कृषि, पशुपालन और मत्स्यपालन अर्थव्यवस्था की रीढ़ : अमित शाह

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को कहा कि कृषि, पशुपालन और मत्स्यपालन देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। इनको मजबूत करने का मतलब देश की अर्थव्यवस्था को मज़बूत करना है। अगर मैन्युफैक्चरिंग के द्वारा जीडीपी बढ़ती है तो रोजगार के आंकड़े इतने नहीं बढ़ते, लेकिन अगर सहकारिता के जरिए कृषि, पशुपालन और मत्स्यपालन को मज़बूत करते हैं तो जीडीपी के साथ-साथ रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
अमित शाह प्रगति मैदान में सहकारिता क्षेत्र में एफपीओ विषय पर राष्ट्रीय महासंगोष्ठी-2023 के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भारत में लगभग 65 प्रतिशत लोग कृषि और इससे संबद्ध गतिविधियों के साथ जुड़े हैं, लगभग 55 प्रतिशत कार्यबल कृषि और इससे संबद्ध गतिविधियों में लगा है। परोक्ष रूप से देखें, तो इन 65 प्रतिशत लोगों और 55 प्रतिशत कार्यबल के आधार पर ग्रामीण क्षेत्रों में बाकी सभी सेवाएं भी एक प्रकार से कृषि पर ही निर्भर हैं।
शाह ने कहा कि आज देश के 86 प्रतिशत किसान छोटे और सीमांत किसान हैं, जिनके पास एक हेक्टेयर से कम भूमि है। पूरी दुनिया में सिर्फ भारत एकमात्र ऐसा देश है जिसने छोटे किसानों को मजदूर नहीं बनने दिया और वे अपनी भूमि के मालिक हैं। कृषि को आधुनिक बनाने, कृषि उपज के अच्छे दाम पाने और कृषि को फायदेमंद बनाने के लिए हमें परंपरागत तरीकों से बाहर निकलकर आज के समयानुकूल तरीकों को अपनाना होगा।
कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, केंद्रीय सहकारिता राज्यमंत्री बीएल वर्मा, सहकारिता मंत्रालय के सचिव ज्ञानेश कुमार और कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के सचिव मनोज आहूजा सहित अनेक गणमान्य उपस्थित थे।
