इंडिगो संकट: डीजीसीए का बड़ा एक्शन, उड़ानों में 10% की कटौती के बाद अब एयरलाइन पर ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ की तैयारी
नई दिल्ली: देश की सबसे बड़ी किफायती विमानन सेवा प्रदाता इंडिगो (IndiGo) के लिए मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। हाल के दिनों में बड़े पैमाने पर उड़ानों के रद्द होने और परिचालन में आई गंभीर गड़बड़ियों के बाद नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) बेहद सख्त रुख अपनाए हुए है। शुक्रवार को नियामक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने स्पष्ट कर दिया कि इंडिगो के खिलाफ एक उच्च स्तरीय जांच जारी है और चार सदस्यीय पैनल की अंतिम रिपोर्ट मिलते ही एयरलाइन के विरुद्ध ‘कड़ी सुधारात्मक कार्रवाई’ की जाएगी। विमानन नियामक का यह कड़ा रुख न केवल इंडिगो के लिए चेतावनी है, बल्कि पूरे एविएशन सेक्टर को अनुशासन का संदेश देने की कोशिश है।
डीजीसीए की चार सदस्यीय विशेष समिति और आगामी कार्रवाई
इंडिगो के परिचालन संकट की गंभीरता को देखते हुए डीजीसीए ने चार विशेषज्ञों का एक विशेष पैनल गठित किया है। इस पैनल का मुख्य कार्य उन तकनीकी और प्रशासनिक कमियों की पहचान करना है, जिसके कारण पिछले कुछ हफ्तों में हजारों यात्री हवाई अड्डों पर फंसे रहे। डीजीसीए के अधिकारी ने बताया कि यह पैनल एयरलाइन के पायलट रोस्टर, तकनीकी रखरखाव के रिकॉर्ड और आपातकालीन स्थितियों से निपटने की क्षमता की सूक्ष्म जांच कर रहा है। अधिकारी ने कहा, “हम केवल दंड नहीं देना चाहते, बल्कि हमारा उद्देश्य भविष्य में ऐसी तकनीकी और परिचालन संबंधी गड़बड़ियों को दोबारा होने से पूरी तरह रोकना है।” जैसे ही यह रिपोर्ट पेश होगी, एयरलाइन पर भारी जुर्माना या परिचालन संबंधी और कड़े प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं।
शीतकालीन समय-सारणी में 10 प्रतिशत की कटौती: यात्रियों पर असर
इंडिगो में आए परिचालन संकट का पहला बड़ा खामियाजा एयरलाइन को अपने फ्लाइट शेड्यूल में कटौती के रूप में भुगतना पड़ा है। डीजीसीए ने एहतियात के तौर पर इंडिगो की शीतकालीन समय-सारणी (Winter Schedule) में 10 प्रतिशत की सीधी कटौती कर दी है। परिचालन संकट आने से पहले इंडिगो प्रतिदिन लगभग 2,300 उड़ानों का संचालन कर रही थी, लेकिन अब नियामक की पाबंदी के बाद सैकड़ों उड़ानों को रद्द करना पड़ा है। यह कटौती विशेष रूप से उन रूटों पर की गई है जहाँ एयरलाइन के पास बैकअप स्टाफ या अतिरिक्त विमानों की कमी देखी गई थी। हालांकि इससे यात्रियों को कुछ असुविधा हो रही है, लेकिन डीजीसीए का तर्क है कि अनिश्चितकालीन देरी और अंतिम समय में रद्दीकरण से बेहतर है कि एक व्यवस्थित कम समय-सारणी का पालन हो।
कोहरे और छुट्टियों का सीजन: अन्य एयरलाइंस को भी सख्त हिदायत
डीजीसीए ने केवल इंडिगो ही नहीं, बल्कि एयर इंडिया, स्पाइसजेट और विस्तारा जैसी अन्य विमानन कंपनियों को भी रडार पर रखा है। अधिकारी ने कहा कि उत्तर भारत में कोहरे (Fog) का सीजन शुरू हो चुका है और क्रिसमस व नए साल की छुट्टियों के कारण हवाई अड्डों पर भारी भीड़ है। ऐसे में एयरलाइंस को सामान्य से अधिक जिम्मेदारी से काम करना चाहिए। डीजीसीए ने सभी एयरलाइंस को निर्देश दिया है कि वे केवल उन्हीं उड़ानों की बुकिंग लें जिनका संचालन वे सुनिश्चित कर सकें। नियामक ने साफ किया है कि कोहरे के कारण होने वाली देरी के मामले में यात्रियों को भोजन, होटल और रिफंड की सुविधा प्रदान करने में किसी भी प्रकार की कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
इंडिगो सीईओ पीटर एल्बर्स की रणनीति: ‘लचीलापन और पुनर्निर्माण’ पर जोर
इस चौतरफा दबाव के बीच इंडिगो के सीईओ पीटर एल्बर्स ने कंपनी का बचाव करते हुए भविष्य की रणनीति साझा की है। गुरुवार को एक आधिकारिक बयान में एल्बर्स ने स्वीकार किया कि एयरलाइन एक कठिन दौर से गुजर रही है। उन्होंने स्थिति को सुधारने के लिए ‘तीन स्तंभों’ (Three Pillars) का सिद्धांत पेश किया है: लचीलापन (Resilience), मूल कारण विश्लेषण (Root Cause Analysis) और पुनर्निर्माण (Rebuilding)। एल्बर्स ने कहा कि कंपनी अब केवल सतह पर मरम्मत नहीं कर रही है, बल्कि उन तकनीकी और संगठनात्मक कारणों को जड़ से खत्म करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है जिनकी वजह से हालिया बाधाएं उत्पन्न हुईं। उन्होंने आश्वासन दिया कि इंडिगो अपनी खोई हुई साख वापस पाने के लिए प्रतिबद्ध है।
विमानन सुरक्षा और विश्वसनीयता पर बड़ा सवाल
इंडिगो का यह संकट भारतीय विमानन क्षेत्र के लिए एक बड़ा सबक है। जब एक एयरलाइन बाजार के एक बड़े हिस्से (करीब 60% से अधिक) पर नियंत्रण रखती है, तो उसके परिचालन में आई एक छोटी सी खराबी पूरे देश के परिवहन तंत्र को प्रभावित करती है। डीजीसीए की आगामी कार्रवाई यह तय करेगी कि भविष्य में एयरलाइंस केवल विस्तार पर ध्यान देंगी या अपनी सेवाओं की विश्वसनीयता और सुरक्षा को भी समान महत्व देंगी। फिलहाल, यात्रियों के लिए सलाह है कि वे अपनी यात्रा से पहले उड़ानों की स्थिति की जांच कर लें और एयरलाइंस से अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहें।