उत्तर प्रदेश में हाड़ कंपाने वाली सर्दी का सितम: कोहरे की चादर में लिपटा प्रदेश, 25 दिसंबर से पहाड़ों की बर्फीली हवाएं बढ़ाएंगी गलन
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में कड़ाके की ठंड और घने कोहरे ने जनजीवन को पूरी तरह से अपनी गिरफ्त में ले लिया है। समूचा प्रदेश इस समय भीषण शीतलहर और शून्य दृश्यता की दोहरी मार झेल रहा है। मौसम विभाग की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, आने वाले दिन उत्तर प्रदेश के निवासियों के लिए और भी चुनौतीपूर्ण होने वाले हैं। सोमवार को पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने के कारण तापमान में मामूली बढ़ोतरी तो दर्ज की गई, लेकिन कोहरे के विकराल रूप ने यातायात से लेकर सामान्य दिनचर्या तक को अस्त-व्यस्त कर दिया है। आगरा, अयोध्या, प्रयागराज और कानपुर जैसे प्रमुख शहरों में सुबह के समय दृश्यता शून्य तक पहुंच गई, जिससे सड़कों पर वाहनों की रफ्तार थम गई और लंबी दूरी की ट्रेनों के साथ-साथ हवाई सेवाओं पर भी इसका गहरा असर देखने को मिल रहा है।
आंचलिक मौसम विज्ञान केंद्र, लखनऊ के वरिष्ठ वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि वर्तमान में जो तापमान में हल्की वृद्धि दिख रही है, वह केवल एक अस्थायी राहत है। पश्चिमी विक्षोभ का प्रभाव खत्म होते ही उत्तर-पश्चिमी हवाओं का रुख बदलेगा। पहाड़ों पर हो रही बर्फबारी का सीधा असर अब मैदानी इलाकों में दिखने वाला है। 25 दिसंबर, यानी क्रिसमस के दिन से प्रदेश में गलन भरी उत्तरी-पछुआ हवाएं चलना शुरू हो जाएंगी, जिससे पारे में भारी गिरावट आने की संभावना है। यह बदलाव प्रदेश में ठिठुरन को इस कदर बढ़ा देगा कि दिन के समय भी लोगों को कड़ाके की ठंड का अहसास होगा।
कोहरे का तांडव और यातायात पर पड़ता व्यापक असर
उत्तर प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में सोमवार और मंगलवार की सुबह कोहरे की ऐसी मोटी चादर बिछी रही कि कुछ मीटर की दूरी पर भी देख पाना असंभव हो गया। लखनऊ, बहराइच, इटावा, मुरादाबाद और फरुखाबाद में सुबह के वक्त दृश्यता मात्र 20 मीटर दर्ज की गई। वहीं बरेली और शाहजहांपुर में यह 25 मीटर और मेरठ में 30 मीटर तक सीमित रही। सबसे गंभीर स्थिति आगरा और प्रयागराज में रही, जहां ‘जीरो विजिबिलिटी’ के कारण जनजीवन पूरी तरह ठप नजर आया। कोहरे की इस भयावह स्थिति को देखते हुए मौसम विभाग ने प्रदेश के 18 जिलों के लिए ‘ऑरेंज अलर्ट’ जारी किया है। इन जिलों में कौशांबी, प्रयागराज, फतेहपुर, कानपुर, आगरा और पीलीभीत जैसे क्षेत्र शामिल हैं, जहां अत्यधिक घना कोहरा छाए रहने की प्रबल संभावना है। प्रशासन ने वाहन चालकों को बेहद सावधानी बरतने और फॉग लाइट का अनिवार्य उपयोग करने की सलाह दी है।
तापमान के उतार-चढ़ाव और रिकॉर्ड तोड़ती ठंड
मौसम के आंकड़ों पर नजर डालें तो बाराबंकी इस समय उत्तर प्रदेश का सबसे ठंडा जिला बनकर उभरा है। यहां न्यूनतम तापमान 4.5 डिग्री सेल्सियस तक गिर गया है, जिससे रातें बेहद कष्टकारी हो गई हैं। दूसरी ओर, वाराणसी में अधिकतम तापमान में भारी गिरावट दर्ज की गई और 15.8 डिग्री सेल्सियस के साथ यहां प्रदेश का सबसे ठंडा दिन रिकॉर्ड किया गया। हालांकि राजधानी लखनऊ में सोमवार को दिन चढ़ने के साथ धूप खिली, जिससे अधिकतम तापमान 20.5 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया, लेकिन शाम होते ही गलन ने फिर से अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। वैज्ञानिकों का कहना है कि मंगलवार को पूर्वी और मध्य यूपी के कुछ हिस्सों में तापमान में दो से तीन डिग्री की मामूली बढ़त हो सकती है, लेकिन यह केवल आने वाले बड़े तूफान से पहले की शांति की तरह है। बुधवार रात से हवाओं की दिशा बदलते ही समूचा प्रदेश गलन की चपेट में आ जाएगा।
शिक्षण संस्थानों पर ताला और शासन की नई गाइडलाइंस
