आंबेडकर जयंती 2025: संविधान निर्माता डॉ. बी.आर. आंबेडकर को श्रद्धांजलि, पूरे देश में उत्साह के साथ आयोजन
14 अप्रैल, 2025 को पूरे भारत में आंबेडकर जयंती धूमधाम से मनाई जा रही है। यह दिन भारत के संविधान निर्माता, सामाजिक न्याय के प्रणेता और दलितों के मसीहा डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर की जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर देशभर में विविध आयोजनों का सिलसिला शुरू हो चुका है, जिसमें लाखों लोग उनके विचारों और योगदान को याद कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, दिल्ली और अन्य राज्यों में भव्य समारोह, शोभायात्राएं, संगोष्ठियां और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने भी इन आयोजनों में हिस्सा लेकर डॉ. आंबेडकर को श्रद्धांजलि अर्पित की।
देशभर में उत्साह और आयोजन
आंबेडकर जयंती का उत्साह विशेष रूप से महाराष्ट्र में देखने को मिल रहा है, जहां डॉ. आंबेडकर का जन्म हुआ था। मुंबई के चैत्य भूमि और नागपुर के दीक्षा भूमि पर हजारों लोग एकत्रित हुए, जहां उन्होंने बाबासाहेब को पुष्पांजलि अर्पित की। चैत्य भूमि पर आयोजित मुख्य समारोह में राज्य के गणमान्य व्यक्तियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और आम नागरिकों ने हिस्सा लिया। नागपुर में दीक्षा भूमि पर बौद्ध धर्म के अनुयायियों ने विशेष प्रार्थनाएं कीं, क्योंकि यहीं पर डॉ. आंबेडकर ने 1956 में लाखों अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म स्वीकार किया था।
उत्तर प्रदेश में भी आंबेडकर जयंती को लेकर व्यापक किए गए। लखनऊ में हजरतगंज चौराहे पर स्थित डॉ. आंबेडकर की प्रतिमा पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पुष्पांजलि अर्पित की। इस अवसर पर आयोजित एक राज्य स्तरीय समारोह में उन्होंने कहा, “डॉ. आंबेडकर ने समाज के वंचित वर्गों को मुख्यधारा में लाने के लिए अपना जीवन समर्पित किया। उनका संविधान आज भी हमें समता, स्वतंत्रता और बंधुत्व का मार्ग दिखाता है।” लखनऊ के अलावा, आगरा, कानपुर, वाराणसी और प्रयागराज में भी शोभायात्राएं और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए।
मध्य प्रदेश के मऊ में, जहां डॉ. आंबेडकर का जन्म हुआ था, विशेष आयोजन किए गए। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने मऊ में बाबासाहेब की जन्मस्थली पर पुष्पांजलि अर्पित की और एक स्मृति समारोह में हिस्सा लिया। उन्होंने कहा, “डॉ. आंबेडकर का जीवन हमें प्रेरणा देता है कि शिक्षा और संघर्ष के बल पर कोई भी अपने सपनों को साकार कर सकता है।” मध्य प्रदेश सरकार ने इस अवसर पर स्कूलों और कॉलेजों में निबंध लेखन और वाद-विवाद प्रतियोगिताओं का आयोजन भी किया।
दिल्ली में आंबेडकर जयंती को 15 दिनों तक चलने वाले उत्सव के रूप में मनाने की घोषणा की गई है। दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने स्कूलों में विशेष सभाओं, वॉकथॉन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा, “डॉ. आंबेडकर के विचार आज भी प्रासंगिक हैं। हमें उनके सपनों को साकार करने के लिए समानता और सामाजिक न्याय के प्रति प्रतिबद्ध रहना होगा।” दिल्ली के संसद मार्ग पर स्थित आंबेडकर स्मारक पर भी हजारों लोगों ने श्रद्धांजलि अर्पित की।

डॉ. आंबेडकर का जीवन और योगदान
डॉ. भीमराव आंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल, 1891 को मध्य प्रदेश के मऊ में एक दलित परिवार में हुआ था। उस समय समाज में छुआछूत और जातिगत भेदभाव अपने चरम पर था। अपने जीवन में अनेक कठिनाइयों का सामना करने के बावजूद, उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी की और कोलंबिया विश्वविद्यालय, अमेरिका, तथा लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से उच्च डिग्रियां हासिल कीं। वे न केवल एक विद्वान थे, बल्कि एक समाज सुधारक, अर्थशास्त्री, वकील और राजनीतिज्ञ भी थे।
