पाकिस्तान का बड़ा कुबूलनामा: विदेश मंत्री इशाक डार ने माना, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में भारतीय हमलों ने नूर खान एयरबेस को किया था तबाह
इस्लामाबाद/नई दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय कूटनीति और सैन्य विमर्श के क्षेत्र में पाकिस्तान को एक बार फिर भारी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा है। महीनों तक ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान हुए नुकसान को छिपाने की कोशिश करने के बाद, अब खुद पाकिस्तान सरकार के एक वरिष्ठ स्तंभ ने सत्य स्वीकार कर लिया है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सार्वजनिक रूप से यह माना कि भारतीय सेना द्वारा किए गए सटीक हमलों में उनके ‘नूर खान एयरबेस’ को भारी क्षति पहुँची थी। यह स्वीकारोक्ति न केवल पाकिस्तानी सेना के उन दावों की पोल खोलती है जिसमें वे खुद को सुरक्षित बता रहे थे, बल्कि यह भारतीय सेना की सामरिक श्रेष्ठता पर भी मुहर लगाती है।
इशाक डार का यह बयान ऐसे समय में आया है जब पाकिस्तान वैश्विक स्तर पर अपनी साख बचाने की कोशिश कर रहा है। विदेश मंत्री ने स्पष्ट रूप से स्वीकार किया कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान भारतीय ड्रोन हमलों ने उनके सैन्य प्रतिष्ठानों की सुरक्षा व्यवस्था को भेद दिया था। इस हमले में न केवल बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुँचा, बल्कि वहां तैनात पाकिस्तानी सैन्य कर्मी भी गंभीर रूप से घायल हुए थे। यह पहली बार है जब पाकिस्तान के किसी शीर्ष राजनेता ने कैमरे के सामने खड़े होकर भारतीय प्रहार की मारक क्षमता को स्वीकार किया है।
36 घंटे का वो खौफ: इशाक डार ने बयां की ड्रोन हमलों की कहानी
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इशाक डार ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के उन तनावपूर्ण घंटों का विवरण साझा किया, जिसने पाकिस्तानी रक्षा पंक्ति को हिलाकर रख दिया था। डार ने बताया कि भारत ने पाकिस्तान की सीमा के भीतर ड्रोन की एक बड़ी खेप भेजी थी। उनके अनुसार, मात्र 36 घंटों के भीतर भारत की ओर से कम से कम 80 ड्रोन हमले किए गए। हालांकि, उन्होंने यह दावा करके अपनी सेना का बचाव करने की कोशिश की कि पाकिस्तान ने 80 में से 79 ड्रोन रोकने में सफलता पाई, लेकिन उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि ‘केवल एक’ ड्रोन ही उनके महत्वपूर्ण सैन्य प्रतिष्ठान (नूर खान एयरबेस) को भारी नुकसान पहुँचाने के लिए काफी था।
विशेषज्ञों का मानना है कि इशाक डार का ‘एक ड्रोन’ वाला तर्क केवल घरेलू जनता को सांत्वना देने का एक प्रयास है, क्योंकि एक ही एयरबेस पर सटीक निशाना लगना यह दर्शाता है कि भारतीय तकनीक और खुफिया जानकारी कितनी अचूक थी। डार ने माना कि इस हमले ने नूर खान एयरबेस के रणनीतिक ढांचे को हिला दिया और वहां मौजूद जवानों को संभलने का मौका तक नहीं मिला। यह बयान पाकिस्तानी सेना के उस ‘अजेय’ होने के भ्रम को तोड़ता है जो वे अक्सर अपनी जनता के बीच फैलाते रहते हैं।
पहलगाम हमले का प्रतिशोध: क्या था ‘ऑपरेशन सिंदूर’?
