नई दिल्ली – 8 अक्टूबर, 2025: साइबर दुनिया में एक बड़ा धमाका हुआ है। इंटरपोल के अभियान ‘HAECHI-VI’ में CBI ने कंधे से कंधा मिलाकर अंतरराष्ट्रीय अपराधियों पर नकेल कसी। ऑनलाइन ठगी से लेकर नाबालिगों का शोषण तक, ये गिरोह डिजिटल जाल बुनकर लाखों को लूट रहे थे। लेकिन अब ये नेटवर्क टूटने की कगार पर हैं। FBI और जर्मन एजेंसियों के साथ मिलीभगत से क्या-क्या बरामद हुआ? एक तरफ नकदी का ढेर, दूसरी तरफ फ्रीज खाते। यह कार्रवाई न सिर्फ भारत को सुरक्षित कर रही है, बल्कि वैश्विक साइबर खतरे पर ब्रेक लगा रही है। क्या ये अपराधी सिर्फ ठग थे, या कुछ और गहरा राज छिपा था? आइए, इस बहादुरी भरी जंग की कहानी जानें, जो डिजिटल दुनिया की कमजोरियों को उजागर कर रही है।
ऑपरेशन HAECHI-VI: वैश्विक जाल से साइबर ठगों पर कसा शिकंजा
इंटरपोल का ऑपरेशन HAECHI-VI मई से अगस्त 2025 तक चला, जिसमें 40 देशों ने हिस्सा लिया। इसका लक्ष्य सात प्रमुख साइबर अपराध थे—वित्तीय ठगी, वॉयस फिशिंग, लव/रोमांस स्कैम, ऑनलाइन सेक्सटॉर्शन, निवेश धोखा, अवैध जुआ से मनी लॉन्ड्रिंग, बिजनेस ईमेल कंपромाइज और ई-कॉमर्स फ्रॉड। CBI की इंटरनेशनल ऑपरेशंस डिवीजन ने FBI, यूएस डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस और जर्मन अथॉरिटीज के साथ तालमेल बिठाया। वैश्विक स्तर पर $342 मिलियन की वित्तीय रिकवरी हुई, $97 मिलियन की संपत्तियां जब्त, 68,000 बैंक खाते फ्रीज और 400 क्रिप्टो वॉलेट सील। भारत में CBI ने पश्चिम बंगाल से पंजाब तक छापे मारे, डिजिटल क्राइम डेंस उजागर किए। ये गिरोह विदेशी नागरिकों और नाबालिगों को निशाना बनाते थे। CBI ने कहा, “साइबर नेटवर्क नागरिकों की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा हैं।” इंटरपोल के साथ समन्वय से कई बड़े सिंडिकेट ध्वस्त हुए। यह ऑपरेशन न सिर्फ गिरफ्तारियां लाया, बल्कि साइबर अपराध की जड़ों को काटा। कुल मिलाकर, यह वैश्विक एकजुटता का प्रतीक बना, जहां तकनीक का दुरुपयोग रोकने की दिशा में बड़ा कदम उठा।
अमेरिकी निशाने पर भारत के अपराधी: सेक्सटॉर्शन और टेक स्कैम का खुलासा
FBI की खुफिया जानकारी पर CBI ने दो प्रमुख अपराधियों को दबोचा, जो अमेरिकी नाबालिग लड़कियों को सोशल मीडिया पर फंसाते थे। ये आरोपी धमकियां देकर अश्लील तस्वीरें-वीडियो वसूलते, जिसे ऑनलाइन सेक्सटॉर्शन कहते हैं। दिल्ली और अमृतसर में फर्जी टेक सपोर्ट कॉल सेंटर्स का पर्दाफाश हुआ, जहां अपराधी अमेरिकी नागरिकों को फोन कर तकनीकी समस्या का बहाना बनाकर पैसे ऐंठते। ये सेंटर्स छद्म नामों से चलते, वित्तीय ठगी का केंद्र थे। CBI ने छापों में 8 अपराधियों को गिरफ्तार किया, 45 संदिग्धों की पहचान की। बरामदगी में $66,340 (करीब ₹55 लाख) नकदी और 30 बैंक खाते फ्रीज शामिल। ये गिरोह क्रिप्टोकरेंसी से पैसे छिपाते, लेकिन इंटरनेशनल कोऑर्डिनेशन से पकड़े गए। वैश्विक रिकवरी में $16 मिलियन के अवैध मुनाफे जब्त हुए। यह कार्रवाई बच्चों की सुरक्षा और विदेशी पीड़ितों के लिए मील का पत्थर साबित हुई। CBI ने वादा किया कि इंटरपोल के साथ सहयोग जारी रहेगा। कुल मिलाकर, अमेरिकी सहयोग ने भारत के साइबर अपराधियों को वैश्विक नजरों में ला खड़ा किया, जहां न्याय की जीत हुई।
जर्मन लीड से सिलिगुड़ी का काला कारखाना: ठगी का अंतिम अध्याय
जर्मन अथॉरिटीज की टिप पर CBI ने सिलिगुड़ी (दार्जिलिंग) में एक फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़ किया। यह सेंटर जर्मनी के लोगों को ऑनलाइन ठगने का हब था, जहां वॉयस फिशिंग और ई-कॉमर्स फ्रॉड के जरिए लाखों यूरो लूटे जाते। अपराधी जर्मन भाषा में फोन कर निवेश या खरीदारी का लालच देते। छापे में कई उपकरण जब्त हुए, जो अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क से जुड़े थे। इस कार्रवाई से न सिर्फ स्थानीय गिरोह टूटा, बल्कि यूरोपीय पीड़ितों को न्याय मिला। CBI ने कहा कि ऐसे सेंटर देश-विदेश की सुरक्षा को खतरे में डालते। ऑपरेशन HAECHI-VI ने भारत को साइबर फ्रंटलाइन पर मजबूत किया, जहां विदेशी इनपुट्स से तेज कार्रवाई संभव हुई। भविष्य में क्रिप्टो ट्रैकिंग और AI टूल्स से ऐसे अपराध रोके जाएंगे। यह घटना दिखाती है कि साइबर अपराध सीमाओं को लांघते हैं, लेकिन कानून भी वैश्विक हो रहा। कुल मिलाकर, सिलिगुड़ी का यह कदम ऑपरेशन का चरम था, जो साइबर दुनिया में नई उम्मीद जगाता है।