• December 27, 2025

यूपी में मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने गठित की ‘राष्ट्रीय सुहेलदेव सेना’, नीली वर्दी और पुलिसिया रैंक से गरमाई सियासत

लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने अपनी निजी ‘आरएसएस’ खड़ी कर दी है। ध्यान रहे, यह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) नहीं, बल्कि ‘राष्ट्रीय सुहेलदेव सेना’ (Rashtriya Suheldev Sena) है। राजभर ने इस सेना को पूरी तरह पुलिस और अर्धसैनिक बलों की तर्ज पर ढाला है, जिसमें नीली वर्दी, कंधे पर स्टार, छाती पर बैज और हाथ में स्टिक तक शामिल है।पुलिस-सेना जैसे रैंक, नीली वर्दी में दिखे कार्यकर्ताराष्ट्रीय सुहेलदेव सेना के सदस्यों को नीली पैंट-शर्ट की वर्दी दी गई है। कंधों पर रैंक के अनुसार एक, दो और तीन सितारे लगाए जा रहे हैं। पदनाम भी पुलिसिया अंदाज में रखे गए हैं – कमांडर, सीओ, डीएसपी, इंस्पेक्टर, एसआई आदि। सभी सदस्यों को पार्टी की ओर से फोटो युक्त आई-कार्ड भी जारी किया गया है। पहले यह कार्यकर्ता केवल पीली टी-शर्ट और पीला गमछा पहनते थे।
क्या काम करेगी राजभर की ‘आरएसएस’?
ओम प्रकाश राजभर का दावा है कि यह सेना कोई सशस्त्र गुंडा बल नहीं है।
इसके मुख्य कार्य होंगे:

  • ग्रामीण युवाओं (18-25 वर्ष) को कौशल विकास की ट्रेनिंग देना
  • नशे और गुमराह होने से बचाना
  • पार्टी की रैलियों, जनसभाओं और कार्यक्रमों में व्यवस्था और सुरक्षा संभालना
  • युवाओं को रोजगारोन्मुखी ट्रेनिंग देकर मुख्यधारा में लाना

राजभर ने कहा, “गांव के युवा भटक रहे हैं, उन्हें समझ नहीं आ रहा कि जीवन में करें क्या। हमारी राष्ट्रीय सुहेलदेव सेना उन्हें ट्रेनिंग देकर सही रास्ता दिखाएगी।

पूर्वांचल से शुरुआत, एक लाख सदस्यों का लक्ष्य
फिलहाल इस सेना की औपचारिक शुरुआत पूर्वांचल के 22 जिलों में की गई है। आने वाले समय में इसे पूरे उत्तर प्रदेश में विस्तार देने की योजना है। पार्टी ने एक लाख सदस्य बनाने का लक्ष्य रखा है। चूंकि सुभासपा का मुख्य जनाधार पूर्वांचल में ही है, इसलिए सबसे पहले इसी क्षेत्र को चुना गया।
सियासी हलकों में उठ रहे सवाल
राजभर की इस ‘निजी सेना’ से प्रदेश की सियासत में हलचल मच गई है। विपक्षी दल इसे “निजी मिलिशिया” करार दे रहे हैं तो सत्ताधारी खेमे में भी कुछ लोग असहज हैं। जानकारों का कहना है कि वर्दी, रैंक और स्टिक वाला यह ढांचा कानून-व्यवस्था के लिए चुनौती बन सकता है। हालांकि राजभर इसे केवल “युवा सशक्तिकरण और पार्टी व्यवस्था” का माध्यम बता रहे हैं।फिलहाल ओम प्रकाश राजभर ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि यह सेना कानूनी रूप से रजिस्टर्ड है या नहीं और इसके संचालन के लिए कोई सरकारी अनुमति ली गई है या नहीं। आने वाले दिनों में यह मुद्दा यूपी विधानसभा से लेकर सड़क तक गर्म रहने की पूरी संभावना है।
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