• October 15, 2025

गुरु के नियम, आदेश, प्रतिज्ञा , गुरु के दिखाए मार्ग में चलना ही सही गुरु दक्षिणा : श्रेयश जैन बालू

 गुरु के नियम, आदेश, प्रतिज्ञा , गुरु के दिखाए मार्ग में चलना ही सही गुरु दक्षिणा  :  श्रेयश जैन बालू

रायपुर, 21 जुलाई । श्री आदिनाथ दिगंबर जैन बड़ा मंदिर (लघु तीर्थ) मालवीय रोड रायपुर में अष्टाह्निका पर्व के अंतिम दिन आज रविवार को अष्टाह्निका पर्व एवं गुरु पूर्णिमा पर्व भक्तिमय वातावरण में समाज के धर्म प्रेमी बंधुओ द्वारा धूम धाम से मनाया।

इस अवसर पर पूर्व उपाध्यक्ष श्रेयश जैन बालू ने बताया कि रविवार सुबह 8 बजे बड़ा मंदिर (लघु तीर्थ) के पार्श्वनाथ भगवान के बेदी के समक्ष स्फटिक मणि की पार्श्वनाथ भगवान की चमत्कारिक प्रतिमा को विराजमान कर रजत कलशों से अभिषेक किया गया। आज की रिद्धि सिद्धि सुख शांति प्रदाता शांति धारा करने का सौभाग्य पलक जैन को प्राप्त हुआ। आज की शांति धारा का शुद्ध वाचन कोषाध्यक्ष दिलीप जैन द्वारा किया गया। भगवान की संगीतमय आरती करने के पश्चात सभी ने देव शास्त्र गुरु पूजन, नंदीश्वर दीप पूजन के साथ गुरु पूजन किया जिसमे सभी ने आचार्य श्री विद्या सागर जी महाराज का पूजन प्रारंभ कर स्थापना की साथ ही समाजजनों ने भक्ति भाव एवं नृत्य करते हुये हाथों में सज्जी होई अष्ट्र द्रव्य जल, चन्दन, अक्षत, पुष्प, नैवेद, दीप, धूप, फल, एवं महाअर्घ्य मंत्र उच्चरण के साथ आचार्य श्री विद्यासागर महाराज का स्मरण कर अर्घ समर्पित किए । पूरे जिनालय में आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के जयकारों के साथ गूंज उठा। श्रेयश जैन बालू ने बताया की जिसके जीवन में गुरु नहीं उसका जीवन शुरू नही गुरु पूजन आचार्य श्री अर्चना कर हम उनसे आर्शीवाद लेकर अपने आपको धन्य मानते हैं और इस पुण्य पर्व में हमें कम से कम एक वर्ष या आजीवन कोई भी नियम का पालन करने की प्रतिज्ञा लेनी चाहिए। उनके आदेश,आज्ञा का सदैव पालन करना,गुरु के दिखाए मार्ग में चलना ही सही गुरु दक्षिणा मानी जाती हैं .

आचार्य श्री का 19 दिसंबर 2023 को रायपुर छत्तीसगढ़ प्रवास

उपाध्यक्ष श्रेयश जैन बालू ने बताया कि विश्व वंदनीय संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज छत्तीसगढ़ प्रवास के दौरान डोंगरगढ़ में उत्कृष्ठ यम समाधि 17 फरवरी 2024 को हो गई थी। अपने समाधि के पूर्व आचार्य श्री का प्रवास छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के बड़ा मंदिर( लघु तीर्थ) में 19 दिसम्बर 2023 को हुआ था। अपने अल्प प्रवास के दौरान उन्होंने बड़ा मंदिर (लघु तीर्थ) मालवीय रोड के लगभग 150 वर्ष प्राचीन जिनालय का पुनः निर्माण कर नवीन जिनालय बनाने का आशीर्वाद प्रदान किया था। जिसमें जैसलमेर के पाषाण से 3 शिखर का मंदिर सहस्त्रकूट जिनालय, त्रिकाल चौबीसी,मान स्तंभ के साथ अन्य प्रतिमाएं विराजमान हेतु ट्रस्ट कमेटी एवं समाजजनों ने आचार्य श्री के समक्ष संकल्प लिया था। नवीन जिनालय के जल्द से जल्द निर्माण हेतु आचार्य श्री के विहार के बाद जिनालय में मूलनायक की बेदी के बाहर अखंड ज्योत की भी स्थापना की यह अखंड ज्योत तब तक प्रदीप्तमान रहेगी जब तक आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के मंगल आशीर्वाद एवं मंदिर ट्रस्ट कमेटी व समाज जन के सहयोग से नवीन जिनालय(लघु तीर्थ) बनाने का कार्य सम्पन्न हो जाए।

जैनधर्म में गुरु पूर्णिमा की मान्यता

धर्म में गुरु पूर्णिमा को लेकर यह मत प्रचलित है कि इसी दिन जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी ने गांधार राज्य के गौतम स्वामी को अपना प्रथम शिष्य बनाया था। गुरु के सम्मान में हर साल आषाढ़ पूर्णिमा पर गुरु पर्व मनाया जाता है, इसे गुरु पूर्णिमा कहते हैं. ये गुरु के प्रति आभार व्यक्त करने का दिन होता है क्योंकि गुरु ही शिष्य का मार्गदर्शन करते हैं और वे ही जीवन को ऊर्जामय बनाते हैं. गुरु पूर्णिमा 21 जुलाई 2024 को है. गुरु के बिना ज्ञान और मोक्ष दोनों ही प्राप्त करना असंभव है। इस दिन गुरु पूजा का विधान है। गुरु पूर्णिमा वर्षा ऋतु के आरम्भ में आती है। इस दिन से चार महीने तक परिव्राजक साधु-सन्त एक ही स्थान पर रहकर ज्ञान की गंगा बहाते हैं। ये चार महीने मौसम की दृष्टि से भी सर्वश्रेष्ठ होते हैं। न अधिक गर्मी और न अधिक सर्दी। इसलिए अध्ययन के लिए उपयुक्त माने गए हैं। जैसे सूर्य के ताप से तप्त भूमि को वर्षा से शीतलता एवं फसल पैदा करने की शक्ति मिलती है, वैसे ही गुरु-चरणों में उपस्थित साधकों को ज्ञान, शान्ति, भक्ति और योग शक्ति प्राप्त करने की शक्ति मिलती है।

Digiqole Ad

Rama Niwash Pandey

https://ataltv.com/

Related Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *