• December 28, 2025

कांग्रेस किस मुंह से न्याय यात्रा निकालेगी

 कांग्रेस किस मुंह से न्याय यात्रा निकालेगी

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी 14 जनवरी को मणिपुर से भारत न्याय यात्रा करने का ऐलान किया है। पार्टी के अनुसार, भारत जोड़ो यात्रा के माध्यम से एकता, प्रेम और सद्भाव का संदेश फैलाने के बाद गांधी देश के लोगों के लिए न्याय मांगेंगे। राहुल गांधी 6200 किलोमीटर की यात्रा के दौरान 14 राज्यों को कवर करेंगे। सवाल यह है कि जिस कांग्रेस पार्टी ने देश के बंटवारे के फैसले से लेकर लंबे कालखंड तक तमाम अवसरों पर अन्याय किया है, वो आखिरकार किस मुंह से न्याय यात्रा निकालेगी?

1947 में देश के बंटवारे को लेकर कितने किस्से हम सभी ने सुन रखे हैं, लेकिन जिन्होंने बंटवारे में अपना घर-बार और अपने को खोया, वो सिर्फ एक ही बात कहते हैं कि नेहरू की प्रधानमंत्री बनने की जिद ने बंटवारा करवाया। मेरे पूर्वजों ने भी बंटवारे का दंश सहा है। हिन्दुस्तान की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने बंटवारे के पीड़ितों के साथ हर कदम पर अन्याय किया। रिफ्यूजी कैंपों की दुर्दशा किसी से छिपी नहीं थी। बंटवारा के बाद कई महीनों और वर्षों तक शरणार्थियों के निवास प्रमाणपत्र और अन्य जरूरी दस्तावेज नहीं बने। शरणार्थियों को कोई विशेष दर्जा, आरक्षण या छूट सरकार ने नहीं दी। नतीजतन, शरणार्थियों की एक पूरी पीढ़ी शिक्षा, नौकरी और तमाम अन्य क्षेत्रों में पिछड़ गई। शरणार्थियों को बंटवारे से ज्यादा दर्द और तकलीफ नेहरू सरकार की बेरुखी, बेइंसाफी और बदइंतजामी ने दी।

31 अक्टूबर 1984 को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या उनके दो सिख अंगरक्षकों ने की। इसके अगले दिन से ही दिल्ली और देश के दूसरे कुछ हिस्सों में सिख विरोधी दंगे भड़क उठे। इन दंगों में सिखों के घरों, दुकानों को जलाया और लूटा गया और उनको मौत के घाट उतारा गया। दिल्ली और अन्य स्थानों पर हत्यारों और लुटेरों की भीड़ का नेतृत्व ज्यादातर कांग्रेस के नेता कर रहे थे। इन दंगों में दिल्ली में ही लगभग 2700 लोग मारे गए थे और देशभर में मरने वालों का संख्या 3,500 के करीब थी। 19 नवंबर, 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री और इंदिरा गांधी के उत्तराधिकारी उनके पुत्र राजीव गांधी ने दिल्ली बोट क्लब में इकट्ठा हुए लोगों के हुजूम के सामने कहा कि, ‘जब इंदिराजी की हत्या हुई थी़, तो हमारे देश में कुछ दंगे-फसाद हुए थे, हमें मालूम है कि भारत की जनता को कितना क्रोध आया, कितना ग़ुस्सा आया और कुछ दिन के लिए लोगों को लगा कि भारत हिल रहा है। जब भी कोई बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती थोड़ी हिलती है।’

राजीव गांधी के शब्दों में उन हजारों सिखों का कोई जिक्र नहीं था जो अनाथ और बेघर हो गए थे बल्कि उनका वक्तव्य उनके जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा था। दंगे के 21 साल बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने संसद में इसके लिए माफी मांगी और कहा कि जो कुछ भी हुआ, उससे उनका सिर शर्म से झुक जाता है। लेकिन क्या इतना कहने भर से ही सरकार का फर्ज पूरा हो गया? क्या इससे आजाद भारत के सबसे सबसे बुरे हत्याकांड की यादें मिट गईं? सिख दंगों के दोषी कांग्रेसी नेता गांधी परिवार के खास हैं। गांधी परिवार के किसी भी सदस्य ने आज तक हजारों निर्दोष सिखों के कत्लेआम के लिए माफी नहीं मांगी है।

