस ने ‘अच्छी-खराब’ सीटों का संतुलन मांगा, जबकि सहनी डिप्टी सीएम पद पर अड़े। लेफ्ट और अन्य दल भी हिस्सा चाहते। यह खींचतान गठबंधन की एकता पर खतरा, खासकर जब चुनाव 6-11 नवंबर को हैं। फिर भी, तेजस्वी की बिहार अधिकार यात्रा और राहुल की वोटर अधिकार यात्रा से गठबंधन जोड़ने की कोशिश। एनडीए की मजबूती के मुकाबले महागठबंधन को एकजुट होना होगा, वरना बिहार की सत्ता की कुर्सी दूर हो सकती। आज का ऐलान तय करेगा—क्या ‘अस्वस्थ’ गठबंधन ठीक होगा?
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Rama Niwash Pandey

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