MP विधानसभा में ‘मनरेगा’ के नाम पर रार: भाजपा विधायक रामेश्वर शर्मा का कांग्रेस पर तीखा प्रहार, कहा- “राम का विरोध करने वालों का रावण जैसा होगा अंत”
भोपाल: मध्य प्रदेश विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान आज राजनीति का पारा उस वक्त चढ़ गया जब केंद्र सरकार द्वारा ‘मनरेगा’ (MGNREGA) का नाम बदलकर ‘विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण)’ यानी VB-G RAM G (जी राम जी) करने के निर्णय पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस छिड़ गई। जहां कांग्रेस ने इसे महात्मा गांधी के अपमान से जोड़ते हुए प्रदर्शन किया, वहीं भाजपा विधायक रामेश्वर शर्मा ने कांग्रेस पर कड़ा पलटवार करते हुए इसे ‘राम राज्य’ की दिशा में एक बड़ा कदम बताया।
विधानसभा परिसर में कांग्रेस का प्रदर्शन
विवाद की शुरुआत तब हुई जब नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार के नेतृत्व में कांग्रेस विधायक दल ने विधानसभा परिसर में स्थित महात्मा गांधी की प्रतिमा के समक्ष धरना दिया। कांग्रेस का आरोप है कि केंद्र सरकार जानबूझकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का नाम योजनाओं से हटा रही है। कांग्रेस विधायकों ने इस बदलाव को विचारधारा की लड़ाई बताते हुए सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
“कांग्रेस ने गांधी का सिर्फ नाम इस्तेमाल किया, हमने विजन लागू किया”
कांग्रेस के आरोपों का जवाब देने के लिए भाजपा के फायरब्रांड विधायक रामेश्वर शर्मा सामने आए। भोपाल में मीडिया से चर्चा करते हुए उन्होंने कांग्रेस पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा:
“कांग्रेस पार्टी ने दशकों तक केवल महात्मा गांधी के नाम का राजनीतिक इस्तेमाल किया है, लेकिन उनके विचारों और सपनों को कभी जमीन पर नहीं उतारा। हम (भाजपा) गांधी जी के विचारों और उनके ‘राम राज्य’ के संकल्प को वास्तव में फॉलो कर रहे हैं।”
शर्मा ने आगे कहा कि कांग्रेस ने गांधी जी का नाम लेकर गरीबों से झूठे वादे किए, लेकिन उन्हें कभी सिर ढकने के लिए छत मुहैया नहीं कराई। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर कांग्रेस गांधीवादी थी, तो इतने सालों में गरीबों के घर क्यों नहीं बने?
‘जी राम जी’ (VB-G RAM G) पर छिड़ा घमासान
योजना के नए नाम ‘विकसित भारत जी राम जी’ पर कांग्रेस की आपत्ति पर रामेश्वर शर्मा ने आध्यात्मिक और राजनीतिक लहजे में जवाब दिया। उन्होंने कहा कि “राम” नाम से कांग्रेस की चिड़ पुरानी है। उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा:
“इतिहास गवाह है कि जिसने भी प्रभु श्री राम का विरोध किया है, उसका अंत निश्चित हुआ है। जिस तरह राम का विरोध करने वाले रावण का अंत हुआ, उसी तरह अब राम का विरोध करने वाली कांग्रेस का भी अंत निकट है।”
शर्मा ने आरोप लगाया कि सोनिया गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस लगातार हिंदू आस्था और राम के नाम का विरोध कर रही है, जो उनके पतन का कारण बनेगा।
मोदी सरकार को बताया ‘राम राज्य’ का वाहक
भाजपा विधायक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यों की तुलना महात्मा गांधी के ‘राम राज्य’ की परिकल्पना से की। उन्होंने प्रमुख उपलब्धियां गिनाते हुए कहा:
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भव्य राम मंदिर का निर्माण: जो करोड़ों भारतीयों की आस्था का केंद्र है।
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पीएम आवास योजना: गरीबों को पक्के घर देकर उनके जीवन में स्थायित्व लाना।
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आयुष्मान भारत: 5 लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज सुनिश्चित कर गरीबों को संबल देना।
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किसान कल्याण: नेत्रहीन किसानों का सम्मान और बीमा योजनाओं के जरिए अंतिम पंक्ति के व्यक्ति तक पहुंचना।
उन्होंने दावा किया कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में ‘सबका साथ, सबका विकास’ का नारा असल में गांधी जी के ‘सर्वोदय’ (सभी वर्गों का उदय) के सपने को पूरा कर रहा है।
मनरेगा में भ्रष्टाचार बनाम नया मिशन
रामेश्वर शर्मा ने डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार के दौरान मनरेगा के कार्यान्वयन पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस शासन में मनरेगा भ्रष्टाचार का अड्डा बन गई थी, जहां पैसा बिचौलियों की जेब में जाता था। उन्होंने जोर देकर कहा कि नई योजना ‘विकसित भारत जी राम जी’ ग्रामीण विकास की नई आधारशिला रखेगी और पारदर्शिता के साथ ग्रामीणों को रोजगार की गारंटी देगी।
हेमंत खंडेलवाल का समर्थन: “नाम बदलने से सम्मान कम नहीं होता”
भाजपा के एक अन्य वरिष्ठ नेता हेमंत खंडेलवाल ने भी इस मुद्दे पर सरकार का बचाव किया। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी हर भारतीय के दिल में बसते हैं और किसी योजना को अधिक प्रभावी बनाने के लिए उसका नाम बदलने से गांधी जी के प्रति सम्मान कम नहीं होता। खंडेलवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी का ध्यान हमेशा आदिवासी कल्याण और समावेशी विकास पर रहा है और नया ढांचा इसी लक्ष्य को तेजी से हासिल करने में मदद करेगा।
विचारधाराओं का टकराव
मध्य प्रदेश की राजनीति में नाम बदलने को लेकर शुरू हुआ यह विवाद अब ‘गांधी बनाम राम’ और ‘भ्रष्टाचार बनाम विकास’ की बहस में तब्दील हो गया है। जहां कांग्रेस इसे अपनी विरासत पर हमला मान रही है, वहीं भाजपा इसे ‘विकसित भारत’ के संकल्प की ओर एक आवश्यक कदम बता रही है। विधानसभा सत्र के दौरान शुरू हुआ यह घमासान आने वाले दिनों में और तेज होने के आसार हैं, क्योंकि दोनों ही दल इसे आगामी चुनावों और अपनी विचारधारा की साख से जोड़कर देख रहे हैं।