साल 1984 में दो दिसंबर की रात को भोपाल में यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से जहरीली गैस के रिसाव के असर से सरकारी आकड़ों के हिसाब से 15 हजार लोग मारे गए और लाखों लोग घायल हुए। मध्य प्रदेश में उस समय कांग्रेस की सरकार थी और अर्जुन सिंह मुख्यमंत्री थे। केंद्र में भी कांग्रेस की सरकार थी और राजीव गांधी देश के पीएम थे। हादसे के वक्त यूनियन कार्बाइड कंपनी का सीईओ अमेरिकी कारोबारी वारेन एंडरसन था। हादसे के 4-5 दिन बाद यानी सात दिसंबर को एंडरसन भोपाल पहुंचे थे और उन्हें हवाई अड्डे पर ही गिरफ्तार कर लिया गया था। लेकिन उसी दिन कुछ ही घंटों के बाद उन्हें न केवल जमानत मिल गई यहां तक कि मध्य प्रदेश राज्य के सरकारी विमान में उन्हें दिल्ली भेजा गया। एंडरसन उसी दिन दिल्ली से अमरीका चले गए थे। कांग्रेस की सरकार ने हजारों निर्दाेष देशवासियों की हत्या के दोषी को उचित दण्ड और सजा देने की बजाय उसे बचाने और भगाने में मददगार बनीं।

देश के संत गोहत्या पर प्रतिबंध लगाने के लिए केंद्र सरकार से कानून बनाने की मांग कर रहे थे। तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी से अपनी मांग मनवाने के लिए प्रसिद्ध संत करपात्री जी महाराज के नेतृत्व में सात नवंबर 1966 को देशभर के लाखों साधु-संत अपने साथ गायों-बछड़ों को लेकर संसद के बाहर आ डटे थे। सरकार ने निहत्थे साधु-संतों की भीड़ पर गोलियां चलवाई, आंसू गैस के गोले छोड़े, लाठियां बरसवाईं। जिसमें सैकड़ों साधु-संतों और गोरक्षकों की जान गई। इसमें मरने वालों की संख्या पर विवाद है। मीडिया के मुताबिक पुलिस ने 209 राउंड फायरिंग की थी।

1985 में सुप्रीम कोर्ट ने एक तलाकशुदा मुस्लिम महिला शाहबानो के पति मोहम्मद अहमद खान को हर महीने गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया। लेकिन मुस्लिम कट्टरपंथियों के दबाव में राजीव गांधी सरकार ने 1986 में संसद में कानून बना कर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया। इस तरह शाहबानो अदालती लड़ाई जीतने के बाद भी हार गईं। कांग्रेस की मुस्लिम तुष्टीकरण की राजनीति ने उन्हें हरा दिया। असल में मुस्लिम बेटी को अदालत से मिला न्याय कांग्रेस की सरकार ने उससे छीन लिया।

प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा अनुच्छेद 370 लगाने के बाद से जो कश्मीरी लोगों के साथ अन्याय हुआ और 90 के दशक में कांग्रेस सरकार की बदनीयति के कारण जो कश्मीरी पंडित विस्थापित हुए, वो कहां का न्याय था? सरकारी आंकड़े बताते हैं कि 1990 में 44167 कश्मीरी पंडित परिवारों ने घाटी छोड़ी थी। असल में कांग्रेस ने अपने राजनीतिक फायदे के लिए अनुच्छेद 370 को जिंदा रखा और अलगाववादी ताकतों को फटकारने की बजाय पुचकारने और मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति पर बल दिया।

1971 के भारत-पाक युद्ध में 93000 हजार पाकिस्तानी सैनिकों ने भारतीय सेना के सामने सरेंडर किया था। प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 93000 पाकिस्तानी सैनिकों को तो समझौते के मुताबिक उनके देश वापस भेज दिया। लेकिन आयरन लेडी अपनी सेना के 54 सैनिकों, अधिकारियों और लड़ाकू पायलटों को पाकिस्तान से वापस नहीं ला सकी। सैनिक परिवार सरकार से न्याय की मांग करते रहे, लेकिन उन्हें न्याय नहीं मिला।

साल 1975 में इंदिरा गांधी ने अपने राजनीतिक हित के लिए इमरजेंसी लगाकर संविधान, कानून, राजनीतिक विरोधियों, पत्रकारों, कलाकारों, समाजसेवियों और देश की जनता के साथ जो अन्याय और अत्याचार किये उसके जख्म आज भी हरे हैं। इमरजेंसी में इंदिरा गांधी के पुत्र संजय गांधी और उनके करीबी लोगों के अत्याचार के किस्से आज भी सिहरन पैदा करते हैं।

आजादी के इन 76 सालों में लगभग 60 साल तक केंद्र और राज्यों में कांग्रेस ने शासन किया। इस अवधि में सत्ता में बने रहने के लिए उसने एक वर्ग विशेष के तुष्टिकरण के लिए सारी सीमाएं लांघ दी। नतीजतन दूसरे वर्गों को कदम-कदम पर अपेक्षा और अन्याय का शिकार होना पड़ा। इसलिए जब कांग्रेस न्याय यात्रा की बात करती है तो हंसी आती है। राहुल गांधी को न्याय यात्रा शुरू करने से पहले इन तमाम मामलों के लिए देश की जनता से माफी मांगनी चाहिए कि कांग्रेस उन्हें न्याय नहीं दे सकी। तभी सच्चे अर्थों में न्याय यात्रा के साथ न्याय हो पाएगा।

Digiqole Ad

Related Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *