वो साइंस जो लोगों को बनाता है जवां, उस पर अरबों डॉलर लगा रहीं कंपनियां! शेफाली केस में क्यों सवालों में है?
एंटी-एजिंग साइंस आज जैव प्रौद्योगिकी का सबसे तेजी से उभरता क्षेत्र है। यह विज्ञान उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करने, रोकने या उलटने का वादा करता है। वैश्विक स्तर पर इस उद्योग का मूल्य 2023 में 600 मिलियन डॉलर था और 2030 तक इसके 3.6 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। कंपनियां जैसे अल्टोस लैब्स, यूनिटी बायोटेक्नोलॉजी, और कैलिको लैब्स, जिनमें जेफ बेजोस और पीटर थील जैसे अरबपतियों ने अरबों डॉलर का निवेश किया है, सेलुलर रीप्रोग्रामिंग और सेनोलिटिक्स जैसे नवाचारों पर काम कर रही हैं। ये तकनीकें कोशिकाओं को फिर से जवां करने या उम्र बढ़ने से जुड़ी बीमारियों को रोकने का लक्ष्य रखती हैं। उदाहरण के लिए, शिन्या यामानाका की खोज ने दिखाया कि चार प्रोटीन (यामानाका फैक्टर्स) कोशिकाओं को प्लुरिपोटेंट बना सकते हैं, जो शरीर में किसी भी कोशिका में बदल सकती हैं। यह तकनीक उम्र बढ़ने को उलटने की संभावना को बढ़ावा देती है। हालांकि, इन तकनीकों का अभी तक मानवों पर कोई क्लिनिकल ट्रायल शुरू नहीं हुआ है, जिससे इस क्षेत्र में जोखिम और अनिश्चितता बनी हुई है। फिर भी, वैश्विक जनसंख्या में 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों की बढ़ती संख्या और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता इस उद्योग को गति दे रही है।
एंटी-एजिंग में निवेश करने वाली कंपनियों में अल्टोस लैब्स सबसे प्रमुख है, जिसे 2022 में 3 बिलियन डॉलर की फंडिंग मिली, जिसमें जेफ बेजोस और यूरी मिलनर जैसे निवेशकों का योगदान है। यह कंपनी सेलुलर रीप्रोग्रामिंग पर केंद्रित है, जिसका लक्ष्य कोशिकाओं की उम्र को रिवर्स करना है। इसी तरह, रेट्रो बायोसाइंसेज, जिसे ओपनएआई के सीईओ सैम ऑल्टमैन ने 180 मिलियन डॉलर का समर्थन दिया, ऑटोफैजी और सेलुलर प्रोग्रामिंग पर काम कर रही है। कैलिको लैब्स, गूगल के समर्थन से, उम्र से संबंधित बीमारियों जैसे कैंसर और न्यूरोडीजेनेरेशन पर शोध कर रही है। यूनिटी बायोटेक्नोलॉजी, जिसमें बेजोस और थील ने निवेश किया है, सेनोलिटिक्स पर ध्यान दे रही है, जो उम्र बढ़ने वाली कोशिकाओं को हटाने का काम करती है। हालांकि, 2020 में इसके ऑस्टियोआर्थराइटिस ड्रग UBX0101 के फेज II ट्रायल में असफलता ने निवेशकों का उत्साह कम किया। फिर भी, 2023 में लॉन्जविटी बायोटेक में 3 बिलियन डॉलर से अधिक का निवेश हुआ, और 2028 तक इस बाजार के 600 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। ये कंपनियां न केवल वैज्ञानिक नवाचार पर बल्कि नियामक मंजूरी और बाजार की मांग को साबित करने पर भी ध्यान दे रही हैं।
शेफाली जरीवाला की 42 वर्ष की आयु में अचानक मृत्यु ने एंटी-एजिंग उपचारों की सुरक्षा पर सवाल उठाए हैं। 27-28 जून 2025 की रात को, शेफाली को कार्डियक अरेस्ट हुआ, और उन्हें मुंबई के बेलेव्यू मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल में मृत घोषित किया गया। पुलिस सूत्रों के अनुसार, शेफाली पिछले 5-6 वर्षों से विटामिन C और ग्लूटाथियोन जैसी एंटी-एजिंग दवाओं का उपयोग कर रही थीं। उनकी मृत्यु के बाद, पुलिस ने उनके घर से दवाएं और इंजेक्शन जब्त किए। चिकित्सा साहित्य के अनुसार, ग्लूटाथियोन जैसे एंटी-एजिंग इंजेक्शनों का लंबे समय तक उपयोग हृदय कार्य को बाधित कर सकता है, रक्तचाप को प्रभावित कर सकता है, और अतालता को ट्रिगर कर सकता है। पॉलीफार्मेसी, यानी एक साथ कई दवाओं का उपयोग, जैसा कि शेफाली के मामले में बताया गया, जोखिम को और बढ़ा सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि अनियंत्रित डोज और गैर-प्रमाणित दवाएं, विशेष रूप से ऑनलाइन खरीदी गई, घातक हो सकती हैं। शेफाली ने उपवास के बाद इंजेक्शन लिया, जिससे उनका रक्तचाप अचानक गिर गया। यह मामला उन खतरों को उजागर करता है जो बिना चिकित्सकीय निगरानी के एंटी-एजिंग उपचारों से जुड़े हैं।
नियामक चुनौतियां और भविष्य की संभावनाएं
एंटी-एजिंग उद्योग में नियामक चुनौतियां सबसे बड़ी बाधा हैं। उम्र बढ़ना अभी तक आधिकारिक तौर पर बीमारी के रूप में मान्यता प्राप्त नहीं है, जिसके कारण कंपनियों को विशिष्ट उम्र-संबंधी बीमारियों जैसे कैंसर या डायबिटीज पर ध्यान देना पड़ता है। अमेरिकी FDA वर्तमान में 50 से अधिक एंटी-एजिंग दवाओं की समीक्षा कर रही है, लेकिन इनके लिए स्पष्ट नियामक ढांचा नहीं है। उदाहरण के लिए, मेटफॉर्मिन जैसे ड्रग्स, जो उम्र बढ़ने से संबंधित बीमारियों को रोकने में मदद कर सकते हैं, को TAME ट्रायल के माध्यम से टेस्ट किया जा रहा है, लेकिन फंडिंग की कमी इसे धीमा कर रही है। भारत में, शेफाली केस ने अनियंत्रित कॉस्मेटोलॉजी और नकली दवाओं के खतरे को उजागर किया है। विशेषज्ञों का कहना है कि बिना डर्मेटोलॉजिस्ट की सलाह के इंजेक्शन लेना जानलेवा हो सकता है। भविष्य में, सेनोलिटिक्स और जीन थैरेपी जैसे क्षेत्रों में प्रगति की उम्मीद है, लेकिन लागत और पहुंच एक बड़ी चुनौती रहेगी। यदि ये उपचार सुरक्षित और प्रभावी साबित होते हैं, तो यह वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए 38 ट्रिलियन डॉलर का योगदान दे सकता है। हालांकि, शेफाली जैसे मामले यह चेतावनी देते हैं कि बिना नियमन और जागरूकता के, एंटी-एजिंग की चाहत घातक साबित हो सकती है।