• December 26, 2025

सेना पर विवादित बयान मामले में आजम खान को कोर्ट से बरी, लेकिन जेल से रिहाई नहीं

रामपुर। समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री आजम खान को सेना पर दिए विवादित बयान के पुराने मामले में एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। गुरुवार को रामपुर की अदालत ने सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुनाते हुए उन्हें दोषमुक्त करार दिया। यह मामला 2017 का है, जब भाजपा नेता और वर्तमान विधायक आकाश सक्सेना ने आजम खान के खिलाफ रामपुर के सिविल लाइंस थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी।
2017 के मामले की पूरी कहानी
2017 में आजम खान ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सेना पर कथित तौर पर विवादित टिप्पणी की थी, जिसे भाजपा ने अपमानजनक बताते हुए मुकदमा दर्ज कराया। अभियोजन पक्ष का दावा था कि बयान सेना के खिलाफ था और यह धार्मिक भावनाओं को भड़काने वाला था। वहीं, बचाव पक्ष ने तर्क दिया कि बयान को गलत संदर्भ में पेश किया गया और इसमें कोई अपराध का तत्व नहीं है। लंबी सुनवाई के बाद कोर्ट ने दोनों पक्षों के सबूत, गवाहियां और दलीलें सुनीं। अंततः अदालत ने कहा कि आजम खान को दोषी साबित करने के लिए पर्याप्त प्रमाण नहीं हैं, इसलिए उन्हें बरी किया जाता है।फैसले के बाद आजम खान के समर्थकों ने अदालत परिसर में खुशी का इजहार किया। हालांकि, सपा नेता ने खुद कोई टिप्पणी नहीं की, लेकिन पार्टी कार्यकर्ताओं ने इसे “राजनीतिक साजिश का अंत” बताया।
जेल में ही रहेंगे आजम खान और बेटा अब्दुल्लाह
इस बरी होने के बावजूद आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्लाह आजम की जेल से रिहाई संभव नहीं है। 17 नवंबर 2025 को रामपुर की एमपी-एमएलए अदालत ने अब्दुल्लाह के दो अलग-अलग पैन कार्ड (एक में जन्मतिथि 1 जुलाई 1993 और दूसरे में 16 जून 1994) के मामले में पिता-पुत्र दोनों को सात-सात साल की सजा सुनाई थी। इस फर्जी दस्तावेज मामले में दोनों को भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी), 467 (जालसाजी) और 201 (साक्ष्य नष्ट करने) के तहत दोषी ठहराया गया। सजा के बाद वे रामपुर जिला कारागार में बंद हैं बचाव पक्ष ने सजा के खिलाफ अपील दायर की है, लेकिन हाईकोर्ट में सुनवाई लंबित होने से रिहाई में देरी हो रही है। इसके अलावा आजम खान पर कुल 80 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें से कई में वे जमानत पर हैं, लेकिन कुछ में सजा बरकरार है।

सियासी संदर्भ और भविष्य की संभावनाएं

आजम खान पर दर्ज मामलों की संख्या और उनकी कानूनी लड़ाई उत्तर प्रदेश की सियासत का अहम हिस्सा रही है। 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद रामपुर सीट पर उपचुनाव हुआ, जिसमें भाजपा के आकाश सक्सेना ने जीत हासिल की। सपा नेता पर लगे आरोपों को विपक्ष अक्सर “राजनीतिक प्रतिशोध” बताता रहा है। हाल ही में 5 दिसंबर 2025 को ही अब्दुल्लाह को फर्जी पासपोर्ट मामले में भी सात साल की सजा सुनाई गई, जो परिवार की मुश्किलें और बढ़ा रही है।
जानकारों का मानना है कि इस बरी होने से आजम खान की नैतिक जीत तो हुई, लेकिन पूर्ण राहत के लिए अन्य मामलों में अपीलों का फैसला इंतजार करना होगा। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने पहले कहा था कि आने वाली सरकार में आजम के सभी मामलों को वापस लिया जाएगा। फिलहाल, रामपुर जेल से बाहर आने का सपना अभी दूर की कौड़ी लग रहा है।
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