चीन-रूस और ईरान तो ठीक, अब पाकिस्तान को आतंकियों से लग रहा है डर; TTP और BLA का किया जिक्र
इस्लामाबाद, 8 अक्टूबर 2025: पाकिस्तान, जो कभी आतंकवाद का गढ़ माना जाता था, अब खुद अफगानिस्तान में सक्रिय आतंकी संगठनों से सतर्क हो रहा है। मॉस्को में चीन, रूस, ईरान और पाकिस्तान के विशेष प्रतिनिधियों की बैठक में पाक ने TTP, BLA जैसे समूहों का जिक्र कर चिंता जताई। यह क्वाड्रिलैटरल मीटिंग मॉस्को फॉर्मेट की 7वीं कॉन्फ्रेंस से पहले हुई, जहां सभी ने शांतिपूर्ण अफगानिस्तान की प्रतिबद्धता दोहराई। लेकिन पाक का यह ‘रोना’ क्या विडंबना है? ओसामा बिन लादेन को आश्रय देने वाला देश अब TTP के हमलों से त्रस्त क्यों? बैठक का एजेंडा और पाक की भूमिका क्या कहती है? आगे पढ़ें पूरी बहस।
मॉस्को में क्वाड्रिलैटरल मीटिंग: अफगानिस्तान पर चिंता, पाक का TTP-BLA जिक्र
7 अक्टूबर को मॉस्को में अफगानिस्तान के लिए विशेष प्रतिनिधियों की क्वाड्रिलैटरल बैठक हुई, जिसमें पाकिस्तान के मोहम्मद सादिक, चीन के यू एक्सियॉयॉन्ग, रूस के जामिर काबुलोव और ईरान के मुहम्मद रेजा बह्रामी शामिल हुए। यह मीटिंग मॉस्को फॉर्मेट की 7वीं कॉन्फ्रेंस से ठीक पहले आयोजित की गई, जहां भारत, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान जैसे 10 देश अफगानिस्तान मुद्दों पर चर्चा करेंगे। सादिक ने एक्स पर पोस्ट कर बताया, ‘सभी देशों ने स्थिर, संप्रभु और शांतिपूर्ण अफगानिस्तान की प्रतिबद्धता दोहराई।’ मुख्य चिंता: अफगानिस्तान में TTP (तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान), BLA (बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी), ETIM (ईस्टर्न तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट), जैश-उल-अदल, ISIS-K और अल-कायदा जैसे संगठनों की मौजूदगी। चारों देशों ने आतंकवाद से निपटने के लिए समन्वय पर जोर दिया, बाहरी हस्तक्षेप को खतरा बताया। रूसी विदेश मंत्रालय के अनुसार, यह बैठक क्षेत्रीय सुरक्षा पर केंद्रित थी।
पाकिस्तान का ‘घड़ियाली आंसू’: TTP-BLA से डर, लेकिन इतिहास क्या कहता?
पाकिस्तान ने बैठक में TTP और BLA का विशेष जिक्र किया, जो उसके लिए सबसे बड़ा खतरा हैं। TTP ने 2022 से अब तक 1,000 से ज्यादा हमले किए, जिसमें 500 जवान मारे गए। BLA बलूचिस्तान में स्वतंत्रता की मांग कर रही, CPEC प्रोजेक्ट्स को निशाना बना रही। सादिक ने कहा, ‘ये संगठन साझा खतरा हैं, सहयोग जरूरी।’ लेकिन विडंबना: पाक ने दशकों तक अफगानिस्तान को तालिबान का गढ़ बनाया, ओसामा को Abbottabad में छिपाया। ऑपरेशन सिंदूर (मई 2025) में भारत ने बालाकोट जैसे ठिकानों पर स्ट्राइक की, तो पाक आर्मी अफसरों ने आतंकी जनाजों में आंसू बहाए। अब अफगान तालिबान से TTP पर कार्रवाई की मांग कर रहा, लेकिन काबुल सहयोग नहीं कर रहा। चीन-ईरान-Russia के साथ पाक की यह चिंता क्षेत्रीय गठबंधन का हिस्सा लगती, लेकिन आलोचक कहते हैं—यह पाक की दोहरी नीति का नतीजा।
मॉस्को फॉर्मेट की 7वीं कॉन्फ्रेंस: भारत की भूमिका, क्षेत्रीय शांति का रोड
मैपबैठक मॉस्को फॉर्मेट की 7वीं कॉन्फ्रेंस का प्रील्यूड थी, जो 7 अक्टूबर को हुई। इसमें अफगान प्रतिनिधि, भारत के जेपी सिंह, ईरान, कजाकिस्तान, चीन, किर्गिस्तान, पाक, रूस, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल। संयुक्त बयान में आतंकवाद-मुक्त अफगानिस्तान, समावेशी सरकार और आर्थिक सहयोग पर जोर। रूस ने विदेशी सैन्य अड्डों का विरोध किया, अफगान-लीड सॉल्यूशंस की मांग की। पाक ने CPEC को अफगानिस्तान तक बढ़ाने का जिक्र किया। भारत ने तहरीक-ए-तालिबान और ISIS-K पर चिंता जताई। विशेषज्ञों का मानना: यह मीटिंग SCO और QUAD जैसे फोरम्स से अलग, क्षेत्रीय फोकस वाली। लेकिन पाक की चिंता सच्ची लगे या नहीं, यह क्षेत्रीय स्थिरता के लिए जरूरी कदम। आगे की कॉन्फ्रेंस में काउंटर-टेररिज्म पर ठोस प्लान की उम्मीद।