अमेरिका का गोल्डन डोम प्रोजेक्ट: अंतरिक्ष से मिसाइलों का सफाया, 2028 में पहला टेस्ट
10 नवंबर 2025, वाशिंगटन डीसी: अमेरिका ने अपनी सुरक्षा को नई ऊंचाई देने के लिए एक ऐसा कवच तैयार किया है जो दुश्मन की मिसाइलों को अंतरिक्ष में ही कबाड़ बना देगा। लॉकहीड मार्टिन की अगुवाई वाला ‘गोल्डन डोम प्रोजेक्ट’ राष्ट्रपति ट्रंप का विज़न है, जो इजरायल के आयरन डोम से प्रेरित लेकिन वैश्विक स्तर का। 175 बिलियन डॉलर की यह परियोजना हाइपरसोनिक और बैलिस्टिक खतरों से अमेरिका को बचाएगी। CEO जिम टैकलेट ने कहा कि 2028 में रियल-कॉम्बैट टेस्ट होगा, जो स्पेस-बेस्ड इंटरसेप्टर्स पर फोकस करेगा। लेकिन क्या यह रूस-चीन के ICBM को रोक पाएगा? या स्पेस वॉरफेयर का नया दौर शुरू करेगा? पेंटागन की SHIELD प्रोग्राम से जुड़ा यह सिस्टम AI और सैटेलाइट्स का जाल बुन रहा है। इस लेख में हम जानेंगे इस क्रांतिकारी कवच की परतें।
प्रोजेक्ट की शुरुआत: ट्रंप का विज़न और लॉकहीड की तैयारी
मई 2025 में राष्ट्रपति ट्रंप ने गोल्डन डोम की घोषणा की, इसे अमेरिका का ‘स्पेस शील्ड’ बताते हुए। लॉकहीड मार्टिन, दुनिया की सबसे बड़ी रक्षा कंपनी, ने इसे लीड किया है। CEO जिम टैकलेट ने Q3 2025 अर्निंग्स कॉल में कहा, “हम 2028 तक ऑन-ऑर्बिट इंटरसेप्टर डेमो करेंगे—यह लैब टेस्ट नहीं, बल्कि वॉर-रेडी सिस्टम होगा।” कंपनी ने वर्जीनिया के सेंटर फॉर इनोवेशन में C2 प्रोटोटाइपिंग हब बनाया, जहां सेंसर, शूटर्स और प्लेटफॉर्म्स को सी-टू-स्पेस कनेक्ट किया जा रहा है। यह मैनहट्टन प्रोजेक्ट-स्केल मिशन है, जो THAAD, PAC-3 और एजिस जैसी मौजूदा सिस्टम्स को इंटीग्रेट करेगा। पेंटागन की मिसाइल डिफेंस एजेंसी (MDA) ने SHIELD प्रोग्राम के तहत 151 बिलियन डॉलर आवंटित किए। स्पेसएक्स, पलांटिर और एंडुरिल जैसे पार्टनर्स इसमें शामिल हैं। लेकिन विशेषज्ञ टाइमलाइन पर सवाल उठा रहे हैं—क्या तीन साल में यह संभव? रूस ने इसे ‘स्ट्रैटेजिक स्टेबिलिटी’ के लिए खतरा बताया। यह प्रोजेक्ट अमेरिका को हाइपरसोनिक थ्रेट्स से बचाने का वादा करता है, जो चीनी-रूसी मिसाइलों के लिए बड़ा झटका होगा।
सिस्टम का तंत्र: नेटवर्क्ड डिफेंस और बूस्ट फेज इंटरसेप्शन
गोल्डन डोम कोई सिंगल इंटरसेप्टर नहीं, बल्कि एक एकीकृत नेटवर्क है—ग्राउंड रडार, नेवी सेंसर्स और स्पेस सैटेलाइट्स का जाल। AI-ड्रिवन सॉफ्टवेयर मिसाइल लॉन्च को सेकंडों में ट्रैक करेगा और स्पेस-बेस्ड इंटरसेप्टर्स तैनात करेगा। फोकस बूस्ट फेज पर है, जहां मिसाइल इंजन जल रही होती है और ट्रैकिंग आसान। लॉकहीड के प्रवक्ता ने कहा, “लॉन्च होते ही इंटरसेप्टर अंतरिक्ष में हमला करेगा।” मिड-कोर्स फेज में भी सक्रिय, यह ICBM को पृथ्वी कक्षा में नष्ट करेगा। 2028 का टेस्ट ‘रियल कॉम्बैट एनवायरनमेंट’ में होगा, जहां हाइपरसोनिक मिसाइल को ऑर्बिट में हिट किया जाएगा। कंपनी ने लॉन्ग-रेंज डिस्क्रिमिनेशन रडार (LRDR) का फ्लाइट टेस्ट किया, जो बैलिस्टिक थ्रेट्स को डिटेक्ट करता है। ओपन आर्किटेक्चर से इंडस्ट्री पार्टनर्स योगदान दे सकेंगे, जो इनोवेशन बढ़ाएगा। लेकिन चुनौतियां हैं—स्पेस कॉस्ट कम करने के लिए स्पेसएक्स जरूरी, और साइबर-सिक्योर कम्युनिकेशन। विश्लेषक कहते हैं, यह S-400 से कई गुना शक्तिशाली होगा, अमेरिका को ‘इनवुल्नरेबल’ बना देगा।
वैश्विक प्रभाव: स्पेस वॉरफेयर का नया दौर
गोल्डन डोम अमेरिकी स्पेस फोर्स का कोर बनेगा, जो स्पेस को बैटलफील्ड बना देगा। ट्रंप ने 25 बिलियन डॉलर का फंडिंग पैकेज पास कराया, कुल 175 बिलियन का अनुमान। चीन ने इसे ‘स्पेस वॉर जोन’ बनाने वाला बताया, जबकि रूस ने स्ट्रैटेजिक बैलेंस बिगाड़ने का आरोप लगाया। कनाडा ने पार्टिसिपेशन की इच्छा जताई। अगर 2028 टेस्ट सफल, तो 2029 तक ऑपरेशनल—ट्रंप के टर्म के अंत तक। लेकिन गार्जियन रिपोर्ट कहती है, फुल ऑपरेशनल 2028 के बाद ही संभव। लॉकहीड ने IR&D को SBI पर शिफ्ट किया, प्रोटोटाइप्स मास-प्रोडक्शन रेडी। नॉर्थ्रॉप ग्रुमन भी कॉम्पिटिटर है। यह प्रोजेक्ट न्यूक्लियर पावर्स के बैलेंस को हिला सकता है, ड्रोन स्वार्म्स और हाइपरसोनिक्स से बचाव करेगा। विशेषज्ञ चेताते हैं, स्पेस डिप्लॉयमेंट से आर्म्स रेस तेज हो सकती है। फिर भी, टैकलेट का कहना है, “यह पीस थ्रू स्ट्रेंथ का विज़न है।” आने वाले साल इसकी परीक्षा लेंगे, जो ग्लोबल सिक्योरिटी को रीडिफाइन कर सकता है।