• December 25, 2025

भारतीय रेलवे में महिला सुरक्षा और अधिकार: सफर से पहले जानें अपनी ये विशेष सुविधाएं और कानून

भारतीय रेलवे दुनिया के सबसे बड़े रेल नेटवर्कों में से एक है। हर दिन लाखों महिलाएं ट्रेन से सफर करती हैं। महिला यात्रियों के अनुभव को सुरक्षित, सुगम और सुखद बनाने के लिए रेलवे ने कई कड़े नियम और विशेष सुविधाएं लागू की हैं। अक्सर जानकारी के अभाव में महिलाएं इन अधिकारों का लाभ नहीं उठा पातीं। आज हम विस्तार से चर्चा करेंगे उन नियमों की, जो हर महिला यात्री को पता होने चाहिए।

1. सुरक्षा की पहली ढाल: हेल्पलाइन नंबर 139 और ‘मेरी सहेली’ पहल

रेलवे ने तकनीक और मानवीय संवेदनशीलता का मेल करते हुए सुरक्षा को प्राथमिकता दी है।

एकीकृत हेल्पलाइन 139

अब महिलाओं को अलग-अलग नंबर याद रखने की जरूरत नहीं है। रेलवे का 139 नंबर एक ‘वन-स्टॉप’ समाधान है। यदि यात्रा के दौरान कोई आपको परेशान कर रहा है, कोई संदिग्ध गतिविधि दिख रही है या आप असुरक्षित महसूस कर रही हैं, तो तुरंत इस नंबर पर कॉल कर सकती हैं। यह सेवा 24/7 उपलब्ध है और कॉल करते ही आरपीएफ (RPF) सक्रिय हो जाती है।

‘मेरी सहेली’ पहल (Meri Saheli Initiative)

यह रेलवे सुरक्षा बल (RPF) की एक अनूठी पहल है। इसके तहत महिला पुलिसकर्मियों की एक टीम उन महिला यात्रियों से संवाद करती है जो अकेले सफर कर रही हैं।

  • कैसे काम करती है: ट्रेन छूटने वाले स्टेशन पर महिला जवान अकेले यात्रा कर रही महिलाओं की सीट पर जाकर उनका विवरण नोट करती हैं।

  • यात्रा के दौरान: रास्ते में आने वाले स्टेशनों पर भी सुरक्षाकर्मी उनका हाल-चाल लेते हैं।

  • फीडबैक: गंतव्य तक पहुंचने तक उनकी सुरक्षा की निगरानी की जाती है।

2. लोअर बर्थ का अधिकार: वरिष्ठ नागरिकों और गर्भवती महिलाओं के लिए नियम

सीटों का आवंटन केवल कंप्यूटर एल्गोरिदम नहीं, बल्कि मानवीय आधार पर भी होता है। रेलवे बोर्ड के नियमों के अनुसार:

  • किसे मिलती है प्राथमिकता: 45 वर्ष से अधिक आयु की महिलाएं, गर्भवती महिलाएं और दिव्यांग महिला यात्रियों को स्लीपर, 3AC और 2AC कोच में लोअर बर्थ (Lower Birth) स्वतः आवंटित की जाती है।

  • कोटा: हर कोच में इन श्रेणियों के लिए कुछ सीटें आरक्षित (Reserved) रखी जाती हैं। यदि बुकिंग के समय लोअर बर्थ उपलब्ध न हो, तो भी सिस्टम इन्हें प्राथमिकता देने की कोशिश करता है।

3. रात के समय ट्रेन से नहीं उतारे जाने का विशेष अधिकार

यह भारतीय रेलवे का सबसे महत्वपूर्ण लेकिन कम चर्चित नियम है। भारतीय रेलवे अधिनियम 1989 की धारा 139 के तहत महिला सुरक्षा को लेकर कड़ा प्रावधान है।