बढ़ती ठंड और घने कोहरे के खतरों को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार और स्थानीय प्रशासन ने बच्चों की सुरक्षा के मद्देनजर कड़े कदम उठाए हैं। प्रदेश के कई जिलों में कक्षा आठ तक के स्कूलों को बंद रखने का निर्णय लिया गया है। शाहजहांपुर, अंबेडकरनगर, रायबरेली और सुल्तानपुर में प्रशासन ने अवकाश घोषित कर दिया है। कानपुर और उन्नाव जैसे बड़े शहरों में स्कूलों के समय में व्यापक बदलाव किया गया है ताकि छोटे बच्चों को सुबह के घने कोहरे और कड़ाके की ठंड से बचाया जा सके। जिलाधिकारी कार्यालयों द्वारा जारी निर्देशों में स्पष्ट कहा गया है कि यदि ठंड का प्रकोप इसी तरह बना रहा, तो अवकाश की अवधि को आगे भी बढ़ाया जा सकता है। स्कूलों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि वे बच्चों की सुरक्षा और स्वास्थ्य के साथ कोई समझौता न करें।
पछुआ हवाओं का आगमन और शीत दिवस की चेतावनी
मौसम विभाग ने भविष्यवाणी की है कि 25 दिसंबर से शुरू होने वाली उत्तरी-पछुआ हवाएं पूरे उत्तर प्रदेश के मौसम का मिजाज बदल देंगी। हिमालयी क्षेत्रों में हो रही भारी बर्फबारी के कारण ये हवाएं अत्यंत ठंडी होंगी। वाराणसी, सुल्तानपुर, जौनपुर और गाजीपुर सहित 10 जिलों में भारी गिरावट के साथ ‘शीत दिवस’ यानी ‘कोल्ड डे’ की चेतावनी जारी की गई है। शीत दिवस की स्थिति तब बनती है जब न्यूनतम तापमान 10 डिग्री से कम हो और अधिकतम तापमान में सामान्य से 4.5 डिग्री या उससे अधिक की गिरावट आए। ऐसी स्थिति में दिन भर सूरज के दर्शन दुर्लभ हो जाते हैं और गलन बढ़ जाती है। मौसम विज्ञानियों का मानना है कि दिसंबर का आखिरी हफ्ता और जनवरी का शुरुआती सप्ताह उत्तर प्रदेश के लिए इस सीजन का सबसे ठंडा समय साबित हो सकता है।
ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में जनजीवन की चुनौतियां
कड़ाके की ठंड का सबसे ज्यादा असर समाज के गरीब तबके और खुले में रहने वाले लोगों पर पड़ रहा है। शहरी क्षेत्रों में नगर निगम द्वारा रैन बसेरों की व्यवस्था तो की गई है, लेकिन बढ़ती भीड़ के कारण वे नाकाफी साबित हो रहे हैं। ग्रामीण इलाकों में लोग अलाव के सहारे ठंड काटने को मजबूर हैं। कृषि क्षेत्र पर भी इसका मिला-जुला असर देखने को मिल रहा है। हालांकि यह ठंड रबी की फसलों, विशेषकर गेहूं के लिए लाभदायक मानी जा रही है, लेकिन लगातार बना रहने वाला घना कोहरा और पाला गिरने की आशंका ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। आलू और सरसों जैसी फसलों में झुलसा रोग लगने का खतरा पैदा हो गया है, जिसके लिए कृषि विशेषज्ञों ने किसानों को रात में खेतों की मेड़ों पर धुआं करने और हल्की सिंचाई की सलाह दी है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों की सलाह और एहतियात
लगातार गिरते पारे और कोहरे के कारण स्वास्थ्य विभाग ने भी हाई अलर्ट जारी किया है। अस्पतालों में सांस के मरीजों और हृदय रोगियों की संख्या में अचानक इजाफा देखने को मिल रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि अत्यधिक ठंड के कारण रक्त वाहिकाएं सिकुड़ जाती हैं, जिससे ब्लड प्रेशर बढ़ने और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। बुजुर्गों और बच्चों को सुबह-शाम बाहर निकलने से बचने की सलाह दी गई है। इसके साथ ही कोहरे के कारण हवा में प्रदूषण के कण जम जाते हैं, जिससे ‘स्मॉग’ की स्थिति पैदा होती है जो फेफड़ों के लिए अत्यंत घातक है। स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से पर्याप्त मात्रा में गर्म कपड़े पहनने, गुनगुने पानी का सेवन करने और खान-पान में सावधानी बरतने की अपील की है।
प्रशासन की मुस्तैदी और राहत कार्य
मुख्यमंत्री कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, सभी जिलों के जिलाधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में अलाव और कंबलों के वितरण की नियमित समीक्षा करें। सार्वजनिक स्थलों जैसे बस अड्डों, रेलवे स्टेशनों और अस्पतालों के बाहर विशेष रूप से अलाव की व्यवस्था सुनिश्चित करने को कहा गया है। पुलिस प्रशासन को भी निर्देशित किया गया है कि वे हाईवे पर पेट्रोलिंग बढ़ाएं ताकि कोहरे के कारण होने वाली दुर्घटनाओं को कम किया जा सके। उत्तर प्रदेश परिवहन निगम ने भी चालक-परिचालकों को कम दृश्यता में बसों को सुरक्षित स्थानों पर रोकने या अत्यंत धीमी गति से चलाने के निर्देश दिए हैं। कुल मिलाकर, उत्तर प्रदेश इस समय प्रकृति के कड़े इम्तिहान से गुजर रहा है और आने वाले दिनों में ठंड का यह प्रकोप और भी भयावह होने की पूरी संभावना है।