कांग्रेस कार्यसमिति का बड़ा फैसला: मनरेगा के बदले आए नए कानून और ‘SIR’ के खिलाफ सड़क पर उतरेगी पार्टी, चुनावी राज्यों के लिए कसी कमर
नई दिल्ली: देश की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने केंद्र सरकार की नीतियों और चुनावी प्रक्रिया में कथित हस्तक्षेप के खिलाफ एक निर्णायक मोर्चा खोलने का ऐलान कर दिया है। शनिवार को नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) मुख्यालय में आयोजित ‘कांग्रेस कार्यसमिति’ (CWC) की उच्च स्तरीय बैठक में पार्टी ने दो बड़े मुद्दों पर सरकार को घेरने की रणनीति तैयार की है। पहला, मनरेगा (MGNREGA) की जगह लाए गए नए कानून ‘वीबी-जी राम जी’ (VB-GRAM-G) का राष्ट्रव्यापी विरोध, और दूसरा, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में चल रहे मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण (SIR) को लोकतांत्रिक अधिकारों को कुचलने की ‘साजिश’ करार देना। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, सोनिया गांधी और राहुल गांधी की उपस्थिति में हुई इस बैठक ने साफ कर दिया है कि आने वाले दिनों में देश की राजनीति में टकराव और बढ़ने वाला है।
‘वीबी-जी राम जी’ कानून: मनरेगा को खत्म करने की कोशिश?
बैठक का सबसे प्रमुख मुद्दा केंद्र सरकार द्वारा ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना यानी मनरेगा के ढांचे में किया गया आमूल-चूल बदलाव रहा। सरकार ने अब ‘विकासशील भारत-गारंटी फॉर रोजगार एंड अजीविका मिशन (ग्रामीण)’ यानी वीबी-जी राम जी एक्ट लागू करने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बैठक को संबोधित करते हुए इस पर तीखी नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि मनरेगा केवल एक योजना नहीं थी, बल्कि यह ग्रामीण गरीबों के लिए ‘जीवन रेखा’ थी जिसे कांग्रेस की यूपीए सरकार ने कानूनी अधिकार के रूप में दिया था।
खरगे ने आरोप लगाया कि नए कानून के माध्यम से सरकार रोजगार की गारंटी को सीमित करना चाहती है और फंड के आवंटन में कटौती की तैयारी कर रही है। कार्यसमिति ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया कि इस नए कानून के खिलाफ देशभर में जन-आंदोलन और प्रदर्शन किए जाएंगे। पार्टी ने इसे अपनी ‘सामूहिक जिम्मेदारी’ बताते हुए कहा कि वह संसद से लेकर सड़क तक इस मुद्दे को उठाएगी ताकि ग्रामीण भारत के मजदूरों के हितों की रक्षा की जा सके। कांग्रेस का मानना है कि रोजगार गारंटी योजना के साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर देगी।
मतदाता सूची पुनरीक्षण (SIR) पर खरगे का हमला: ‘सोची-समझी साजिश’
बैठक में पश्चिम बंगाल और अन्य क्षेत्रों में चल रहे मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण (SIR) का मुद्दा भी गरमाया रहा। मल्लिकार्जुन खरगे ने इसे एक ‘गंभीर मुद्दा’ बताते हुए सरकार की मंशा पर सवाल उठाए। उन्होंने दावा किया कि बड़े पैमाने पर मतदाताओं के नाम काटना और पुनरीक्षण के नाम पर जटिल प्रक्रियाएं थोपना, जनता के लोकतांत्रिक अधिकारों को सीमित करने की एक सोची-समझी साजिश है। खरगे के अनुसार, यह प्रक्रिया पारदर्शी नहीं है और इसका उपयोग विपक्षी दलों के समर्थकों को निशाना बनाने के लिए किया जा सकता है। कांग्रेस ने मांग की है कि चुनाव आयोग को इस प्रक्रिया की शुचिता सुनिश्चित करनी चाहिए। पार्टी ने संकेत दिया कि वह इस मुद्दे पर समान विचारधारा वाले दलों के साथ मिलकर चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाएगी।
