रामनगरी में आंध्र के मुख्यमंत्री: चंद्रबाबू नायडू ने किए रामलला के दर्शन, बोले- ‘रामराज्य ही सुशासन का असली बेंचमार्क’
अयोध्या: आध्यात्मिक चेतना के वैश्विक केंद्र के रूप में उभर रही अयोध्या नगरी में रविवार को एक महत्वपूर्ण राजनीतिक और आध्यात्मिक संगम देखने को मिला। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू अपनी एक दिवसीय यात्रा पर रामनगरी पहुंचे, जहाँ उन्होंने न केवल भव्य राम मंदिर में रामलला के दर्शन किए, बल्कि उत्तर प्रदेश के विकास और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व की भी जमकर सराहना की। नायडू की यह यात्रा राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा की दूसरी वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आयोजित धार्मिक अनुष्ठानों के बीच हुई, जिसने इसे और भी विशेष बना दिया।
महर्षि वाल्मीकि अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुँचते ही मुख्यमंत्री नायडू का भव्य स्वागत किया गया। उत्तर प्रदेश सरकार के प्रतिनिधि के रूप में कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही, स्थानीय विधायक वेद प्रकाश गुप्त और जिलाधिकारी निखिल टीकाराम फुंडे ने उनकी अगवानी की। हवाई अड्डे से नायडू सीधे राम जन्मभूमि परिसर के लिए रवाना हुए, जहाँ उन्होंने भक्तिभाव के साथ दर्शन-पूजन किया और मंदिर निर्माण की बारीकियों को अत्यंत उत्सुकता से देखा।
प्राण-प्रतिष्ठा की दूसरी वर्षगांठ और धार्मिक अनुष्ठान में सहभागिता
मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की अयोध्या यात्रा का समय बेहद महत्वपूर्ण रहा। राम मंदिर में प्रतिष्ठा द्वादशी (प्राण-प्रतिष्ठा की दूसरी वर्षगांठ) के अवसर पर विशेष धार्मिक अनुष्ठान आयोजित किए जा रहे थे। नायडू ने श्रीराम जन्मभूमि मंदिर परिसर स्थित यज्ञशाला में पहुँचकर इन अनुष्ठानों में भाग लिया। वैदिक आचार्यों के मंत्रोच्चार के बीच उन्होंने यज्ञ में आहुति दी और रामलला का आशीर्वाद लिया।
इस दौरान, उन्होंने राम दरबार के भी दर्शन किए और परिसर में स्थापित सप्त ऋषि मंदिर में माथा टेका। आध्यात्मिक ऊर्जा से सराबोर मुख्यमंत्री ने काफी समय मंदिर परिसर में व्यतीत किया। उन्होंने वहाँ मौजूद श्रद्धालुओं का हाथ जोड़कर अभिवादन किया, जिसे देखकर राम भक्त भी काफी उत्साहित नजर आए। नायडू ने मंदिर की भव्यता और वहां की व्यवस्थाओं को भारतीय संस्कृति के पुनर्जागरण का प्रतीक बताया।
मंदिर निर्माण की भव्यता देख अभिभूत हुए नायडू
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने मुख्यमंत्री नायडू को पूरे मंदिर परिसर का भ्रमण कराया। भ्रमण के दौरान चंपत राय ने उन्हें मंदिर निर्माण की स्थापत्य कला, पत्थरों की नक्काशी और भविष्य की निर्माण योजनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी। नायडू ने मंदिर के प्रत्येक स्तंभ और कलाकृति को बड़े ध्यान से निहारा और निर्माण प्रभारी गोपाल राव से तकनीकी पहलुओं पर चर्चा की।
परिसर की भव्यता से प्रभावित होकर नायडू ने कहा कि यह मंदिर न केवल एक धार्मिक ढांचा है, बल्कि यह भारत के लिए एक विशाल ‘आध्यात्मिक हब’ बनने जा रहा है। उन्होंने उन सभी शिल्पकारों, इंजीनियरों और भक्तों की सराहना की, जिन्होंने इस ऐतिहासिक मंदिर को साकार करने में अपना योगदान दिया है। नायडू ने विश्वास जताया कि अगले दो वर्षों में यह मंदिर दुनिया के अन्य सभी मंदिरों के लिए प्रबंधन और वास्तुकला का एक आदर्श (बेंचमार्क) बन जाएगा।
‘रामराज्य’ सुशासन का मानक और विकसित भारत का संकल्प
दर्शन पूजन के उपरांत मीडिया से बात करते हुए चंद्रबाबू नायडू ने एक महत्वपूर्ण राजनीतिक और सामाजिक संदेश दिया। उन्होंने कहा कि “रामराज्य किसी भी सरकार के लिए सुशासन का सर्वोच्च बेंचमार्क है।” उन्होंने स्पष्ट किया कि न्याय, समानता और लोक कल्याण पर आधारित रामराज्य की अवधारणा ही आधुनिक लोकतंत्रों के लिए प्रेरणा का स्रोत होनी चाहिए।
नायडू ने ‘विकसित भारत 2047’ के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन पर बात करते हुए कहा कि भारत के समग्र विकास के लिए उत्तर भारत के राज्यों का मजबूत होना अनिवार्य है। उन्होंने कहा, “यदि उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे बड़े राज्य विकसित होते हैं, तभी हम विकसित भारत 2047 के लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अयोध्या का आध्यात्मिक महत्व देश के आर्थिक और सामाजिक विकास में एक उत्प्रेरक (Catalyst) की भूमिका निभाएगा।
योगी आदित्यनाथ और उत्तर प्रदेश सरकार की सराहना
मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल और प्रदेश में हो रहे बदलावों की मुक्त कंठ से प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि यूपी वर्तमान में बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रहा है और मुख्यमंत्री योगी बहुत सराहनीय कार्य कर रहे हैं। नायडू ने बेहतर व्यवस्थाओं और शानदार आतिथ्य के लिए उत्तर प्रदेश सरकार का धन्यवाद ज्ञापित किया।
इस अवसर पर उनके साथ श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य डॉ. अनिल मिश्र, मंदिर निर्माण प्रभारी गोपाल राव और कई वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी मौजूद रहे। नायडू की इस यात्रा को दक्षिण भारत और उत्तर भारत के सांस्कृतिक और राजनीतिक सेतु के रूप में देखा जा रहा है। उन्होंने अंत में कहा कि वे यहाँ से एक नई आध्यात्मिक ऊर्जा लेकर जा रहे हैं और अयोध्या का यह कायाकल्प पूरे विश्व को भारतीय सभ्यता की ओर आकर्षित करेगा।