• October 15, 2025

पूर्व सरपंच पति ने अंतिम संस्कार करने से रोका, मां की अर्थी को लेकर धूप में बैठे रहे बेटे

 पूर्व सरपंच पति ने अंतिम संस्कार करने से रोका, मां की अर्थी को लेकर धूप में बैठे रहे बेटे

बांदीकुई के फुलेला गांव में मां की अर्थी लेकर श्मशान पहुंचे बेटों और परिजनों को अंतिम संस्कार करने से रोक दिया। गांव की पूर्व सरपंच का पति श्मशान की भूमि को खुद का दावा कर रहा था। करीब चार घंटे तक परिजन अर्थी को लेकर धूप में बैठे रहे। सूचना पर जब पुलिस और प्रशासन मौके पर पहुंचा तो मामला शांत हुआ। इसके बाद अंतिम संस्कार हो सका।

फुलेला गांव में भौरी देवी (90) का बुधवार शाम को निधन हो गया। उनके दो बेटे गुलाब और प्रेमसिंह हैं। दोनों दिल्ली में रहते हैं, वहीं मजदूरी करते हैं। हालांकि गुलाब मां की तबीयत खराब होने की सूचना पर दो दिन पहले घर आ गया था। मां के निधन की सूचना पर प्रेमसिंह भी गांव पहुंच गया। परिजन और ग्रामीणों के साथ दोनों बेटे गुरुवार सुबह करीब 7:45 बजे मां का दाह संस्कार करने के लिए घर से निकले थे। फुलेला गांव में बस स्टैंड से करीब डेढ़ किलोमीटर दूर परिजन अर्थी लेकर श्मशान घाट पर पहुंचे। इस बीच, पूर्व सरपंच लाडो देवी का पति भगवान सहाय भी वहां पहुंच गया और अपनी जमीन का दावा करते हुए दाह संस्कार नहीं होने दिया। करीब चार घंटे तक दाेनों के बीच विवाद चला। इस दौरान ग्रामीण महिला की अर्थी लेकर धूप में बैठे रहे। सूचना पर बसवा तहसीलदार अनु शर्मा और थाना प्रभारी सचिन शर्मा मौके पर पहुंचे। समझाइश के बाद दोपहर करीब 12 बजे मामला शांत हुआ। इसके बाद महिला का अंतिम संस्कार करवाया गया।

ग्रामीणों ने बताया कि वर्षों से इसी श्मशान में अंतिम संस्कार करते आए हैं। उन्होंने भगवान सहाय पर जमीन पर कब्जा करने के साथ ही जेसीबी से उसे खुर्द-बुर्द करने और ईंट भट्टे के लिए मिट्टी निकालने का आरोप भी लगाया। तहसीलदार अनु शर्मा ने बताया कि महिला के दाह संस्कार करने को लेकर विवाद था। अंतिम संस्कार करने वाली जमीन पर भगवान सहाय अपना अधिकार होने की बात कह रहा था, लेकिन यह जमीन सरकारी है। मामला भी अदालत में है। अभी तक जमीन रिकॉर्ड में सरकारी है। इसलिए इस पर किसी का अधिकार होने की बात गलत है। दाह संस्कार करने आए लोगों का कहना था कि वे वर्षों से इसी जमीन पर दाह संस्कार कर रहे हैं। लेकिन, कुछ लोगों ने यहां अतिक्रमण कर लिया है।

थाना प्रभारी सचिन शर्मा ने बताया कि श्मशान वर्षों पुराना बताया जा रहा है, जहां लोग अंतिम संस्कार करते आए हैं। दोनों पक्षों से समझाइश कर महिला का अंतिम संस्कार करवाया गया है। बसवा एसडीएम रेखा मीणा ने कहा कि जिस जगह लोग महिला का दाह संस्कार करना चाहते थे, वह जमीन सरकारी है। लेकिन, वहां कोई श्मशान नहीं है। जहां रिकॉर्डेड श्मशान है, वहां ये लोग अंतिम संस्कार करने नहीं गए। लेकिन, मानवीय पहलुओं को ध्यान में रखकर समझाइश के बाद सरकारी जमीन पर दाह संस्कार करने की इजाजत दी है। सरकारी जमीन को खुद की बताकर दाह संस्कार से रोकना गलत है। हमने उसे पाबंद कर दिया है। साथ ही जमीन से किसी प्रकार की मिट्टी नहीं लेने के भी निर्देश दिए हैं। इसके अलावा आज के बाद इस जमीन पर कोई दाह संस्कार नहीं हो, इसके लिए भी हमने कुछ लोगों को पाबंद किया है। जहां श्मशान भूमि आवंटित है, वहीं पर दाह संस्कार करने के लिए कहा गया है। बाकी इस प्रकार दाह संस्कार के लिए 4 घंटे तक किसी को रोकना गलत है। इसके लिए हम उन्हें पाबंद करने की कार्रवाई कर रहे हैं।

इधर, पूर्व सरपंच के पति भगवान सहाय का कहना है कि यह जमीन मेरी खातेदारी की है। मेरा संभागीय स्तर पर केस भी चल रहा है। इस पर जबरन दाह संस्कार करना गलत है।

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Rama Niwash Pandey

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