नई दिल्ली ,16 सितम्बर 2025: आजकल ऑनलाइन गेम्स बच्चों और युवाओं के बीच बेहद लोकप्रिय हो गए हैं। खासकर फ्री फायर जैसे गेम, जो रोमांचक गेमप्ले और आकर्षक ग्राफिक्स के कारण बच्चों को अपनी ओर खींचते हैं। लेकिन इन गेम्स के साथ कुछ खतरे भी जुड़े हैं, जिनका सामना हाल ही में एक परिवार को करना पड़ा। एक चौंकाने वाली घटना में, एक बच्चे ने फ्री फायर गेम में 13 लाख रुपये खर्च कर दिए। यह राशि इतनी बड़ी थी कि माता-पिता को इस बात का पता तब चला, जब उनका बैंक खाता लगभग खाली हो चुका था। इस घटना ने एक बार फिर माता-पिता को सतर्क किया है कि बच्चों को मोबाइल और ऑनलाइन गेम्स देने से पहले कुछ जरूरी सावधानियां बरतनी चाहिए। आइए, इस घटना के बारे में विस्तार से जानें और समझें कि माता-पिता अपने मोबाइल में कौन-सी सेटिंग्स चालू करके ऐसी घटनाओं को रोक सकते हैं।क्या हुआ इस घटना में?यह घटना हाल ही में एक भारतीय शहर में सामने आई, जहां एक 13 साल का बच्चा अपने माता-पिता के मोबाइल फोन का इस्तेमाल कर फ्री फायर गेम खेल रहा था। फ्री फायर एक फ्री-टू-प्ले बैटल रॉयल गेम है, जिसे गरेना कंपनी ने बनाया है।
यह गेम मुफ्त में डाउनलोड किया जा सकता है, लेकिन इसमें इन-ऐप खरीदारी की सुविधा होती है। बच्चे ने गेम में बेहतर हथियार, स्किन्स, और अन्य सामान खरीदने के लिए बार-बार पैसे खर्च किए। उसने माता-पिता के बैंक खाते से लिंक किए गए डिजिटल वॉलेट और क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल किया। कुछ ही दिनों में उसने 13 लाख रुपये की भारी-भरकम राशि गंवा दी।जब माता-पिता को बैंक से मैसेज आए और उन्होंने अपने खाते की जांच की, तो वे हैरान रह गए। उनके खाते में सिर्फ कुछ हजार रुपये बचे थे। बच्चे ने बताया कि उसे नहीं पता था कि गेम में खरीदारी करने से असली पैसे खर्च हो रहे हैं। उसने सोचा कि यह गेम का हिस्सा है। इस घटना ने न केवल उस परिवार को आर्थिक नुकसान पहुंचाया, बल्कि यह भी दिखाया कि बच्चों को ऑनलाइन गेम्स का इस्तेमाल बिना निगरानी के देना कितना खतरनाक हो सकता है।ऑनलाइन गेम्स में इन-ऐप खरीदारी का खतराफ्री फायर जैसे गेम्स में इन-ऐप खरीदारी एक आम बात है। ये गेम्स बच्चों को आकर्षक ऑफर्स, जैसे कि खास स्किन्स, हथियार, या गेम में तेजी से आगे बढ़ने के लिए बूस्टर्स, दिखाते हैं। ये ऑफर्स इतने लुभावने होते हैं कि बच्चे बिना सोचे-समझे पैसे खर्च कर देते हैं। कई बार माता-पिता के मोबाइल में क्रेडिट कार्ड या डिजिटल वॉलेट पहले से लिंक होते हैं, जिससे बच्चों को आसानी से पैसे खर्च करने का मौका मिल जाता है।इसके अलावा, गेम्स में ऐसी रणनीतियां अपनाई जाती हैं, जो बच्चों को बार-बार खरीदारी के लिए प्रेरित करती हैं। उदाहरण के लिए, सीमित समय के ऑफर्स या गेम में बेहतर रैंकिंग का लालच। बच्चों को यह समझ नहीं होती कि ये खरीदारी असली पैसे से हो रही है, और वे गेम के मज़े के चक्कर में लाखों रुपये गंवा सकते हैं।माता-पिता क्या करें?ऐसी घटनाओं से बचने के लिए माता-पिता को अपने मोबाइल फोन में कुछ जरूरी सेटिंग्स चालू कर लेनी चाहिए। ये सेटिंग्स न केवल बच्चों को अनजाने में पैसे खर्च करने से रोकेंगी, बल्कि उनकी ऑनलाइन गतिविधियों पर भी नजर रखने में मदद करेंगी। आइए, कुछ आसान और जरूरी सेटिंग्स के बारे में जानें:
