कानपुर में 4 साल की बच्ची से दरिंदगी: रेप के बाद पत्थर से सिर कुचलने की कोशिश
उत्तर प्रदेश 11 जून 2025: कानपुर जिले के घाटमपुर क्षेत्र से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई, जहां एक 4 साल की मासूम बच्ची के साथ दुष्कर्म किया गया। आरोपी ने बच्ची के चिल्लाने पर उसका सिर पत्थर और ईंट से कुचलने की कोशिश की, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गई। बच्ची को तत्काल ग्रीन कॉरिडोर बनाकर कानपुर के हैलेट अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसकी हालत बेहद गंभीर बनी हुई है। इस घटना ने समाज में आक्रोश की लहर पैदा कर दी है, और लोग आरोपी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। पुलिस ने मामला दर्ज कर आरोपी की तलाश शुरू कर दी है।
घटना का विवरण
घटना घाटमपुर थाना क्षेत्र के एक गांव में 10 जून 2025 की शाम को हुई। बच्ची अपने घर के बाहर खेल रही थी, जब पड़ोस में रहने वाला आरोपी, जिसे बच्ची “अंकल” कहती थी, उसे चॉकलेट का लालच देकर पास की मजार के पीछे ले गया। वहां उसने बच्ची के साथ दुष्कर्म किया। जब बच्ची ने विरोध किया और चिल्लाई, तो आरोपी ने उसका मुंह पत्तों से बंद किया और ईंट व पत्थर से उसके सिर पर कई वार किए। बच्ची लहूलुहान हालत में मिली। स्थानीय लोगों ने उसे देखकर तुरंत परिजनों को सूचना दी। परिजनों ने बच्ची को स्थानीय अस्पताल पहुंचाया, जहां से उसे गंभीर हालत में हैलेट अस्पताल रेफर किया गया।
पुलिस की त्वरित कार्रवाई
घटना की सूचना मिलते ही घाटमपुर पुलिस ने तत्काल कार्रवाई शुरू की। पुलिस ने बच्ची के परिजनों की शिकायत पर आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 376 और पॉक्सो एक्ट की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया। पुलिस आयुक्त और अन्य वरिष्ठ अधिकारी आधी रात को हैलेट अस्पताल पहुंचे, जहां उन्होंने बच्ची की स्थिति का जायजा लिया। पुलिस ने बताया कि आरोपी की पहचान कर ली गई है और उसकी गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की जा रही है। पुलिस ने यह भी सुनिश्चित किया कि बच्ची को तुरंत मेडिकल सहायता मिले, और ग्रीन कॉरिडोर बनाकर उसे अस्पताल पहुंचाया गया।
बच्ची की स्थिति और चिकित्सा
हैलेट अस्पताल में बच्ची को गहन चिकित्सा इकाई (ICU) में भर्ती किया गया है। डॉक्टरों के अनुसार, बच्ची के सिर पर गंभीर चोटें हैं, और उसकी हालत नाजुक बनी हुई है। मेडिकल टीम उसका इलाज कर रही है, और उसकी स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है। बच्ची के सिर पर ईंट और पत्थर से कई वार किए गए, जिससे उसे गहरी चोटें आई हैं। परिजनों का कहना है कि बच्ची की हालत देखकर उनका दिल टूट गया है। इस घटना ने एक बार फिर बच्चों के खिलाफ अपराधों पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
समाज में आक्रोश और प्रतिक्रियाएं
इस जघन्य अपराध ने कानपुर और आसपास के क्षेत्रों में गुस्से की लहर पैदा कर दी है। सोशल मीडिया पर लोग इस घटना की निंदा कर रहे हैं और आरोपी को कठोर सजा देने की मांग कर रहे हैं। एक एक्स पोस्ट में लिखा गया, “कानपुर में 4 साल की मासूम से रेप, चिल्लाने पर सिर कुचलने की कोशिश। क्या यही है भाजपा का ‘सुशासन’?” कई यूजर्स ने योगी सरकार और पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए, जबकि अन्य ने बच्चों की सुरक्षा के लिए कड़े कानूनों की वकालत की। यह घटना समाज में बाल सुरक्षा और कानून व्यवस्था की कमियों को उजागर करती है।
कानपुर में अपराध की स्थिति
कानपुर में हाल के वर्षों में नाबालिगों के खिलाफ यौन अपराधों की कई घटनाएं सामने आई हैं। 2023 में एक 7 साल के बच्चे पर 5 साल की बच्ची से दुष्कर्म का आरोप लगा था, और 2018 में चार नाबालिग लड़कों पर 4 साल की बच्ची से गैंगरेप का केस दर्ज हुआ था। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के 2021 के आंकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में नाबालिगों के खिलाफ यौन अपराधों की दर राष्ट्रीय औसत से अधिक है। कानपुर, एक औद्योगिक शहर होने के बावजूद, अपराध नियंत्रण में चुनौतियों का सामना कर रहा है। यह घटना इन समस्याओं को और गंभीरता से उजागर करती है।
कानूनी और सामाजिक चुनौतियां
इस मामले में पुलिस के सामने सबसे बड़ी चुनौती आरोपी को जल्द से जल्द गिरफ्तार करना और उसे कठोर सजा दिलवाना है। पॉक्सो एक्ट के तहत ऐसे अपराधों में कड़ी सजा का प्रावधान है, लेकिन कई बार जांच और सुनवाई में देरी से पीड़ित परिवारों को न्याय मिलने में बाधा आती है। सामाजिक स्तर पर, बच्चों को यौन शोषण से बचाने के लिए जागरूकता कार्यक्रमों और स्कूलों में सुरक्षा उपायों को बढ़ाने की जरूरत है। विशेषज्ञों का कहना है कि समाज में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सामुदायिक निगरानी और त्वरित पुलिस कार्रवाई जरूरी है।
निष्कर्ष
कानपुर में 4 साल की मासूम के साथ हुई यह क्रूर घटना समाज के लिए एक गंभीर चेतावनी है। बच्ची की गंभीर हालत और परिवार का दुख इस अपराध की भयावहता को दर्शाता है। पुलिस की त्वरित कार्रवाई सराहनीय है, लेकिन असली न्याय तब होगा जब आरोपी को कठोर सजा मिलेगी। यह घटना बच्चों की सुरक्षा, कानून व्यवस्था, और सामाजिक जागरूकता पर गंभीर सवाल उठाती है। समाज और प्रशासन को मिलकर ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे, ताकि भविष्य में कोई और बच्ची ऐसी दरिंदगी का शिकार न बने।