भारत और पाकिस्तान के बीच इस ताज़ा हिंसक संघर्ष की जड़ें अप्रैल 2025 में हुए जम्मू-कश्मीर के पहलगाम आतंकी हमले में छिपी हैं। उस हमले में लश्कर और टीआरएफ के आतंकियों ने 26 निर्दोष भारतीय नागरिकों की जान ले ली थी। देश में बढ़ते आक्रोश और सुरक्षा की मांग के बीच, भारत सरकार ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को हरी झंडी दी। इस ऑपरेशन का मुख्य उद्देश्य सीमा पार चल रहे आतंकी लॉन्चिग पैड्स और उन्हें संरक्षण देने वाले सैन्य ढांचों को नेस्तनाबूद करना था।
भारत ने अपनी रक्षात्मक नीति को आक्रामक रुख में बदलते हुए सटीक दूरी से हमले शुरू किए। इस दौरान रावलपिंडी के करीब चकलाल स्थित पाकिस्तानी वायुसेना के महत्वपूर्ण बेस ‘नूर खान एयरबेस’ को विशेष रूप से निशाना बनाया गया। भारतीय सेना ने न केवल आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया, बल्कि उन ठिकानों को भी मटियामेट कर दिया जो इन आतंकियों को रसद और ट्रेनिंग प्रदान करते थे। भारत की इस त्वरित और घातक कार्रवाई ने पाकिस्तान को रक्षात्मक मुद्रा में आने पर मजबूर कर दिया।
सैटेलाइट तस्वीरों ने पहले ही खोल दी थी पोल
हालांकि पाकिस्तान आधिकारिक तौर पर नुकसान की बात से इनकार करता रहा था, लेकिन वैश्विक तकनीक ने उनके झूठ को पहले ही बेनकाब कर दिया था। मैक्सर टेक्नोलॉजीज (Maxar Technologies) द्वारा 13 मई को जारी की गई हाई-रिज़ॉल्यूशन सैटेलाइट तस्वीरों में नूर खान एयरबेस के भीतर हुए विनाश के स्पष्ट निशान देखे गए थे। तस्वीरों में रनवे के पास के हैंगर और मुख्य इमारतों पर हमले के घाव साफ नजर आ रहे थे।
इन तस्वीरों के सार्वजनिक होने के बावजूद पाकिस्तानी सेना ने इसे ‘सामान्य मरम्मत’ और ‘तकनीकी खराबी’ बताकर टालने की कोशिश की थी। लेकिन अब विदेश मंत्री इशाक डार की स्वीकारोक्ति ने यह साफ कर दिया है कि सैटेलाइट द्वारा दिखाई गई तबाही पूरी तरह वास्तविक थी। यह घटनाक्रम दिखाता है कि आधुनिक युद्ध में केवल बयानबाजी से नुकसान को नहीं छिपाया जा सकता। पाकिस्तान के डीजीएमओ द्वारा भारतीय डीजीएमओ के समक्ष संघर्ष विराम (सीजफायर) का प्रस्ताव रखना भी इसी बात का प्रमाण था कि वे भारतीय हमलों की तीव्रता को और अधिक झेलने की स्थिति में नहीं थे।
पाकिस्तान की आंतरिक राजनीति और सैन्य साख पर संकट
इशाक डार के इस कुबूलनामे ने पाकिस्तान के भीतर एक नया राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है। वहां की जनता और विपक्षी दल अब सेना से सवाल पूछ रहे हैं कि अगर नुकसान इतना भारी था तो इसे इतने दिनों तक क्यों छिपाया गया? पाकिस्तानी सेना, जो देश की राजनीति और बजट का एक बड़ा हिस्सा नियंत्रित करती है, उसके लिए अपने ही विदेश मंत्री द्वारा ‘पोल’ खोला जाना किसी बड़े झटके से कम नहीं है।
विश्लेषकों का कहना है कि यह स्वीकारोक्ति दर्शाती है कि पाकिस्तान का नागरिक नेतृत्व और सैन्य नेतृत्व अब एक ही पृष्ठ पर नहीं हैं। इशाक डार ने अनजाने में या जानबूझकर यह सच बोलकर पाकिस्तान की उस कमजोरी को दुनिया के सामने रख दिया है, जिसे वे दशकों से ‘रणनीतिक गहराई’ (Strategic Depth) के पीछे छिपाते आए थे। भारत के लिए यह एक बड़ी कूटनीतिक जीत है, क्योंकि अब अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने यह स्पष्ट है कि भारत अपनी सुरक्षा के लिए सीमा पार जाकर किसी भी हद तक प्रभावी कार्रवाई कर सकता है।
निष्कर्ष: भारत का बदलता सामरिक प्रहार
‘ऑपरेशन सिंदूर’ और उसके बाद पाकिस्तान की यह स्वीकारोक्ति दक्षिण एशिया की भू-राजनीति में एक बड़े बदलाव का संकेत है। भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह आतंकवाद को अब केवल एक ‘सीमावर्ती समस्या’ के रूप में नहीं देखता, बल्कि इसके मूल स्रोत पर प्रहार करने की क्षमता रखता है। नूर खान एयरबेस जैसे संवेदनशील सैन्य ठिकाने पर सटीक हमला करना यह संदेश देता है कि पाकिस्तान का कोई भी कोना अब भारतीय पहुंच से दूर नहीं है। इशाक डार का यह बयान भविष्य के युद्धों और संघर्षों में भारत के मनोवैज्ञानिक बढ़त को और मजबूत करेगा।