पहले वकालत की पढ़ाई, फिर जज बनने की तैयारी: अर्चना तिवारी ने बनाया फुलप्रूफ प्लान, फिर भी 12 दिन तक छोड़े सुराग
लखनऊ/ 21 अगस्त 2025: मध्य प्रदेश के कटनी की 28 वर्षीय अर्चना तिवारी, जो इंदौर में सिविल जज की तैयारी कर रही थीं, ने अपनी गुमशुदगी का एक सुनियोजित प्लान बनाया था। खबरों के मुताबिक, अर्चना 7 अगस्त को नर्मदा एक्सप्रेस ट्रेन से इंदौर से कटनी के लिए रवाना हुई थीं, लेकिन रहस्यमयी तरीके से लापता हो गईं। 12 दिन बाद, 19 अगस्त को उन्हें उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी के पास नेपाल बॉर्डर से पुलिस ने सकुशल बरामद कर लिया। जांच में सामने आया कि अर्चना ने परिवार के शादी के दबाव से बचने के लिए अपनी गायब होने की साजिश खुद रची थी, लेकिन उनकी कानूनी जानकारी के बावजूद वह कई सुराग छोड़ती गईं, जिससे पुलिस ने उन्हें ढूंढ निकाला।
अर्चना का प्लान और सुराग
खबरों के मुताबिक, अर्चना ने जबलपुर से एलएलएम की डिग्री हासिल की और तीन साल तक वहां हाई कोर्ट में वकालत की। पिछले आठ महीनों से वह इंदौर में सिविल जज की तैयारी कर रही थीं। परिवार ने उनकी शादी एक पटवारी से तय की थी, जिससे वह खुश नहीं थीं और पढ़ाई छोड़ने का दबाव झेल रही थीं।
अर्चना ने इंदौर में मिले सारांश और ड्राइवर तेजेंद्र सिंह के साथ मिलकर गायब होने की योजना बनाई। 7 अगस्त को वह नर्मदा एक्सप्रेस के बी3 कोच से यात्रा शुरू कीं, लेकिन नर्मदापुरम में ट्रेन छोड़ दी। उन्होंने अपना मोबाइल बागतवा के जंगलों में फेंकने के लिए तेजेंद्र को दिया और सामान बर्थ पर छोड़ दिया ताकि लगे कि वह गायब हो गईं। खबरों के मुताबिक, अर्चना ने सीसीटीवी से बचने के लिए कार की सीट पर लेटकर यात्रा की और 10 दिन पहले मोबाइल बंद कर नया सिम नहीं लिया। फिर भी, वह व्हाट्सएप कॉल के जरिए सारांश से संपर्क में थीं। हैदराबाद, दिल्ली, और नेपाल के धनगढ़ी होते हुए काठमांडू पहुंचीं। 18 अगस्त को उन्होंने अपनी मां को कॉल किया, जिससे उनकी लोकेशन ट्रेस हुई। नेपाल बॉर्डर पर सारांश ने अर्चना को एक होटल में छोड़ा। मां से कॉल के बाद पुलिस ने लोकेशन ट्रेस कर लखीमपुर खीरी से उन्हें बरामद किया और भोपाल लाया।
पुलिस जांच और खुलासे
खबरों के मुताबिक, ग्वालियर के कांस्टेबल राम तोमर ने अर्चना के लिए टिकट बुक किया था और दो साल से उनसे बात कर रहा था, लेकिन अर्चना ने पुलिस को बताया कि वह इससे परेशान थीं और उसका गुमशुदगी में कोई रोल नहीं था। भोपाल रेलवे एसपी राहुल लोढ़ा ने बताया कि अर्चना की मां से कॉल के बाद जीआरपी ने साइबर और कटनी, जबलपुर की टीमें लगाकर लोकेशन ट्रेस की। चार जिलों की पुलिस और एनडीआरएफ ने 12 दिन तक तलाश की थी।
खबरों के मुताबिक, अर्चना ने अपनी कानूनी जानकारी का इस्तेमाल कर सावधानी बरती, जैसे बिना सीसीटीवी वाली जगह पर ट्रेन छोड़ना और कॉल डिटेल रिकॉर्ड से बचने के लिए व्हाट्सएप का उपयोग। फिर भी, मां से संपर्क और सारांश की हिरासत ने उनकी योजना को विफल कर दिया।
निष्कर्ष
अर्चना तिवारी, एक होनहार वकील और सिविल जज की उम्मीदवार, ने परिवार के शादी के दबाव से बचने के लिए गायब होने का फुलप्रूफ प्लान बनाया था। खबरों के मुताबिक, उन्होंने अपनी कानूनी जानकारी का इस्तेमाल कर सावधानी बरती, लेकिन मां से कॉल और सहयोगियों के सुराग छोड़ने की गलतियों ने उनकी साजिश को उजागर कर दिया। 12 दिन बाद नेपाल बॉर्डर से बरामद होने के बाद अर्चना को उनके परिवार को सौंप दिया गया। यह मामला दर्शाता है कि सावधानीपूर्वक योजना के बावजूद छोटी-छोटी गलतियां जांच को भटका नहीं सकतीं।