- पासवर्ड प्रोटेक्शन चालू करें
अपने मोबाइल में हर ऐप और खासकर गेम्स के लिए पासवर्ड सेट करें। एंड्रॉयड और आईफोन दोनों में ऐसी सेटिंग्स उपलब्ध हैं, जो इन-ऐप खरीदारी के लिए पासवर्ड मांगती हैं।
- एंड्रॉयड: गूगल प्ले स्टोर में जाएं, सेटिंग्स में ‘पर्चेज के लिए ऑथेंटिकेशन’ चुनें और ‘हर खरीदारी के लिए पासवर्ड’ का विकल्प चालू करें।
- आईफोन: सेटिंग्स में ‘स्क्रीन टाइम’ पर जाएं, ‘कंटेंट एंड प्राइवेसी रिस्ट्रिक्शन्स’ को चालू करें और इन-ऐप खरीदारी के लिए पासवर्ड सेट करें।
- डिजिटल वॉलेट और कार्ड को अनलिंक करें
अपने मोबाइल से क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड, या डिजिटल वॉलेट (जैसे पेटीएम, गूगल पे) को अनलिंक कर दें। अगर बच्चे को मोबाइल दे रहे हैं, तो सुनिश्चित करें कि कोई भी पेमेंट मेथड उसमें लिंक न हो।
- स्क्रीन टाइम लिमिट सेट करें
बच्चों के मोबाइल इस्तेमाल पर नजर रखने के लिए स्क्रीन टाइम लिमिट सेट करें। एंड्रॉयड में ‘डिजिटल वेलबीइंग’ और आईफोन में ‘स्क्रीन टाइम’ फीचर की मदद से आप यह तय कर सकते हैं कि बच्चा कितनी देर गेम खेलेगा।
- पैरेंटल कंट्रोल ऐप्स का इस्तेमाल करें
कई पैरेंटल कंट्रोल ऐप्स, जैसे Google Family Link या Qustodio, बच्चों की ऑनलाइन गतिविधियों पर नजर रखने में मदद करते हैं। इनके ज़रिए आप गेम्स के इस्तेमाल को सीमित कर सकते हैं और खरीदारी को ब्लॉक कर सकते हैं।
- बच्चों से खुलकर बात करें
बच्चों को समझाएं कि गेम्स में खरीदारी करने से असली पैसे खर्च होते हैं। उन्हें यह भी बताएं कि हर ऑफर को स्वीकार करने की ज़रूरत नहीं है। बच्चों को जिम्मेदार बनाना भी जरूरी है।
कानूनी और सामाजिक पहलूइस तरह की घटनाओं ने यह सवाल भी उठाया है कि क्या गेमिंग कंपनियों को और सख्त नियमों का पालन करना चाहिए। कई विशेषज्ञों का मानना है कि गेमिंग कंपनियों को बच्चों को लुभाने वाले ऑफर्स पर रोक लगानी चाहिए। कुछ देशों में इन-ऐप खरीदारी पर सख्त नियम लागू किए गए हैं, और भारत में भी इस दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं।माता-पिता को भी इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वे बच्चों को बिना निगरानी के मोबाइल न दें। अगर बच्चे गेम खेल रहे हैं, तो समय-समय पर उनकी गतिविधियों की जांच करें। इसके अलावा, अगर ऐसी कोई घटना हो जाती है, तो तुरंत गेमिंग कंपनी और बैंक से संपर्क करें। कई बार रिफंड की संभावना होती है, अगर समय रहते शिकायत दर्ज की जाए।निष्कर्ष