• December 28, 2025

पुलिस मंथन 2025: मुख्यमंत्री योगी का सख्त निर्देश— ‘मुख्यालय छोड़ जनता के बीच जाएं अफसर, संवाद से ही कायम होगा कानून का राज’

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पुलिस प्रशासन की कार्यशैली को और अधिक जनकेंद्रित और प्रभावी बनाने के लिए रविवार को कड़े निर्देश जारी किए हैं। राजधानी लखनऊ में आयोजित ‘पुलिस मंथन: वरिष्ठ पुलिस अधिकारी सम्मेलन-2025’ को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने दो-टूक शब्दों में कहा कि कानून-व्यवस्था को केवल मुख्यालय में बैठकर नियंत्रित नहीं किया जा सकता। उन्होंने सिपाही से लेकर जोन स्तर के वरिष्ठ अधिकारियों तक को जनता और जनप्रतिनिधियों के साथ सीधा संवाद स्थापित करने का निर्देश दिया। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि पुलिसिंग की सफलता जमीन पर जनता के विश्वास से मापी जाती है, न कि फाइलों में।

मुख्यमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि पुलिस अधिकारियों को जनप्रतिनिधियों के कॉल रिसीव करने चाहिए और उन्हें अपने क्षेत्र की स्थितियों से अवगत कराना चाहिए। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में जनसंवाद ही वह सेतु है जो शासन और जनता के बीच की दूरी को कम करता है। मुख्यमंत्री के इस संबोधन को प्रदेश में आगामी चुनौतियों और सुरक्षा व्यवस्था को और अधिक सुदृढ़ करने के रोडमैप के रूप में देखा जा रहा है।

बदलती धारणा और कानून का राज: आठ साल की उपलब्धियां

अपने संबोधन के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछले आठ वर्षों के कार्यकाल का लेखा-जोखा भी प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि 2017 से पहले उत्तर प्रदेश की पहचान दंगों और कर्फ्यू वाले प्रदेश के रूप में होती थी, लेकिन आज वह धारणा पूरी तरह बदल चुकी है। मुख्यमंत्री ने गर्व के साथ कहा कि “हमने कानून के दायरे में रहकर प्रदेश की छवि बदली है।” उन्होंने अधिकारियों को याद दिलाया कि यदि आज प्रदेश में निवेश आ रहा है और लोग सुरक्षित महसूस कर रहे हैं, तो इसका श्रेय पूरी तरह से ‘कानून के राज’ को जाता है।

योगी आदित्यनाथ ने कहा कि विकसित भारत के निर्माण में राज्य सरकारों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है और उत्तर प्रदेश इसमें अग्रणी भूमिका निभा रहा है। उन्होंने कानून-व्यवस्था को विकास की पूर्व शर्त बताते हुए कहा कि अगर आज यूपी में इंफ्रास्ट्रक्चर के बड़े निवेश हो रहे हैं, तो इसका मुख्य कारण अपराधियों पर लगाम और पारदर्शी कार्यप्रणाली है। उन्होंने कहा कि आठ वर्षों में बिना किसी भेदभाव के, जाति और मजहब देखे बिना सरकारी योजनाओं का लाभ हर पात्र व्यक्ति तक पहुँचाया गया है, जिससे जनता का सरकार और पुलिस प्रशासन पर विश्वास बढ़ा है।

विकास का आधार बनी सुदृढ़ सुरक्षा व्यवस्था

मुख्यमंत्री ने प्रदेश की आर्थिक प्रगति को पुलिसिंग की सफलता से जोड़ते हुए कहा कि आज निवेशक उत्तर प्रदेश की ओर आकर्षित हो रहे हैं क्योंकि यहाँ उनकी सुरक्षा की गारंटी है। उन्होंने बुनियादी ढांचे का जिक्र करते हुए बताया कि देश के 55 फीसदी एक्सप्रेसवे आज उत्तर प्रदेश में हैं, जो पिछले आठ वर्षों की कड़ी मेहनत का परिणाम है। इसके अलावा, देश का सबसे बड़ा रेल नेटवर्क और बेहतर एयर कनेक्टिविटी भी उत्तर प्रदेश में ही मौजूद है।

उन्होंने अधिकारियों को सचेत किया कि विकास की इस गति को बनाए रखने के लिए सुरक्षा व्यवस्था में रत्ती भर भी ढील नहीं दी जा सकती। उन्होंने कहा कि पुलिस को अपनी छवि ऐसी बनानी होगी कि अपराधियों के मन में खौफ हो और आम आदमी खुद को सुरक्षित महसूस करे। मुख्यमंत्री ने यह भी साफ किया कि कानून से खिलवाड़ करने वाले किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा, चाहे वह कितना भी रसूखदार क्यों न हो।

फील्ड पोस्टिंग और जमीनी पुलिसिंग पर जोर

‘पुलिस मंथन’ के दौरान मुख्यमंत्री का मुख्य फोकस जमीनी स्तर की पुलिसिंग पर रहा। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे अपने वातानुकूलित कमरों से बाहर निकलें और बाजारों, मोहल्लों और गाँवों का दौरा करें। उन्होंने विशेष रूप से व्यापारियों और धर्माचार्यों के साथ नियमित संवाद करने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि स्थानीय स्तर पर व्यापारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना आर्थिक विकास के लिए आवश्यक है, वहीं धर्माचार्यों से संवाद सामाजिक सौहार्द बनाए रखने में मददगार साबित होता है।

मुख्यमंत्री ने थाना, सर्किल और पुलिस लाइन के बीच बेहतर समन्वय बनाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि अक्सर सूचनाओं के अभाव या समन्वय की कमी के कारण छोटी घटनाएं बड़ा रूप ले लेती हैं। यदि पुलिस प्रशासन का निचला स्तर यानी थाना स्तर सक्रिय होगा और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ निरंतर संपर्क में रहेगा, तो किसी भी अप्रिय स्थिति को समय रहते संभाला जा सकेगा।

जनप्रतिनिधियों के प्रति संवेदनशीलता और जवाबदेही

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को जनप्रतिनिधियों के प्रति अधिक संवेदनशील होने की हिदायत दी। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधि जनता की समस्याओं को लेकर आते हैं, इसलिए उनकी बात सुनना और उन्हें समाधान की दिशा में हो रही कार्रवाई से अवगत कराना अधिकारियों का कर्तव्य है। कॉल रिसीव न करने या जनप्रतिनिधियों की अनदेखी करने वाले अधिकारियों के प्रति मुख्यमंत्री ने नाराजगी के संकेत दिए।

उन्होंने अंत में कहा कि उत्तर प्रदेश की पुलिस ने पिछले आठ वर्षों में अपनी मेहनत से जो साख बनाई है, उसे और आगे ले जाने की जरूरत है। पुलिसिंग को ‘स्मार्ट’ बनाने के साथ-साथ उसे ‘मानवीय’ भी बनाना होगा। मुख्यमंत्री ने विश्वास जताया कि यदि पुलिस बल पूरी निष्ठा के साथ जनता के बीच रहकर कार्य करेगा, तो उत्तर प्रदेश अपराध मुक्त और विकसित प्रदेश बनने के अपने लक्ष्य को जल्द ही प्राप्त कर लेगा।

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