नेशनल हेराल्ड मामले में सोनिया-राहुल गांधी को बड़ी राहत: दिल्ली कोर्ट ने ED की चार्जशीट पर संज्ञान लेने से इनकार किया, कांग्रेस ने बताया राजनीतिक बदले की हार
नई दिल्ली, 17 दिसंबर 2025: लंबे समय से चल रहे नेशनल हेराल्ड मामले में कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को बड़ी कानूनी राहत मिली है। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने मंगलवार को प्रवर्तन निदेशालय (ED) की ओर से दायर मनी लॉन्ड्रिंग चार्जशीट पर संज्ञान लेने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि यह मामला एक निजी शिकायत पर आधारित है, न कि किसी FIR पर, इसलिए PMLA के तहत कार्रवाई आगे नहीं बढ़ सकती।
विशेष जज विशाल गोगने ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि मनी लॉन्ड्रिंग का मुकदमा चलाने के लिए प्रीडिकेट ऑफेंस (मूल अपराध) की FIR अनिवार्य है। चूंकि ED की शिकायत भाजपा नेता सुभ्रमण्यम स्वामी की निजी शिकायत पर आधारित है, इसलिए इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता। हालांकि, कोर्ट ने ED को जांच जारी रखने की अनुमति दी है। ED ने कहा है कि वह इस फैसले के खिलाफ अपील दायर करेगा।
कांग्रेस नेताओं की तीखी प्रतिक्रिया: राजनीतिक प्रतिशोध की हार
इस फैसले पर कांग्रेस ने इसे सत्य की जीत करार दिया है। पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद अभिषेक मान सिंहवी ने कहा कि नेशनल हेराल्ड मामला राजनीतिक प्रतिशोध और उत्पीड़न की कहानी है। उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “आरोप हवा में उड़ रहे थे, लेकिन कानून जमीन पर मजबूती से खड़ा रहा। यह मामला दशकों पुरानी राजनीतिक दुर्भावना का प्रतीक है।” सिंहवी ने ED पर हमला बोलते हुए कहा कि एजेंसी ने वर्षों तक जांच की, लेकिन कोई ठोस सबूत नहीं मिला।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सबसे तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “ये लोग ED, CBI जैसी एजेंसियों का दुरुपयोग करके हमारे लोगों को बदनाम कर रहे हैं। खासकर गांधी परिवार को सताने के लिए यह केस डाला गया है। इसमें कुछ नहीं है—कोई FIR नहीं थी। कोई व्यक्ति शिकायत करता है और वे कार्रवाई करते हैं। बेबुनियाद मामले में दम भरकर उत्पीड़न करते हैं।” खड़गे ने आगे कहा कि कांग्रेस के 50 से ज्यादा बड़े नेताओं के खिलाफ ED केस डाले गए हैं, जिन्हें सहानुभूति नहीं दिखाने वालों को निशाना बनाया जाता है। कई नेताओं को धनशोधन केस से अपनी ओर खींचा गया, सांसदों को तोड़ा गया और सरकारें बनाई गईं।
मामले की पृष्ठभूमि: क्या है नेशनल हेराल्ड विवाद?
नेशनल हेराल्ड अखबार की प्रकाशक कंपनी एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) को कांग्रेस पार्टी ने करीब 90 करोड़ रुपये का ब्याज मुक्त कर्ज दिया था। बाद में यह कर्ज यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड को ट्रांसफर कर दिया गया, जिसमें सोनिया और राहुल गांधी की बहुलांश हिस्सेदारी है। ED का आरोप है कि AJL की करीब 2000 करोड़ रुपये की संपत्तियों को धोखाधड़ी से हड़पा गया।
मामला 2012 में सुभ्रमण्यम स्वामी की निजी शिकायत से शुरू हुआ। ED ने 2025 में चार्जशीट दायर की, लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया क्योंकि मूल अपराध की FIR नहीं थी। दिल्ली पुलिस की EOW ने हाल में FIR दर्ज की है, जिस पर ED नई चार्जशीट दायर कर सकता है।
राजनीतिक निहितार्थ और आगे की राह
कांग्रेस ने इसे अपनी नैतिक और कानूनी जीत बताया, जबकि ED अपील की तैयारी में है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह राहत अस्थायी हो सकती है, क्योंकि दिल्ली पुलिस की जांच पूरी होने पर ED नया केस दायर कर सकता है। फिर भी, कांग्रेस ने इसे विपक्षी नेताओं पर एजेंसियों के दुरुपयोग का प्रमाण बताया।
यह मामला राजनीति और न्यायपालिका के चौराहे पर खड़ा है, जहां आरोप-प्रत्यारोप जारी हैं। कांग्रेस का दावा है कि कानून ने शोर से ज्यादा जोर से बात की है। आने वाले दिनों में अपील और नई जांच से मामला फिर गर्मा सकता है।