Border Flashpoint Ignites: पाकिस्तान-अफगानिस्तान संबंधों में नया संकट, मुत्तकी का पलटवार– क्या युद्ध की कगार पर है दक्षिण एशिया?
इस्लामाबाद (Islamabad) और काबुल (Kabul) के बीच तल्खी की आग तेज हो गई है, जहां पाकिस्तान के हालिया बम धमाकों ने पुराने घावों को कुरेद दिया। विदेश मंत्री ख्वाजा आसिफ (Khawaja Asif) के ‘युद्ध की चेतावनी’ वाले बयान ने अफगानिस्तान (Afghanistan) को भड़का दिया, तो तालिबान सरकार ने सीधे तौर पर जवाबी कार्रवाई का ऐलान कर दिया। टीटीपी (TTP) पर आरोप-प्रत्यारोप के बीच शांति वार्ताएं विफल हो चुकी हैं, और सीमावर्ती इलाकों में गोलीबारी की घटनाएं बढ़ गई हैं। क्या यह दुर्घटना है या सुनियोजित साजिश? क्षेत्रीय शक्तियां सतर्क हैं, लेकिन तनाव का असर व्यापार से लेकर सुरक्षा तक फैल चुका है। तो चलिए जानते हैं पूरा मामला क्या है, विस्तार से…
तनाव की पृष्ठभूमि: बीते दशकों का पुराना विवाद, नई आग
पाकिस्तान (Pakistan) और अफगानिस्तान (Afghanistan) के बीच संबंध हमेशा से उतार-चढ़ाव भरे रहे हैं, खासकर दुर्खांड लाइन (Durand Line) सीमा विवाद के कारण। 2025 में यह तनाव चरम पर पहुंच गया, जब अक्टूबर में सीमावर्ती झड़पों के बाद दोहा (Doha) में युद्धविराम समझौता हुआ। पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ (Khawaja Asif) और अफगान रक्षा मंत्री मुल्ला मोहम्मद याकूब (Mullah Mohammad Yaqoob) ने हस्ताक्षर किए, लेकिन नवंबर तक वार्ताएं पटरी से उतर गईं। इस्लामाबाद (Islamabad) में 11 नवंबर को कोर्ट के बाहर सुसाइड ब्लास्ट में कई लोग मारे गए, जिसकी जिम्मेदारी टीटीपी (Tehreek-e-Taliban Pakistan) ने ली। पाकिस्तान ने इसे अफगान धरती से समर्थित बताया, जबकि तालिबान ने खारिज कर दिया। हाल के महीनों में आईएसआईएस (ISIS) लड़ाकों के पारगमन और हवाई हमलों के आरोपों ने माहौल को और गरमा दिया। विशेषज्ञों का कहना है कि यह पुरानी दुश्मनी का नया अध्याय है, जो क्षेत्रीय स्थिरता को खतरे में डाल रहा है।
मुख्य घटनाक्रम: आसिफ की धमकी और मुत्तकी का कड़ा पलटवार
5 नवंबर को इस्तांबुल (Istanbul) में तीसरी दौर की वार्ता से पहले ख्वाजा आसिफ (Khawaja Asif) ने चेतावनी दी कि यदि बातचीत विफल रही, तो ‘युद्ध और वृद्धि’ होगी। इसके अगले दिन 6 नवंबर को स्पिन बोल्डाक (Spin Boldak) में सीमा पर गोलीबारी हुई, जिसमें चार अफगान नागरिक मारे गए। पाकिस्तान के सूचना मंत्री अताउल्लाह तरार (Attaullah Tarar) ने वार्ता को ‘अकर्मण्य’ बताया, जबकि तालिबान प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद (Zabihullah Mujahid) ने कहा कि इस्लामाबाद (Islamabad) ने अफगानिस्तान से अपनी आंतरिक सुरक्षा की जिम्मेदारी लेने की मांग की। 8 नवंबर को तालिबान ने पाकिस्तानी सेना और खुफिया तत्वों पर वार्ता तोड़ने का आरोप लगाया। 11 नवंबर के इस्लामाबाद ब्लास्ट के बाद आसिफ ने इसे ‘सभी के लिए युद्ध’ करार दिया, अफगान तालिबान को जिम्मेदार ठहराते हुए। अफगान विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी (Amir Khan Muttaqi) ने नई दिल्ली (New Delhi) में प्रेस कॉन्फ्रेंस में पाकिस्तान की ‘अवास्तविक मांगों’ को खारिज किया, सीमा उल्लंघन का जिक्र करते हुए। यह घटनाक्रम दक्षिण एशिया में नई अस्थिरता का संकेत दे रहा है।
प्रतिक्रियाएं और बयान: काबुल की नाराजगी, क्षेत्रीय चिंताएं
आमिर खान मुत्तकी (Amir Khan Muttaqi) ने 13 नवंबर को कहा कि पाकिस्तान अपनी आंतरिक असफलताओं का दोष अफगानिस्तान पर मढ़ रहा है, और आईएसआईएस (ISIS) लड़ाकों को पारगमन की अनुमति दे रहा है। उन्होंने दुर्खांड लाइन (Durand Line) पर पाकिस्तानी हवाई हमलों का हवाला देते हुए कहा, ‘हमारी धरती का इस्तेमाल किसी के खिलाफ नहीं होगा, लेकिन उकसावे का जवाब दिया जाएगा।’ ख्वाजा आसिफ (Khawaja Asif) ने एक्स (X) पर पोस्ट कर ‘युद्ध की स्थिति’ का ऐलान किया, तालिबान को आतंकवाद का समर्थक बताते हुए। तालिबान ने इसे ‘राजनीतिक उकसावा’ कहा, जबकि कतर (Qatar) और सऊदी अरब (Saudi Arabia) ने शत्रुता रोकने की अपील की। भारतीय विदेश मंत्रालय ने चिंता जताई, मुत्तकी की अक्टूबर यात्रा के बाद संबंध मजबूत होने का जिक्र करते हुए। क्षेत्रीय विशेषज्ञ, जैसे अल जजीरा (Al Jazeera) विश्लेषक, मानते हैं कि यह भारत-पाक तनाव को भी प्रभावित कर सकता है। तालिबान ने सहयोग के प्रस्ताव दोहराए, लेकिन पाकिस्तान की ‘अनिश्चित’ प्रतिक्रिया ने संवाद की राह रोकी।