आरोपित पर चले बुलडोजर सहित छह मांगों की सहमति के बाद हुआ हुआ अंतिम संस्कार
डॉक्टर घनश्याम तिवारी के शव का धोपाप घाट पर अंतिम संस्कार कर दिया गया। उनके आठ वर्षीय पुत्र ने मुखाग्नि दी। भाजपा जिलाध्यक्ष, दो भाजपा विधायकों व एक पूर्व विधायक ने परिवार की मांग पर सहमति जाहिर करते हुए उसे जिलाधिकारी को सौंपा। उनकी मांगों को जिलाधिकारी जसजीत कौर ने मान ली है। परिवार की 06 मांगों में आरोपित के घर पर बुलडोजर चलाने की एक अहम मांग है।
नगर के शास्त्री नगर इलाके में डॉक्टर की रंगदारी नहीं देने पर पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष गिरीश नारायण सिंह के भतीजे अजय नारायण सिंह ने शनिवार की शाम पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। डॉक्टर की पत्नी निशा तिवारी की तहरीर पर अजय व दो अज्ञात के विरुद्ध कोतवाली नगर में हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया। तीन लोगों को पुलिस ने हिरासत में भी लिया लेकिन मुख्य आरोपित सत्ता पोषित अजय पुलिस को ढूढ़े नहीं मिला। उधर रविवार शाम पोस्टमार्टम के बाद शव पैतृक गांव पहुंचा तो परिवार वालों ने शव के अंतिम संस्कार से मना कर दिया। परिवार डिप्टी सीएम बृजेश पाठक को बुलाने की मांग के साथ बुलडोजर की कार्रवाई पर अड़ गया। एसडीएम और सीओ स्तर पर अधिकारी लगाए गए लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।
रविवार की रात में स्वयं जिलाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक पहुंचे फिर भी बात नहीं बनी। सोमवार सुबह परिवार ने प्रशासन के सामने छह मांगे रखी। परिवार की सुरक्षा और शस्त्र लाइसेंस, जमीन पर कब्जा दिलाने, योग्यता के अनुसार रोजगार और एक करोड़ का मुआवजा, अपराधियों की तत्काल गिरफ्तारी और आरोपितों के खिलाफ बुलडोजर की कार्रवाई की मांग की। इन मांगों की संस्तुति भाजपा जिलाध्यक्ष डॉ. आरए वर्मा, लंभुआ से भाजपा विधायक सीताराम वर्मा, सदर विधायक राजबाबू उपाध्याय और पूर्व लंभुआ विधायक देवमणि द्विवेदी ने की। इस पर जिलाधिकारी जसजीत कौर ने सहमति व्यक्त किया। उसके बाद अंतिम संस्कार हो सका। स्वयं पूर्व विधायक देवमणि द्विवेदी ने डॉ. के शव को कांधा दिया। बड़ी संख्या में लोग अंतिम यात्रा में शामिल हुए.
डॉक्टर की पत्नी निशा तिवारी ने मीडिया में कहा है कि योगी सरकार का बड़ा नाम सुने हैं। मेरे साथ न्याय किया जाए। उसको सजा दी जाए। वह ऐसे न घूमे। उसने मेरा नाश किया है, उसका भी सर्वनाश हो। यही मैं चाहती हूं। मै क्या करूं, मेरे मुख से अपशब्द निकल रहे हैं। मैने कभी नहीं सोचा था कि अपने पति की ऐसी स्थिति देखूंगी। कुछ भी उन्हें हुआ होता तब भी संतोष होता। अच्छे खासे गए उसने मारकर भेजा।