बीएमसी चुनाव: स्टार प्रचारकों की सूची पर छिड़ा सियासी घमासान, संजय राउत ने भाजपा की ‘ताकत’ पर उठाए सवाल
मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) के आगामी चुनावों ने महाराष्ट्र की राजनीति में उबाल ला दिया है। जैसे-जैसे मतदान की तारीख नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे राजनीतिक दलों के बीच जुबानी जंग तीखी होती जा रही है। इस चुनावी दंगल में ताजा विवाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा जारी की गई स्टार प्रचारकों की सूची को लेकर शुरू हुआ है। शिवसेना (यूबीटी) के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत ने भाजपा की इस सूची पर कड़ा प्रहार करते हुए आरोप लगाया है कि भाजपा मुंबई के सौहार्दपूर्ण माहौल को खराब करने की कोशिश कर रही है। राउत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मुंबई आने की जरूरत पर सवाल उठाते हुए इसे भाजपा की राजनीतिक कमजोरी का प्रतीक बताया है।
स्टार प्रचारकों की फौज और भाजपा की रणनीति पर हमला
मुंबई की सत्ता पर काबिज होने के लिए भाजपा ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। पार्टी ने बीएमसी चुनाव के प्रचार के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फायरब्रांड नेता योगी आदित्यनाथ सहित कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों को मैदान में उतारने का फैसला किया है। इसी सूची पर कटाक्ष करते हुए संजय राउत ने कहा कि आखिर मुंबई के स्थानीय निकाय चुनाव में प्रधानमंत्री और अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों को आने की क्या आवश्यकता है? राउत ने सवाल किया कि क्या महाराष्ट्र के वर्तमान मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे अपने दम पर चुनाव प्रचार करने में सक्षम नहीं हैं?
संजय राउत का मानना है कि बाहरी राज्यों के बड़े नेताओं को लाकर भाजपा मुंबई में ध्रुवीकरण की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा, “योगी आदित्यनाथ और अन्य नेताओं को लाकर आप केवल अपनी कमजोरी प्रदर्शित कर रहे हैं। आपके पास स्थानीय स्तर पर इतनी ताकत नहीं बची है कि आप अपनी दम पर चुनाव लड़ सकें। इसलिए आपको हर राज्य के मुख्यमंत्री की सहायता लेनी पड़ रही है। हम अपनी ताकत पर चुनाव लड़ेंगे और मुंबई की जनता भाजपा की इस रणनीति को देख रही है।”
जय महाराष्ट्र बनाम अन्य नारों का विवाद
बीएमसी चुनाव के प्रचार के दौरान नारों और अस्मिता की राजनीति भी केंद्र में आ गई है। संजय राउत ने भाजपा और उसके सहयोगियों पर निशाना साधते हुए कहा कि मुंबई की पहचान और यहां की संस्कृति ‘जय महाराष्ट्र’ और ‘जय शिवाजी’ के नारों से जुड़ी है। भाजपा के कुछ नेताओं द्वारा मुंबई में केवल ‘जय श्री राम’ के नारे चलने वाले बयानों पर प्रतिक्रिया देते हुए राउत ने कहा, “हम मानते हैं कि मुंबई में जय महाराष्ट्र का नारा ही सर्वोपरि रहेगा। यहां जय भवानी और जय शिवाजी की गूंज सुनाई देगी।” उन्होंने स्पष्ट किया कि शिवसेना हमेशा से महाराष्ट्र के आत्मसम्मान और मराठी अस्मिता की रक्षक रही है और किसी भी बाहरी विचारधारा या दबाव के सामने नहीं झुकेगी।
सीट बंटवारे और ‘असली शिवसेना’ का मुद्दा
संजय राउत ने केवल प्रचारकों पर ही नहीं, बल्कि भाजपा और एकनाथ शिंदे गुट के बीच हुए सीट बंटवारे पर भी तंज कसा। गौरतलब है कि बीएमसी की कुल 227 सीटों के लिए हुए समझौते में भाजपा 137 और शिवसेना (शिंदे गुट) 90 सीटों पर चुनाव लड़ने जा रही है। इस पर राउत ने कहा कि यह शिवसेना के इतिहास में पहली बार हो रहा है जब उसे भाजपा के सामने सीटों के लिए “गिड़गिड़ाना” पड़ रहा है। उन्होंने शिंदे गुट पर निशाना साधते हुए कहा कि वे इसे असली शिवसेना नहीं मानते क्योंकि शिवसेना कभी किसी के सामने नहीं झुकी।
राउत ने पुरानी यादें ताजा करते हुए कहा, “हमने कभी भाजपा के सामने घुटने नहीं टेके। यह हमारे लिए आत्मसम्मान की बात है। जब भी भाजपा ने हम पर हावी होने या अपना रुख थोपने की कोशिश की, हमने बिना डरे अपने रास्ते अलग कर लिए। आज की स्थिति देखकर दुख होता है कि जो लोग खुद को शिवसेना कहते हैं, उन्होंने भाजपा के छोटे भाई की भूमिका स्वीकार कर ली है।”
बीएमसी चुनाव का चुनावी गणित और महत्वपूर्ण तारीखें
देश की सबसे अमीर नगर निकाय मानी जाने वाली बीएमसी के चुनाव की रणभेरी बज चुकी है। 227 सीटों वाली इस परिषद के लिए भाजपा और शिंदे नीत शिवसेना गठबंधन में सीटों का औपचारिक एलान हो चुका है। समझौते के तहत भाजपा सबसे बड़े दल के रूप में 137 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी, जबकि शिवसेना के हिस्से में 90 सीटें आई हैं। दोनों दल अपने-अपने कोटे से कुछ सीटें गठबंधन के अन्य छोटे सहयोगियों को भी आवंटित करेंगे।
चुनाव आयोग द्वारा घोषित कार्यक्रम के अनुसार, बीएमसी चुनाव के लिए 15 जनवरी को मतदान प्रक्रिया संपन्न होगी। इसके ठीक अगले दिन, यानी 16 जनवरी को मतगणना की जाएगी और नतीजे घोषित होंगे। यह चुनाव न केवल मुंबई की सत्ता तय करेगा, बल्कि आगामी विधानसभा चुनाव के लिए भी माहौल तैयार करेगा। विकास बनाम अस्मिता और स्थानीय बनाम बाहरी के मुद्दों के बीच मुंबई के मतदाता किसके पक्ष में अपना जनादेश देते हैं, यह देखना दिलचस्प होगा।