संभल में मस्जिद पर संकट: क्या बुलडोजर तोड़ेगा आस्था का प्रतीक?
प्रयागराज, 4 अक्टूबर 2025: क्या एक मस्जिद सिर्फ इसलिए ढहाई जाएगी क्योंकि वह सरकारी जमीन पर खड़ी है? संभल के राया बुजुर्ग गांव में गौसुलबरा मस्जिद पर बुलडोजर का खतरा मंडरा रहा है, और इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इसे रोकने की याचिका ठुकरा दी। प्रशासन ने तालाब की जमीन पर बने इस ढांचे को अवैध बताया, लेकिन स्थानीय मुस्लिम समुदाय इसे आस्था का प्रतीक मानता है। चार दिन की मोहलत के बाद भी तोड़फोड़ अधूरी, और अब बुलडोजर की गड़गड़ाहट करीब। क्या यह सिर्फ कानून की जीत है, या सांप्रदायिक तनाव की नई आग? डीएम-एसपी की सख्ती और कोर्ट का फैसला चर्चा में है। आइए, इस विवाद की पूरी कहानी जानें, जहां कानून और भावनाएं आमने-सामने हैं।
तालाब की जमीन का विवाद
संभल के असमोली क्षेत्र में राया बुजुर्ग गांव की गौसुलबरा मस्जिद तालाब की सरकारी जमीन पर बनी है, जिसे प्रशासन ने अवैध घोषित किया। दो अक्टूबर को डीएम राजेंद्र पैंसिया और एसपी कृष्ण कुमार विश्नोई भारी पुलिस बल के साथ पहुंचे। पहले मस्जिद के बगल का 2860 वर्ग मीटर का मैरिज हॉल ढहाया गया। मस्जिद की बारी आई तो स्थानीय लोगों ने खुद तोड़ने के लिए चार दिन की मोहलत मांगी। डीएम ने सहमति दी, लेकिन चेतावनी दी—समय पर काम पूरा नहीं हुआ तो बुलडोजर चलेगा। शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद बाउंड्री वॉल तोड़ना शुरू हुआ, लेकिन समुदाय का उत्साह ठंडा है। प्रशासन का दावा—जमीन राजस्व रिकॉर्ड में तालाब की। समुदाय इसे धार्मिक भावनाओं पर हमला मानता है। उत्तर प्रदेश में बुलडोजर कार्रवाइयां पहले भी विवादों में रही हैं, और यह मामला उसी कड़ी का हिस्सा।
याचिका खारिज, रास्ता साफ
मस्जिद कमेटी के मुतव्वली मिंजार हुसैन ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर ध्वस्तीकरण पर रोक मांगी। जस्टिस दिनेश पाठक की बेंच ने शनिवार को सुनवाई की। मुस्लिम पक्ष ने दावा किया कि मस्जिद पुरानी है, दस्तावेज मौजूद हैं, और कार्रवाई में जल्दबाजी हुई। सरकार की ओर से चीफ स्टैंडिंग काउंसिल जे एन मौर्या ने जवाब दिया—जमीन सरकारी, नोटिस जारी हुए, मोहलत भी दी गई। कोर्ट ने दस्तावेज मांगे, लेकिन याचिका खारिज कर दी, यह कहते हुए कि ट्रायल कोर्ट में अपील करें। यह मुस्लिम पक्ष के लिए बड़ा झटका है, क्योंकि अब बुलडोजर को रोकना मुश्किल। दशहरा अवकाश के बावजूद सुनवाई से मामले की गंभीरता जाहिर होती है।
संवाद की कमी, कार्रवाई की तैयारी
मोहलत का समय खत्म होने को है, लेकिन मस्जिद की तोड़फोड़ धीमी है। स्थानीय लोग शायद कोर्ट से राहत की उम्मीद में थे, जो टूट चुकी है। प्रशासन ने तनाव की आशंका से फ्लैग मार्च शुरू किया और पुलिस तैनात की। मुस्लिम पक्ष अब ट्रायल कोर्ट में जाएगा, जहां जमीन की वैधता साबित करने की कोशिश होगी। विशेषज्ञों का कहना है कि बुलडोजर पॉलिसी अवैध निर्माण हटाने में प्रभावी है, लेकिन धार्मिक स्थलों पर कार्रवाई से तनाव बढ़ता है। संभल में पहले शाही मस्जिद सर्वे पर विवाद हो चुका है। क्या प्रशासन वैकल्पिक जमीन या संवाद का रास्ता अपनाएगा? नहीं तो बुलडोजर की गड़गड़ाहट सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ सकती है। जरूरत है संवेदनशीलता और कानून के संतुलन की, ताकि शांति बनी रहे।
