• December 31, 2025

कृषि विभाग से मा. उच्च न्यायालय ने मांगा जवाब।

कृषि विभाग से न्यायालय ने मांगा जबाब

मा. उच्च न्यायालय ने कृषि विभाग से दो हफ्ते के भीतर जबाब मांगा है।बताते चलें कि कृषि विभाग में वित्तीय वर्ष 2021-22 में केंद्र और राज्य सरकार के सहयोग से किसान कल्याण के लिए विभिन्न योजनाओं का संचालन किया जा रहा था। जिसमें कृषि विभाग के आधिकारिक पोर्टल पारदर्शी किसान सेवा पोर्टल पर पंजीकृत किसानों को विभिन्न योजनाओं के अनुदान की धनराशि को डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर यानी डीबीटी के माध्यम से उनके बैंक खातों में सीधे भुगतान का प्राविधान किया गया था।इसके लिए शासन के द्वारा कड़े दिशानिर्देश भी जारी किए गए हैं।

क्या है मामला

किसानों के अनुदान की धनराशि को उनके खाते में न भेजकर विभिन्न फर्मो के खाते में ट्रांसफर करके योजनाओं के अनुदान के धनराशि को बंदरबांट करने की सूचना प्राप्त हो रही है।
इस प्रकरण में अजय कुमार अवस्थी के द्वारा इन मुद्दों को लेकर एक जनहित याचिका दायर की गई थी जिसपर मा.उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति अताउर्रहमान मसूदी और न्यायमूर्ति ओमप्रकाश शुक्ला लखनऊ की खंडपीठ ने संज्ञान लेते हुए सरकार से दो हफ्ते के अंदर जबाब दाखिल करने का आदेश पारित किया है।

याचिकाकर्ता का ये आरोप है कि वित्तीय वर्ष 2021-22 में वित्त विभाग के पोर्टल कोशवानी में विभिन्न योजनाओं के अनुदान की जो धनराशि प्रदर्शित हो रही है लगभग 545 करोड़ रुपये उसके सापेक्ष कृषि विभाग के पोर्टल पर मात्र 423 करोड़ रुपये का ही व्यय प्रदर्शित हो रहा था।लगभग 122 करोड़ रुपये की अंतर राशि दिखाई दे रही थी।

याचिकाकर्ता ने बताया कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (NFSM) , BGREI, आदि तमाम योजनाओं में इनके योजना अधिकारियों, कृषि निदेशक, वित्त नियंत्रक और आहरण-वितरण अधिकारियों की मिलीभगत से विभिन्न फर्मों के खातों में भुगतान करवाकर आपस में बंदरबांट कर लिया गया है।जबकि अनुदान की धनराशि सीधे किसानों के खाते में डीबीटी के ही माध्यम से ट्रांसफर की जानी चाहिए थी।

याची के अधिवक्ता अनू प्रताप सिंह ने बताया कि जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कड़ा रुख अख्तियार करते हुए सरकार से टिप्पणियां की और अपना पक्ष रखते हुए शपथपत्र पर जबाब देने के लिए दो सप्ताह का समय दिया है।

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