नियम: यदि कोई महिला यात्री रात के समय बिना टिकट (Without Ticket) पाई जाती है, तो उसे ट्रेन से बीच रास्ते में नहीं उतारा जा सकता।

अक्सर डर के मारे महिलाएं ऐसे में असुरक्षित महसूस करती हैं, लेकिन कानून कहता है कि उन्हें अगले जिला मुख्यालय (District Headquarters) वाले स्टेशन तक सफर करने दिया जाएगा। टीटीई (TTE) को महिला यात्री के साथ सम्मानजनक व्यवहार करना होगा और उसे केवल महिला पुलिसकर्मी की मौजूदगी में ही कानूनी प्रक्रिया का हिस्सा बनाया जा सकता है।

4. सीट बदलने का अधिकार: सुरक्षा और सहजता

यदि आपको आवंटित सीट पर आपके सह-यात्री ठीक नहीं लग रहे हैं या आप वहां असुरक्षित महसूस कर रही हैं, तो आप मूकदर्शक बनकर न रहें।

  • टीटीई की जिम्मेदारी: आप ट्रेन में मौजूद टीटीई से संपर्क कर अपनी परेशानी बता सकती हैं।

  • समाधान: नियमों के अनुसार, यदि दूसरी सीट खाली है, तो टीटीई को महिला की सुरक्षा को देखते हुए उसे सीट आवंटित करनी होगी। महिला यात्रियों की सुरक्षा शिकायतों पर प्राथमिकता से कार्रवाई करना टीटीई का कर्तव्य है।

5. स्टेशनों पर विशेष सुविधाएं: टिकट काउंटर से वेटिंग लाउंज तक

सुरक्षा केवल ट्रेन के अंदर ही नहीं, बल्कि स्टेशन परिसर में भी सुनिश्चित की गई है।

अलग टिकट काउंटर

भीड़भाड़ से बचने और महिलाओं की सुविधा के लिए लगभग हर बड़े स्टेशन पर महिलाओं के लिए अलग टिकट खिड़की की व्यवस्था होती है। इससे उन्हें लंबी कतारों में पुरुषों के बीच खड़े होने की असुविधा नहीं होती।

महिला वेटिंग लाउंज (Waiting Lounge)

अब कई स्टेशनों पर केवल महिलाओं के लिए आरक्षित वेटिंग रूम बनाए गए हैं। इन लाउंज में:

  • सुरक्षा गार्ड की तैनाती होती है।

  • साफ-सुथरे शौचालय और फीडिंग रूम (स्तनपान कक्ष) की सुविधा होती है।

  • यहां महिलाएं बेझिझक आराम कर सकती हैं और अपनी ट्रेन का इंतजार कर सकती हैं।

6. महिला कोच: सुरक्षा का घेरा

ट्रेन में महिला बोगियों (Ladies Coach) का प्रबंध विशेष रूप से किया जाता है।

  • चेतावनी: इन कोचों में पुरुषों का प्रवेश वर्जित है। यदि कोई पुरुष इन बोगियों में पाया जाता है, तो उस पर भारी जुर्माना और जेल की सजा का प्रावधान है।

  • गश्त: रात के समय इन बोगियों में आरपीएफ और जीआरपी के जवान गश्त करते हैं ताकि असामाजिक तत्वों को दूर रखा जा सके।

जागरूक यात्री ही सुरक्षित यात्री है

भारतीय रेलवे के ये नियम महिलाओं को एक सशक्त वातावरण प्रदान करते हैं। सुरक्षा केवल पुलिस के भरोसे नहीं, बल्कि अधिकारों के ज्ञान से भी आती है। अगली बार जब आप ट्रेन की टिकट बुक करें या सफर पर निकलें, तो इन नियमों को याद रखें।

याद रखने योग्य बातें:

  1. फोन में 139 सेव रखें।

  2. अकेले सफर में ‘मेरी सहेली’ टीम से सहयोग करें।

  3. अपने अधिकारों के लिए टीटीई से बात करने में संकोच न करें।

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