स्थानीय निकायों के प्रतिनिधियों को वॉरियर बनाएगी भाजपा

लोकसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर जहां कांग्रेस-आआपा अपनी-अपनी रणनीति बनाकर गुजरात में खाता खोलना चाहती है, तो भाजपा लगातार दो लोकसभा चुनाव में राज्य की सभी सीट जीतने बाद इस बार हैट्रिक की जुगत भिड़ा रही है। भाजपा अपने माइक्रो मैनेजमेंट पर फिर एक बार भरोसा करते हुए अंतिम व्यक्ति तक पहुंच बनाने की रणनीति पर काम में जुट गई है। इसी के तहत राज्य में इस बार स्थानीय निकायों के प्रतिनिधियों को भाजपा अपना वॉरियर बनाकर चुनाव मैदान में उतारने की योजना बना रही है।
गुजरात में सत्तारूढ़ भाजपा के पास 31 जिला पंचायतों के साथ ही 196 तहसील पंचायत और 74 नगरपालिकाओं में स्पष्ट बहुमत हासिल है। इसके अलावा राज्य के सभी 8 महानगर पालिका पर भी भाजपा का कब्जा है। राज्य में मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने केवल एक नगरपालिका और 18 तहसील पंचायतों में स्पष्ट बहुमत हासिल है। गांवों की सरकार पर अपने कब्जे से उत्साहित भाजपा अपने गांव के जन प्रतिनिधियों को ही इस बार अपना वॉरियर बनाने की तैयारी में है। इसके लिए पार्टी का संगठन उन्हें चाक-चौबंद करने के लिए बेहतर प्रशिक्षण देगा। नगर पालिका, महानगर पालिका, तहसील पंचायत और जिला पंचायत में निर्वाचित जन प्रतिनिधियों को प्रशिक्षण वर्ग में बुलाया जाएगा। इस संबंध में भाजपा पदाधिकारियों के एक महत्वपूर्ण बैठक भी हो चुकी है। भाजपा के राष्ट्रीय पदाधिकारी भी प्रशिक्षण वर्ग में शामिल होंगे। सूत्रों के अनुसार सभी जिलों में इस तरह की बैठक का आयोजन किया जाएगा।
फीडबैक लेने का जमीनी स्तर से प्रयास।
आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सी आर पाटिल एक के बाद एक जिलों का लगातार प्रवास कर रहे हैं। संगठन और जन प्रतिनिधियों के साथ समन्वय कर उनकी बातों और समस्याओं से रूबरू हो रहे हैं। विभिन्न मंच और मोर्चा के पदाधिकारियों के साथ बैठक कर जमीनी हकीकत से जुड़ने का प्रयास किया जा रहा है। फिलहाल भाजपा की ओर से प्रत्येक लोकसभा सीट और उसके अंतर्गत आने वाली विधानसभा सीटों, जिला पंचायत, नगर या महानगर पालिका, ग्राम पंचयत में वास्तविक स्थिति की जानकारी एकत्रित किया जा रहा है। भाजपा के संगठन और जनप्रतिनिधियों के अलावा भी स्वतंत्र एजेंसियों और लोगों से फीडबैक लिया जा रहा है।
सौराष्ट्र-दक्षिण गुजरात पर फोकस।
भाजपा ने पिछली विधानसभा और स्थानीय स्वराज के चुनावों में नए चेहरों को भरपूर मौका दिया था। इसका अच्छा परिणाम भी मिला था। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सी आर पाटिल ने इस लोकसभा चुनाव में सभी सीटों को 5 लाख से अधिक मतों के अंतर से जीतने का कार्यकर्ताओं से आह्वान किया है। इसकी वजह से पिछली विधानसभा में सौराष्ट्र और दक्षिण गुजरात में जहां-जहां भाजपा पिछड़ी थी, उन स्थानों को चिह्नित कर विशेष ध्यान देने की योजना बनाई गई है। विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने सौराष्ट्र और दक्षिण गुजरात के आदिवासी पट्टा में अपनी ताकत दिखाई थी। 19 जिले ऐसे थे जहां आआपा या निर्दलीय ने सीट पर परचम लहराया था। हालांकि इन क्षेत्रों से कांग्रेस का पूरी तरह से सफाया हो गया था। भाजपा इस स्थिति का लाभ उठाते हुए कांग्रेस के विकल्प के रूप में अपने को प्रस्तुत करेगी। इन जिलों में अमरेली, देवभूमि द्वारका, जूनागढ, बोटाद, कच्छ, सुरेन्द्रनगर, भावनगर, वलसाड, डांग, सूरत, भरुच, नर्मदा , दाहोद, वडोदरा, पंचमहाल, खेडा, तापी, गांधीनगर, अरवल्ली जिलों में आआपा और निर्दलीय को एक-एक सीट की सफलता मिली थी।
बूथ पर फोकस।
भाजपा ने इन सभी 19 जिलों में उन बूथों को फोकस किया है जहां पार्टी माइनस में थी। इन क्षेत्रों में केन्द्र और राज्य की योजनाओं के लाभान्वितों की सूची के अनुसार उनसे विभिन्न एजेंसियों के जरिए सम्पर्क कर फीडबैक लिया जा रहा है। साथ ही उन्हें योजनाओं के लाभ का स्मरण भी कराया जा रहा है, जिससे भाजपा के प्रति उनके मन में झुकाव पैदा हो। पार्टी ने आआपा और निर्दलीय उम्मीदवारों के बीच बंटे वोट का भी आकलन किया है। इसके तहत 29 सीट ऐसी है जहां जीत का अंतर महज 500 से अधिक और 10 हजार से कम है। इसमें भाजपा को 15 और कांग्रेस को 10 सीट मिली है। वहीं आआपा को 3 और निर्दलीय को 1 सीट मिली है।
