• October 14, 2025

दिल्ली अग्निकांड: एक पिता की आखिरी कॉल और अनुत्तरित सवाल

25 जून 2025 की शाम 7:40 बजे, रिठाला की एक चार मंजिला फैक्ट्री में आग लगने की खबर ने दिल्ली को हिला दिया। दिलीप सिंह, जो इस फैक्ट्री में काम करते थे, ने अपने बेटे धर्म सिंह को फोन किया। 43 सेकंड की इस कॉल में उन्होंने कहा, “आग हर तरफ फैल गई है, निकलने का कोई रास्ता नहीं है।” धर्म, जो नोएडा में एक लॉ फर्म में काम करते हैं, उस समय मेट्रो में थे। उन्होंने सोचा कि शायद आग छोटी होगी और मदद मिल सकती है। लेकिन दो मिनट बाद जब उन्होंने वापस कॉल किया, तो फोन नहीं उठा। धर्म ने तुरंत एक सहकर्मी को फैक्ट्री भेजा, लेकिन तब तक आग पूरे भवन को निगल चुकी थी। धर्म का कहना है, “काश मैं उनकी बात और सुन पाता, शायद कुछ कर पाता।” यह कॉल न केवल एक परिवार की त्रासदी को दर्शाती है, बल्कि उन असुरक्षित परिस्थितियों को भी उजागर करती है, जिनमें मजदूर काम करते हैं।
रिठाला अग्निकांड: त्रासदी का घटनाक्रम
रिठाला में चार मंजिला इमारत, जिसमें गारमेंट फैक्ट्री और गोदाम थे, में आग शाम 4:45 बजे शुरू हुई और तेजी से फैल गई। आग की शुरुआत मालिक के कार्यालय से हुई, जैसा कि एक जीवित बची गीता देवी ने बताया। इमारत में केवल एक प्रवेश-निकास द्वार था, और कोई अग्निशमन यंत्र या आपातकालीन निकास नहीं था। आठ फायर टेंडरों ने आग पर काबू पाया, लेकिन तब तक चार लोगों—दिलीप सिंह, नीलम देवी, ललिता देवी, और राकेश अरोड़ा—की दम घुटने से मौत हो चुकी थी। गीता देवी ने बताया कि उन्होंने गैलरी से ई-रिक्शा पर कूदकर अपनी जान बचाई, जबकि संजू कुमारी छत से पास की इमारत पर कूद गईं। बचे हुए लोग धुएं से बेहोश हो गए और उन्हें अस्पताल ले जाया गया। इस घटना ने दिल्ली में औद्योगिक इकाइयों में अग्नि सुरक्षा मानकों की कमी को उजागर किया। पुलिस ने बताया कि इमारत के पास अग्नि सुरक्षा प्रमाणपत्र भी नहीं था।
सुरक्षा की अनदेखी: एक बार-बार दोहराई जाने वाली गलती
रिठाला अग्निकांड दिल्ली में हाल के वर्षों में हुई कई ऐसी घटनाओं की कड़ी में एक और दुखद अध्याय है। दिसंबर 2019 में अटल मंडी में 43 लोगों की मौत और हाल के अन्य अग्निकांडों ने बार-बार एक ही सवाल उठाया है: क्यों नहीं लागू होते अग्नि सुरक्षा नियम? इस इमारत में न तो फायर एक्सटिंग्विशर थे, न ही आपातकालीन निकास, और न ही कर्मचारियों को सुरक्षा प्रशिक्षण दिया गया था। दिल्ली फायर सर्विस के प्रमुख अतुल गर्ग ने बताया कि आग तेजी से फैली क्योंकि इमारत में ज्वलनशील सामग्री थी। धर्म सिंह ने मालिकों पर लापरवाही का आरोप लगाया, कहा कि उनके पिता को बचाने का कोई मौका नहीं मिला। विशेषज्ञों का कहना है कि दिल्ली की कई छोटी-बड़ी फैक्ट्रियों में सुरक्षा नियमों का पालन नहीं होता, क्योंकि मालिक लागत कम करने के चक्कर में इन्हें नजरअंदाज करते हैं। इस घटना ने सरकार और प्रशासन पर सख्त नियम लागू करने का दबाव बढ़ा दिया है।
सामाजिक और कानूनी प्रभाव: जवाबदेही की मांग
इस त्रासदी ने न केवल परिवारों को तोड़ा, बल्कि सामाजिक और कानूनी सवालों को भी जन्म दिया। नीलम देवी के परिवार, जिसमें उनके पति नरेश और 10 वर्षीय बेटा सिद्धांत शामिल हैं, उनकी तलाश में अब भी भटक रहे हैं। नरेश ने कहा, “हम बिहार से दिल्ली बेहतर भविष्य के लिए आए थे, लेकिन अब सब खत्म हो गया।” पुलिस ने इमारत के मालिक और फैक्ट्री संचालक के खिलाफ मामला दर्ज किया है, और जांच चल रही है। आग का कारण शॉर्ट सर्किट माना जा रहा है, लेकिन अंतिम रिपोर्ट का इंतजार है। सोशल मीडिया पर लोग इस घटना को “लापरवाही की हत्या” बता रहे हैं, और #RithalaFire हैशटैग के साथ जवाबदेही की मांग कर रहे हैं। यह घटना दिल्ली में श्रमिकों की असुरक्षित कामकाजी परिस्थितियों और प्रशासन की निष्क्रियता को दर्शाती है। भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सख्त नीतियों और नियमित निरीक्षण की जरूरत है।
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Rama Niwash Pandey

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