DRDO का ‘सुदर्शन चक्र मिशन’ तैयार! मैक 5.5 की रफ्तार, 350 KM रेंज वाला ‘Project Kusha’ बनेगा भारत की आसमान ढाल
नई दिल्ली: भारत ने अपनी वायु रक्षा प्रणाली को नई ऊंचाई देने की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाया है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) अब “Project Kusha” नामक हाइपरसोनिक एयर डिफेंस सिस्टम पर काम कर रहा है — जिसे भारत के “सुदर्शन चक्र मिशन” का अहम हिस्सा बताया जा रहा है। यह अत्याधुनिक प्रणाली मैक 5.5 (लगभग 6,800 किमी/घंटा) की रफ्तार से उड़ान भर सकती है और 350 किलोमीटर दूर से दुश्मन के हवाई खतरों को खत्म करने की क्षमता रखती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मिशन की घोषणा 15 अगस्त 2025 को की थी, और अब यह भारत के रक्षा क्षेत्र में “गेम चेंजर” साबित हो सकता है।
🇮🇳 भारत का ‘सुदर्शन चक्र’ – Project Kusha की ताकत
“Project Kusha” एक Surface-to-Air Missile System (SAM) है, जिसे DRDO ने पूरी तरह स्वदेशी तकनीक पर विकसित किया है। यह प्रणाली दुश्मन के बैलिस्टिक मिसाइल, क्रूज़ मिसाइल, हाइपरसोनिक व्हीकल्स, और स्टील्थ फाइटर जेट्स को हवा में ही नष्ट करने की क्षमता रखती है।
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, यह प्रोजेक्ट आने वाले वर्षों में भारत को अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों की बराबरी पर खड़ा कर सकता है। विशेषज्ञ इसे “भारत का सुदर्शन चक्र” कह रहे हैं — जो आसमान से आने वाले किसी भी खतरे को जमीन से ही खत्म कर देगा।
M1, M2 और M3 – तीन लेवल पर सुरक्षा कवच
DRDO इस सिस्टम को तीन वेरिएंट्स में तैयार कर रहा है — M1, M2 और M3। इनमें से M3 सबसे एडवांस्ड इंटरसेप्टर होगा, जो ऊंचाई पर आने वाले लक्ष्यों को सटीकता से गिराएगा।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह सिस्टम 4 किलोमीटर प्रति सेकंड की स्पीड से आने वाली बैलिस्टिक मिसाइल को भी इंटरसेप्ट कर सकता है। यह 2,500–3,000 किमी रेंज वाली मिसाइलों को re-entry phase में ही खत्म कर देगा।
इससे F-35, Su-57 जैसे स्टील्थ जेट, जो आमतौर पर रडार से बच निकलते हैं, अब भारत की पकड़ में आ जाएंगे — यानी अब “इनविज़िबल दुश्मन” भी सुरक्षित नहीं रहेंगे।
‘हिट-टू-किल’ टेक्नोलॉजी से दुश्मन का सटीक विनाश
DRDO ने इस सिस्टम में दुनिया की सबसे आधुनिक तकनीकों को शामिल किया है —
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ड्यूल-पल्स सॉलिड रॉकेट मोटर,
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थ्रस्ट-वेक्टर कंट्रोल,
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और RF व IR सीकर जैसी हाई-प्रिसिशन तकनीकें।
इसका सबसे खास फीचर है — ‘हिट-टू-किल’ टेक्नोलॉजी, यानी यह मिसाइल सीधे टकराकर दुश्मन के टारगेट को पूरी तरह नष्ट करती है, विस्फोटक वॉरहेड पर निर्भर नहीं रहती।
इससे इसकी सफलता दर 90% तक बढ़ जाती है और यह हाइपरसोनिक व्हीकल्स, फाइटर जेट्स और क्रूज़ मिसाइल्स को भी एक झटके में गिराने में सक्षम होगी।
S-500 जैसी ताकत, तीन-स्तरीय सुरक्षा नेटवर्क में नई जान
“Project Kusha” भारत के Multi-Layer Air Defence System का तीसरा और सबसे ऊपरी लेयर बनेगा —
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आकाश / MRSAM – नजदीकी सुरक्षा,
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S-400 ट्रायम्फ – मीडियम रेंज डिफेंस,
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कुशा सिस्टम – लॉन्ग रेंज और हाइपरसोनिक डिफेंस।
विशेषज्ञों के अनुसार, कुशा सिस्टम की ताकत रूस की S-500 Prometey प्रणाली के बराबर है। इसकी तैनाती से भारत किसी भी हवाई हमले या मिसाइल हमले को कई स्तरों पर रोकने में सक्षम होगा।
HSTDV की सफलता से मिला आत्मविश्वास
DRDO पहले ही Hypersonic Technology Demonstrator Vehicle (HSTDV) का सफल परीक्षण कर चुका है, जिससे भारत ने हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी में अपनी क्षमता साबित की थी। अब उसी टेक्नोलॉजी पर आधारित “Project Kusha” भारत की सुरक्षा रणनीति को नए युग में ले जाएगा।