डॉ. आंबेडकर ने भारतीय संविधान के निर्माण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। संविधान सभा की मसौदा समिति के अध्यक्ष के रूप में, उन्होंने एक ऐसे संविधान का निर्माण किया जो भारत के प्रत्येक नागरिक को समानता, स्वतंत्रता और न्याय की गारंटी देता है। उनके प्रयासों से संविधान में अनुच्छेद 17 शामिल किया गया, जिसके तहत छुआछूत को गैर-कानूनी घोषित किया गया। इसके अलावा, अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिए आरक्षण की व्यवस्था भी उनके योगदान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
डॉ. आंबेडकर ने सामाजिक सुधार के लिए कई आंदोलन चलाए। 1927 में महाराष्ट्र के महाड में उन्होंने ‘चवदार तालाब सत्याग्रह’ का नेतृत्व किया, जिसका उद्देश्य दलितों को सार्वजनिक जल स्रोतों तक पहुंच प्रदान करना था। 1930 में उन्होंने नासिक के कालाराम मंदिर में प्रवेश के लिए सत्याग्रह किया, जो दलितों के मंदिर प्रवेश के अधिकार की मांग को लेकर था। उनके इन प्रयासों ने समाज में जागरूकता पैदा की और वंचित वर्गों को उनके अधिकारों के प्रति सजग किया।
शिक्षा और समानता पर जोर
डॉ. आंबेडकर का मानना था कि शिक्षा ही वह हथियार है, जो समाज में बदलाव ला सकता है। उन्होंने कहा था, “शिक्षा वह शेरनी का दूध है, जो इसे पीएगा, वह दहाड़ेगा।” इस विचार को बढ़ावा देने के लिए, देशभर के स्कूलों और कॉलेजों में आंबेडकर जयंती के अवसर पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किए गए। कई राज्यों में छात्रों के लिए निबंध लेखन, भाषण और चित्रकला प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं, जिनका उद्देश्य युवाओं को बाबासाहेब के विचारों से परिचित कराना था।
उत्तर प्रदेश सरकार ने इस अवसर पर ग्रामीण क्षेत्रों में मुफ्त पुस्तक वितरण और छात्रवृत्ति योजनाओं की शुरुआत की। मध्य प्रदेश में दलित और आदिवासी छात्रों के लिए विशेष कोचिंग कक्षाओं की घोषणा की गई। दिल्ली में स्कूलों में आंबेडकर के जीवन पर आधारित नाटकों का मंचन किया गया, जो बच्चों को उनके संघर्ष और उपलब्धियों से प्रेरित करने के लिए था।
सामाजिक बदलाव की दिशा में कदम
आंबेडकर जयंती केवल एक उत्सव नहीं है, बल्कि यह एक अवसर है जब हम समाज में व्याप्त असमानताओं पर विचार करते हैं और उन्हें दूर करने के लिए प्रतिबद्धता जताते हैं। आज भी देश के कई हिस्सों में जातिगत भेदभाव और सामाजिक असमानता मौजूद है। डॉ. आंबेडकर के विचार हमें प्रेरित करते हैं कि हमें एक ऐसे समाज की स्थापना करनी चाहिए, जहां प्रत्येक व्यक्ति को सम्मान और समान अवसर प्राप्त हों।
इस अवसर पर कई सामाजिक संगठनों ने जागरूकता अभियान चलाए। दलित और आदिवासी समुदायों के लिए मुफ्त स्वास्थ्य शिविर, कानूनी सहायता शिविर और रोजगार मेलों का आयोजन किया गया। कई गैर-सरकारी संगठनों ने ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं और बच्चों के लिए शिक्षा और कौशल विकास कार्यक्रम शुरू किए।
भविष्य की प्रेरणा
डॉ. आंबेडकर का जीवन और उनके विचार आज भी लाखों लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। उनके द्वारा स्थापित ‘मूकनायक’ और ‘बहिष्कृत भारत’ जैसे समाचार पत्रों ने समाज के दबे-कुचले वर्गों की आवाज को बुलंद किया। उनकी पुस्तकें, जैसे ‘जाति का विनाश’ (Annihilation of Caste), आज भी सामाजिक सुधारकों और बुद्धिजीवियों के लिए मार्गदर्शक का काम करती हैं।
आंबेडकर जयंती 2025 के अवसर पर देशभर में आयोजित ये कार्यक्रम न केवल बाबासाहेब के योगदान को याद करने का एक माध्यम हैं, बल्कि उनके सपनों को साकार करने का एक संकल्प भी हैं। यह दिन हमें याद दिलाता है कि समाज में बदलाव की शुरुआत हमारी सोच और कर्म से होती है। जैसा कि डॉ. आंबेडकर ने कहा था, “मैं उस धर्म को मानता हूं जो स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व सिखाता है।” आइए, इस आंबेडकर जयंती पर हम सब मिलकर उनके इस विचार को अपने जीवन में उतारने का संकल्प लें।