पांच राज्यों के चुनावी समर की तैयारी और रणनीतिक मंथन
अगले साल असम, केरल, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और पुडुचेरी में विधानसभा चुनाव होने हैं। CWC की बैठक में इन राज्यों के लिए ‘एक्शन प्लान’ तैयार किया गया। बैठक में कांग्रेस शासित राज्यों—तेलंगाना, कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश—के मुख्यमंत्रियों ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और यह साझा किया कि किस तरह उनके राज्यों की कल्याणकारी योजनाओं को चुनावी राज्यों में मॉडल के तौर पर पेश किया जा सकता है।
पार्टी नेतृत्व ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि इन राज्यों में गुटबाजी को दरकिनार कर संगठन को पूरी ताकत से चुनाव में उतरना होगा। केरल में एलडीएफ सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार के मुद्दों और असम में जनसांख्यिकी दावों के बीच अपनी स्थिति मजबूत करने पर जोर दिया गया। राहुल गांधी ने बैठक में संगठन के निचले स्तर तक कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने और युवाओं को अधिक प्रतिनिधित्व देने की बात कही। शशि थरूर जैसे वरिष्ठ नेताओं ने भी विभिन्न राज्यों के राजनीतिक समीकरणों पर अपना फीडबैक साझा किया।
असम सरकार पर गौरव गोगोई का प्रहार: भ्रष्टाचार और नागरिकता का सवाल
असम के संदर्भ में कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा पर अब तक का सबसे कड़ा हमला बोला। गोगोई ने आरोप लगाया कि सरमा के नेतृत्व में असम ‘भ्रष्टाचार और कुशासन’ का पर्याय बन गया है। उन्होंने कहा कि आए दिन भाजपा के विधायकों और मंत्रियों के नाम गौ-तस्करी, जमीन कब्जाने, रेत माफिया और कोयला माफिया के साथ जुड़ रहे हैं।
गोगोई ने मुख्यमंत्री द्वारा हाल ही में दिए गए ’40 फीसदी बांग्लादेशी मुस्लिम’ वाले बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि खुद भाजपा के एक विधायक की नागरिकता और उनके कथित बांग्लादेशी होने पर सवाल उठ रहे हैं, लेकिन मुख्यमंत्री इसका जवाब नहीं दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरमा अपनी विफलताओं और अपनी कैबिनेट के भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का सहारा ले रहे हैं। कांग्रेस ने तय किया है कि असम में वह इन प्रशासनिक विफलताओं को प्रमुख चुनावी मुद्दा बनाएगी।
डॉ. मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि और कांग्रेस का संकल्प
CWC की बैठक का समापन एक भावुक मोड़ के साथ हुआ। बैठक की शुरुआत में ही देश के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के प्रति सम्मान व्यक्त करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। पार्टी नेताओं ने उनके कार्यकाल के दौरान हुई आर्थिक प्रगति और मनरेगा जैसी जनकल्याणकारी योजनाओं की नींव रखने के लिए उनके योगदान की सराहना की। नेताओं ने संकल्प लिया कि वे डॉ. सिंह द्वारा स्थापित मूल्यों की रक्षा करेंगे और उन ताकतों के खिलाफ लड़ेंगे जो गरीबों के संवैधानिक अधिकारों को छीनने की कोशिश कर रही हैं।
कुल मिलाकर, कांग्रेस कार्यसमिति की यह बैठक इस मायने में महत्वपूर्ण रही कि पार्टी ने अब रक्षात्मक रवैया छोड़कर आक्रामक रुख अपनाने का फैसला किया है। ‘वीबी-जी राम जी’ एक्ट के विरोध को पार्टी ने 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद का सबसे बड़ा राजनीतिक अभियान बनाने की तैयारी की है।