सरकार का ऐतिहासिक फैसला: HAL प्रचंड हेलीकॉप्टर को बनाएगा ‘महाप्रचंड’, रक्षा क्षमताओं में आएगी क्रांति
नई दिल्ली, 16 सितंबर 2025: भारत सरकार ने रक्षा क्षेत्र में एक बड़ा और महत्वपूर्ण कदम उठाया है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर (LCH) प्रचंड को एक उन्नत संस्करण ‘महाप्रचंड’ में बदलने का जिम्मा सौंपा गया है। यह फैसला भारतीय सेना और वायुसेना की ऊंचाई वाले इलाकों में युद्ध क्षमता को और मजबूत करेगा। प्रचंड हेलीकॉप्टर पहले से ही दुनिया का एकमात्र ऐसा अटैक हेलीकॉप्टर है जो 21,000 फीट की ऊंचाई पर उड़ान भर सकता है, लेकिन महाप्रचंड में आधुनिक तकनीकें जोड़ी जाएंगी, जो इसे और भी घातक बना देंगी।यह घोषणा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) की बैठक में की गई। बैठक में यह तय हुआ कि HAL बेंगलुरु और तुमकुरु के अपने कारखानों में इस उन्नयन का काम शुरू करेगा। अनुमान है कि इस प्रोजेक्ट की लागत करीब 10,000 करोड़ रुपये होगी, जो कुल मिलाकर आत्मनिर्भर भारत अभियान को मजबूती देगी। प्रचंड को महाप्रचंड बनाने से न केवल हमारी सेना की ताकत बढ़ेगी, बल्कि हजारों नौकरियां भी पैदा होंगी। सरकारी सूत्रों के अनुसार, यह कदम चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों के साथ सीमा पर तनाव को देखते हुए लिया गया है।प्रचंड हेलीकॉप्टर की कहानी 1999 के कारगिल युद्ध से शुरू होती है। उस युद्ध में भारतीय सेना को ऊंचाई वाले इलाकों में हमला करने के लिए सही हेलीकॉप्टर की कमी महसूस हुई।
रूसी मिग-25 और मिग-35 जैसे हेलीकॉप्टर ऊंचाई पर ठीक से काम नहीं कर पाए। इसी कमी को दूर करने के लिए HAL ने 2006 में प्रचंड का विकास शुरू किया। यह हेलीकॉप्टर ध्रुव हेलीकॉप्टर पर आधारित है, लेकिन इसमें आधुनिक हथियार और स्टील्थ फीचर्स जोड़े गए हैं। पहला प्रोटोटाइप 2010 में उड़ा, और 2015 में इसे प्रमाणित किया गया। 2022 में भारतीय वायुसेना ने इसे औपचारिक रूप से शामिल किया, और इसका नाम ‘प्रचंड’ रखा गया, जिसका मतलब है ‘प्रबल’ या ‘उग्र’।अभी तक भारतीय सेना और वायुसेना के पास 15 प्रचंड हेलीकॉप्टर हैं। मार्च 2025 में सरकार ने 156 और प्रचंड खरीदने का 62,000 करोड़ रुपये का सौदा किया था। इसमें से 90 आर्मी के लिए और 66 वायुसेना के लिए हैं। पहली डिलीवरी 2028 से शुरू होगी। लेकिन अब महाप्रचंड का प्लान इन हेलीकॉप्टर्स को और बेहतर बनाने का है। HAL के चेयरमैन डी. के. सुंदर ने कहा, “यह उन्नयन प्रचंड को दुनिया के सबसे एडवांस्ड अटैक हेलीकॉप्टर्स में से एक बना देगा। हम ऊंचाई पर ऑपरेशन को और सुरक्षित व प्रभावी बनाएंगे।”महाप्रचंड में क्या-क्या बदलाव होंगे? सबसे बड़ा अपग्रेड डायरेक्टेड इंफ्रारेड काउंटरमेजर (DIRCM) सिस्टम का होगा। यह सिस्टम दुश्मन के इंफ्रारेड मिसाइलों को भटकाने का काम करेगा। भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) इस तकनीक को विकसित कर रहा है, और 2026-27 से 180 यूनिट्स का उत्पादन शुरू होगा। इसके अलावा, हेलीकॉप्टर में नई जेनरेशन के सेंसर, बेहतर रडार, और ज्यादा शक्तिशाली इंजन लगाए जाएंगे। प्रचंड पहले से ही 70 किलोमीटर दूर के लक्ष्यों पर मिसाइल मार सकता है, लेकिन महाप्रचंड में यह रेंज 100 किलोमीटर तक बढ़ जाएगी।
