• December 31, 2025

भाजपा का आरोप- कांग्रेस सरकार डेंगू के आँकड़ों को छिपाकर अपनी चमड़ी बचाने में लगी

भारतीय जनता पार्टी के सरगुजा संभाग प्रभारी संजय श्रीवास्तव ने डेंगू के बढ़ते कहर पर चिंता जाहिर कर प्रदेश सरकार पर निशाना साधा है कि प्रदेश के हर जिले में डेंगू का प्रकोप लगातार फैल रहा है, लेकिन प्रदेश सरकार खामोश बैठी है, उसे न तो मरीजों की चीत्कार सुनाई दे रही है और न ही डेंगू फैलाव नजर आ रहा है।

श्रीवास्तव ने कहा कि प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह तार-तार हो चुकी है और सरकारी अस्पतालों की बदहाली के चलते डेंगू के मरीजों को विवश होकर निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ रहा है जहाँ एलाइजा टेस्ट की रिपोर्ट जमा किए बिना आयुष्मान कार्ड के जरिए इलाज का खर्च वसूलने के लिए क्लेम किया जा रहा है।भाजपा सरगुजा संभाग प्रभारी श्रीवास्तव ने बुधवार को एकात्म परिसर स्थित भाजपा कार्यालय में प्रेस ब्रीफ में पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि आज राजधानी समेत पूरे प्रदेश में डेंगू का कहर दिख रहा है और लोगों की जानें जा रही हैं, लेकिन ऐसे समय में भी प्रदेश सरकार बजाय इलाज के पुख्ता इंतजाम करने के आँकड़ेबाजी करने और सही आँकड़ों को छिपाकर केंद्र सरकार को गलत रिपोर्ट देकर अपनी चमड़ी बचाने में लगी है।

श्रीवास्तव ने कहा कि आज राजधानी समेत प्रदेश के अमूमन सभी शहरों, नगरों, कस्बों के मोहल्लों में हर परिवार डेंगू के कहर से जूझ रहा है और अपनी चमड़ी बचाने में लगी प्रदेश सरकार की प्राथमिकता में डेंगू से लोगों की जान बचाना नहीं है, यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। चिकित्सा शिक्षा से जुड़े डॉ. विष्णु दत्त भी एक सप्ताह से डेंगू का इलाज अंबेडकर अस्पताल में करा रहे हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि प्रदेश में डेंगू का प्रकोप भयावह हो चला है। श्रीवास्तव ने कहा कि प्रदेश सरकार को आज डेंगू की रोकथाम के लिए पूरी संवेदनशीलता के साथ काम करने की जरूरत है। श्रीवास्तव ने राजधानी में एक ही परिवार के दो सगे भाइयों की डेंगू से हुई मौतों का जिक्र करते हुए कहा कि डेंगू के चलते प्रदेश में हँसते-खेलते परिवार उजड़ रहे हैं। अपनी राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता को छोड़कर मुख्यमंत्री भूपेश तथा उपमुख्यमंत्री व स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव को लोगों की जान बचाने की दिशा में पुख्ता पहल करनी चाहिए।

श्रीवास्तव ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री सिंहदेव के ही क्षेत्र अंबिकापुर में चार नवजात शिशुओं की हुई मृत्यु को दुर्भाग्यपूर्ण है, जहाँ एक सरकारी अस्पताल में बिजली गुल होने से वेंटीलेटर और ऑक्सीजन सपोर्ट बंद होने के कारण यह मौतें हुईं। यह प्रदेश सरकार के नाकारापन का प्रमाण है कि प्रदेश में इलाज के अभाव में 40 हजार माताओं की गोद सूनी हो गई। प्रदेश सरकार ने खुद विधानसभा में 39 हजार 267 बच्चों की मौत समुचित इलाज के अभाव में होने की बात स्वीकार की है।

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