पिता बिहार में मौलवी, बेटा यूपी में पुजारी: मेरठ में कासिम ने कृष्ण बनकर मंदिर में कराई पूजा, गिरफ्तार
मेरठ, 24 जुलाई 2025 : उत्तर प्रदेश के मेरठ में एक सनसनीखेज मामला सामने आया है, जहां बिहार के सीतामढ़ी का रहने वाला मोहम्मद कासिम पिछले एक साल से दादरी गांव के प्राचीन शिव मंदिर में कृष्ण बनकर पूजा-पाठ कर रहा था। कासिम ने अपनी असल पहचान छिपाकर ग्रामीणों का विश्वास जीता और मंदिर में दान-पुण्य का पैसा भी इकट्ठा किया। शिवरात्रि के भंडारे के दौरान दानपात्र खोलने की कोशिश में ग्रामीणों को उस पर शक हुआ, जिसके बाद उसकी असलियत उजागर हुई। पुलिस ने कासिम को धोखाधड़ी और धार्मिक भावनाएं आहत करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया है।
कासिम की असल पहचान और साजिश
कासिम ने खुद को कृष्ण पुत्र संतोष, दिल्ली का निवासी बताकर मंदिर में रहने की अनुमति ली थी। उसने ज्योतिष, हस्तरेखा और मंत्रों का ज्ञान हासिल कर कर्मकांडी पंडित का भेष धारण किया। पूछताछ में उसने स्वीकार किया कि उसके पिता मोहम्मद अब्बास बिहार में मौलवी हैं। कासिम ने बताया कि वह 20 साल पहले यूपी आया और दिल्ली, मेरठ, मुजफ्फरनगर के मंदिरों में पुजारी के रूप में काम करता रहा। उसने अपने हाथ पर ‘कृष्ण’ नाम गोदवाया और आधार सत्यापन में भी यही नाम इस्तेमाल किया, लेकिन कोई वैध आधार कार्ड नहीं मिला। पुलिस अब फिंगरप्रिंट के जरिए उसकी पहचान की जांच कर रही है।
गांव वालों का शक और गिरफ्तारी
मेरठ के दौराला थाना क्षेत्र के दादरी गांव में शिव मंदिर लंबे समय से बिना स्थायी पुजारी के था। एक साल पहले कासिम ने वहां पहुंचकर पूजा शुरू की और ग्रामीणों का भरोसा जीत लिया। 23 जुलाई को शिवरात्रि के भंडारे में वह दानपात्र खोलते पकड़ा गया। ग्रामीणों ने आधार कार्ड मांगा, जिसके बाद उसकी असल पहचान सामने आई। मंदिर समिति के राकेश सैनी ने बताया कि कासिम की हरकतों पर पहले भी शक हुआ था, लेकिन उसकी धार्मिक जानकारी के चलते कोई पुख्ता सबूत नहीं था। पुलिस ने उसे हिरासत में लिया और धोखाधड़ी के साथ धार्मिक भावनाएं आहत करने का मुकदमा दर्ज किया।
जांच और सियासी हलचल
मेरठ पुलिस और खुफिया एजेंसियां इस मामले की गहराई से जांच कर रही हैं। एसपी सिटी आयुष विक्रम सिंह ने बताया कि कासिम की पृष्ठभूमि की जानकारी के लिए बिहार पुलिस से संपर्क किया गया है। जांच में यह पता लगाया जा रहा है कि क्या यह धर्मांतरण या किसी सुनियोजित साजिश का हिस्सा था। इस घटना ने सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं उकसाई हैं। कुछ यूजर्स ने इसे धार्मिक आस्था के साथ खिलवाड़ बताया, तो कुछ ने इसे सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की। विपक्षी नेताओं ने योगी सरकार से इस मामले में पारदर्शी जांच की मांग की है।