हेलीकॉप्टर का वजन 5,800 किलोग्राम है, और यह दो पायलटों के लिए डिजाइन किया गया है। इसकी बॉडी स्टील्थ डिजाइन वाली है, जो रडार से बचाती है।प्रचंड की खासियतें इसे सीमा पर एक बड़ा हथियार बनाती हैं। यह सियाचिन ग्लेशियर जैसे ठंडे और ऊंचे इलाकों में लैंड कर सकता है, जहां तापमान माइनस 40 डिग्री तक गिर जाता है। लद्दाख और पूर्वोत्तर भारत में इसकी टेस्टिंग हो चुकी है। नवंबर 2024 में आर्मी की गजराज कोर ने नॉर्थईस्ट में इसकी हाई-एल्टीट्यूड फायरिंग टेस्ट की। यह हेलीकॉप्टर न केवल जमीन पर टैंक और दुश्मन सैनिकों पर हमला कर सकता है, बल्कि हवा में भी दुश्मन विमानों से लड़ सकता है। इसमें 20mm की तोप, हेलफायर मिसाइलें, और रॉकेट लॉन्चर लगे हैं। दुनिया में चीन का Z-10 और तुर्की का T-129 जैसे हेलीकॉप्टर ऊंचाई पर उड़ सकते हैं, लेकिन प्रचंड जैसी क्षमता किसी के पास नहीं। अमेरिकी अपाचे हेलीकॉप्टर ऊंचाई पर सीमित है, इसलिए भारत ने अपना खुद का हेलीकॉप्टर बनाया।यह फैसला भारत की रक्षा नीति में एक मील का पत्थर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत HAL जैसे संस्थान मजबूत हो रहे हैं। प्रचंड का विकास 100% भारतीय इंजीनियरों ने किया, और इसमें 60% से ज्यादा पार्ट्स भारत में ही बनते हैं। महाप्रचंड प्रोजेक्ट से बेंगलुरु और तुमकुरु में नई फैक्टरियां लगेंगी, जिससे 5,000 से ज्यादा नौकरियां पैदा होंगी।
विशेषज्ञों का कहना है कि इससे भारत का रक्षा निर्यात भी बढ़ेगा। कुछ देश जैसे अर्जेंटीना और नाइजीरिया पहले से प्रचंड में रुचि दिखा चुके हैं।रक्षा विश्लेषक डॉ. अजय सहगल कहते हैं, “प्रचंड पहले से ही हाई-एल्टीट्यूड वारफेयर में गेम-चेंजर है। महाप्रचंड के साथ भारत एशिया में सबसे मजबूत हेलीकॉप्टर फ्लीट वाला देश बन जाएगा। यह सीमा सुरक्षा को और मजबूत करेगा।” दूसरी ओर, विपक्ष ने सराहना करते हुए कहा कि सरकार को उत्पादन की गति बढ़ानी चाहिए, ताकि सेना को जल्दी हेलीकॉप्टर मिलें।कुल मिलाकर, यह फैसला भारत की सैन्य ताकत को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा। प्रचंड से महाप्रचंड तक का सफर दिखाता है कि कैसे भारत अपनी चुनौतियों को अवसर में बदल रहा है। आने वाले वर्षों में हमारी सेना ऊंचाई वाले इलाकों में दुश्मन को करारी जवाब देने में सक्षम होगी। HAL ने वादा किया है कि यह प्रोजेक्ट समय पर पूरा होगा, और भारत दुनिया को अपनी तकनीकी क्षमता दिखाएगा।
